सीढ़ियाँ (बांग्लादेश से) भाद्रपद अमावस्या साहित्य संयुक्ताङ्क, २०७७ वि., वर्ष-५, अङ्क-८९, बुधवार

सीढ़ियाँ (बांग्लादेश)

हम सीढ़ियाँ हैं 

रौंदते हो जिन्हें
प्रतिदिन तुम
ऊँचे उठने को।

तब तुम
न रुकते कभी,
न देखते कभी मुड़।

तुम्हारे पाँव भी फिसलेंगे
एक दिन,
हमायूँ की भाँति।

मेरा इतिहास मेरा अपना नहीं (म्यान्मार) भाद्रपद अमावस्या साहित्य संयुक्ताङ्क, २०७७ वि., वर्ष-५, अङ्क-८९, बुधवार

मेरा इतिहास मेरा अपना नहीं (म्यान्मार)

मर कर भी मैं निर्वासित था
उन्होंने मेरे अवलम्ब प्रलेख भी पूरे न लिखे
मर कर भी मेरे पास
आवास अनुमति पत्र न था ।
उन्होंने मेरी मौत लिख दी है
उन्होंने मेरी मौत मरुत पर लिख दी है
उन्होंने … उन्होंने… उन्होंने मेरी मौत जल पर भी लिख दी है

जब मैं नहीं रहूँगा (भूटान से) भाद्रपद अमावस्या साहित्य संयुक्ताङ्क, २०७७ वि., वर्ष-५, अङ्क-८९, बुधवार

जब मैं नहीं रहूँगा (भूटान)

क्यों कि जब मैं नहीं रहूँगा, और तुम वियोगसिक्त,
जब मैं हो रहूँगा तुम्हारी पहुँच से दूर बहुत
तुम्हारे अनसुने शब्द हो रहेंगे तिरोहित मात्र,
तुम्हारी ऊष्मा हो रहेगी यूँ ही शीतल
और बेड़ियों में बच रहेगा तुम्हारा स्व शोकार्त।

अत: जब हो सक्षम, मुझसे करो प्यार!!!

बीसा यन्त्रम् Beesa Yantram

लिङ्ग liṅga : शब्द – ५

लिंग के निम्न अर्थ प्राप्त हैं— चिह्न, लक्षण, प्रतीक, परिचायक। प्रमाण के साधन। स्त्री/पुरुष वाची शब्द। देव-प्रतीक प्रतिमा नहीं प्रतीक है।

कुम्भ, कामकुम्भ, स्तन, मंदिर विमान, शिखर, शिखरदशना, गुम्बद

कुम्भ, कामकुम्भ, स्तन, मंदिर विमान, शिखर, शिखरदशना, गुम्बद

आप के यहाँ गुम्बद कभी नहीं था, कलश कुम्भ के वास्तु आयाम अनेक थे, इस बात का ध्यान रखते हुये शिखर हेतु शिखर शब्द ही प्रयोग में लायें, इससे आप दक्षिण से भी जुड़ जाते हैं।

Laughing Dove छोटी फाख्ता। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, बर्रा, कानपुर, उत्तर प्रदेश, March 03, 2020

पंडुक पण्डुक पँड़ुकी Laughing Dove Spilopelia senegalensis

Laughing Dove छोटी फाख्ता, फाख्ता पक्षी की सबसे छोटी प्रजाति है, जिसका आकार लगभग १० इंच होता है। इसका प्रजनन काल लगभग पूरे वर्ष भर होता है।

Boredom बोरियत नीरसता ऊब

Boredom बोरियत नीरसता ऊब : सनातन बोध – ७९

Boredom बोरियत नीरसता ऊब – नीरसता, विरक्ति जैसे पर्याय मिल सकते हैं पर boredom जैसी चिरकालिक मानसिक अवस्था का सनातन दर्शन में अभाव ही रहा।

आकाओं के कान नहीं, हमारे हाथ पाँव नहीं! प्रतिरोध हो भी तो कैसे?

आकाओं के कान नहीं, हमारे हाथ पाँव नहीं! प्रतिरोध हो भी तो कैसे?

निर्माण में समय लगता है, ध्वंस में नहीं। निर्माण में नहीं लगेंगे तो एक दिन ध्वस्त हो ही जायेंगे – यह सार्वकालिक व सार्वभौमिक सच है। हमें अपनी ‘सचाइयों’ में आमूल-चूल परिवर्तन करने ही होंगे, और कोई उपाय नहीं। ट्विटर या फेसबुक पर रुदाली गाना तो किसी भी दृष्टि से विकल्प नहीं, आकाओं के कान हैं ही नहीं!

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि : शब्द – ३

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि – सङ्कर्षण – सम्यक् कृष्यते इति सङ्कर्षण। नीलाम्बरो रौहिणेयस्तालाङ्को मुसली हली। सङ्कर्षणो सीरपाणि: कालिन्दीभेदनो बल: ॥

A Soldier

चीनी वस्तुओं का बहिष्कार Boycott Chinese Goods कैसे करें?

इण्टरनेट है, गुगल खोज उपलब्ध है; जब आप एक योद्धा की भाँति स्थिरचित्त व दृढ़निश्चयी होंगे तो विकल्प ढूँढ़ ही लेंगे। इस कारण ही पहले मन का संस्कार आवश्यक है। चीनी मन आप से अधिक स्थिर, दृढ़ व सातत्ययुक्त है; उसकी विविध क्षेत्रों में प्रगति ही प्रमाण है। ‘हजार की यात्रा एक पग से’ को उन्होंने दशकों से अपना रखा है।

Nīti-Sāraḥ नीतिसार

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 29

Nīti-Sāraḥ नीतिसार :Tiny Lamps लघु दीप – 28 करपात्र या पाणिपात्र, जिसका हाथ ही भोजनपात्र है। ब्रह्मा द्वारा आरुणि को संन्यास उपदेश का अन्तिम, पाँचवा मन्त्र। इस सामवेदीय लघु उपनिषद्‌ में मात्र पाँच गद्य मन्त्र हैं।

Default bias or Status Quo Bias यथास्थिति पक्षपात

Default Bias यथास्थिति पक्षपात – उपदेश असाध्य स्वभाव : सनातन बोध – ७७

Default Bias यथास्थिति पक्षपात – विषयों के सम्बंध में इंद्रियों को राग-द्वेष रहते ही हैं। उनके वश में न हों क्योंकि वे मनुष्य के शत्रु हैं।

Yellow Throated Sparrow (Male) जङ्गली गौरइया (नर)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, April 30, 2017

Yellow Throated Sparrow जङ्गली गौरइया

जङ्गली गौरइया लगभग ६ इंच का पक्षी है जो हमारी घरेलू चिड़िया गौरैया सदृश ही होता है। इनमें भी नर और मादा का वर्ण गौरैया की ही भांति भिन्न होता है। नर के गले पर पीतवर्णीय धब्बा होता है।

संस्कृत आओ करके सीखें

संस्कृत आओ करके सीखें – सेकुलरिज्म नामी रुग्णता ने इसे कोढ़ में खाज बना दिया और लोग संस्कृत के विरुद्ध भी होने लगे।पहले संस्कृत कैसे सीखते थे?

आत्मनिर्भर : शब्द – १

विगत दिनों माननीय प्रधानमंत्री ने देश के नागरिकों के समक्ष आत्मनिर्भर होने का विचार व्यक्त किया। आत्मनिर्भर शब्द को समझने का हम प्रयास करते हैं।

Nīti-Sāraḥ नीतिसार

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 27

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 27 ऋग्वेद दस मण्डलों में विभाजित है। एक अन्य विभाजन चतुरङ्ग के वर्गों का आधार ले आठ अष्टकों का भी है।