सच्चा पातशाह Git Govind

सच्चा पातशाह शुद्ध क्षत्रिय राजा, राज करेगा खालसा : शब्द – ८

सच्चा पातशाह – धरा के राजे झूठे हुये, विष्णु अवतार की परम्परा में गुरु ही ‘सच्चा राजा’ हो गया। प्रजा को ‘क्षत’ से बचाने वाला राजा। सच्चा पातशाह का अर्थ हुआ वह जो वास्तव में प्रजा का रक्षण करने वाला सर्वोच्च स्वामी राजा है। इसमें कोई बहुत बड़ा दार्शनिक आध्यात्म नहीं है वरन तत्कालीन परिस्थितियों में जनमानस को एक ऐसा व्यावहारिक मार्ग बताना है जो उन्हें अत्याचारी आक्रांताओं द्वारा दिये दु:खों से पार पाने व संघर्ष करने की शक्ति दे सकते। ‘राज करेगा खालसा’ का अर्थ समझ में आया? खालसा तो जानते ही हैं कि पारसी ‘खालिस’ से है – शुद्ध।

quran

Love jihad नहीं, यौन जिहाद। न, न, अब्राहमी आक्रमणों का प्रतिकार ऐसे नहीं!

अल्पकालिक हो या दीर्घकालिक, जीर्ण हो या त्वरित; किसी भी समस्या से निपटने या उसके समाधान हेतु जो कुछ किया जाता है, वह व्यक्ति, समूह या तन्त्र में अन्तर्निहित उसकी सकल निर्मिति पर निर्भर होता है तथा परिणाम की गति व दिशा भी उसी पर निर्भर होते हैं। निर्मिति मूल मान्यताओं, मूल्यों, प्राथमिकताओं और प्रवृत्ति की देन होती है जो एक दिन में नहीं बन जाती, दीर्घकालिक सम्यक सतत कर्म की देन होती है। चरित्र महत्त्वपूर्ण होता है।

Corruption is Contagious

भ्रष्टाचार, कुसंग और दण्ड : सनातन बोध – ८६

शोध इस बात को इंगित करते हैं कि यदि हम अन्य लोगों को भ्रष्ट आचरण करते हुए देखते हैं तो हम भी उससे प्रभावित होते हैं। हमें यह एक सामान्य प्रक्रिया लगने लगती है। उत्कोच एक संक्रामक महामारी की तरह है।

पुरा नवं भवति

पुरा नवं भवति

भारत में इतिहास को काव्य के माध्यम से जीवित रखा गया। स्वाभाविक ही है कि ऐसे में कवि कल्पनायें नर्तन करेंगी ही। कल्पना जनित पूर्ति दो प्रकार की होती है, एक वह जो तथ्य को बिना छेड़े शृङ्गार करती है, दूसरी वह जो तथ्य को भी परिस्थिति की माँग के अनुसार परिवर्तित कर देती है। दूसरी प्रवृत्ति की उदाहरण रामायण एवं महाभारत, दो आख्यानक इतिहासों, पर आधारित शताधिक रचनायें हैं जिनमें पुराण भी हैं। आख्यान का अर्थ समझ लेंगे तो बात स्पष्ट होगी। आख्यान आँखों देखी रचना होते हैं।

मूल में भी क्षेपक जोड़े गये जिनका अभिज्ञान कठिन है किन्तु असम्भव नहीं।

विमूढा नानुपश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुष:

विमूढा नानुपश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुष: – सनातन बोध -८५

संसार में ज्ञान का अभाव नहीं है, प्रत्यक्ष प्रमाणों का भी नहीं है। परंतु ज्ञान का अनुभव में आना सदा ही दुष्कर रहा है। विज्ञान सहित ज्ञान किस प्रकार दुर्लभ है, इस पर भगवान स्वयं कहते हैं –
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये । यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः ॥
अर्थात् सहस्रो मनुष्यों में कोई एक वास्तविक सिद्धिके लिये प्रयत्न करता है और उन प्रयत्नशील साधकों में भी कोई ही यथार्थ तत्त्व से जान पाता है।

Twenty Lakh Crore बीस लाख करोड़, मनु, कौटल्य, रामायण व महापद्मनन्द

Twenty Lakh Crore बीस लाख करोड़, मनु, कौटल्य, रामायण व महापद्मनन्द

मगध के नन्द वंश का एक राजा महापद्म क्यों कहा जाता था? क्योंकि उसके राजकोश में उतनी स्वर्णमुद्रायें थीं किन्तु उनका उपयोग जनहित हेतु न होने से असन्तोष की स्थिति थी जिसका दोहन कर कौटल्य ने नन्दवंश के स्थान पर चन्द्रगुप्त हो आसीन किया। चाणक्य नीति एवं कौटल्य के अर्थशास्त्र से आरम्भ कर रामायण तक जाने एवं पुन: कौटल्य तक लौटने का उद्देश्य यह है कि आप अपने शास्त्र आदि पढ़ें जिससे परम्परा की निरंतरता का ज्ञान हो।

Jungle Babbler/Seven Sisters सतबहिनी चरखी। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी तट, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, March 07, 2017

Jungle Babbler Seven Sisters सतबहिनी चरखी : Argya striata

सतबहिनी चरखी भारत का बारहमासी पक्षी है और लगभग १० इंच के इस चञ्चल पक्षी को पूरे भारत के गाँवों के खेत खलिहान, उद्यानों एवं जंगलो में भूमि पर भोजन खोजते या पेड़ों की निचली शाखाओं पर कलरव कोलाहल (हहोलिका नाम इस कारण से) करते ७-१० के झुण्ड में देखा जा सकता है।

Ayodhya lights, Deepotsav with 5,84,572 diyas Guinness world record. November 2020. (C) Ajad Singh, Ayodhya

दीपावली पर्व विविध

समाज के एकीकरण के लिये भारत में ४ राष्ट्रीय पर्व हैं – होली, दुर्गापूजा, दीपावली एवं रक्षा-बन्धन। समाज में व्यवसायों की उन्नति के लिये भी ४ वर्ण थे – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्म विभागशः (गीता, ४/१३)

गले कटवाते रहना घोर तामस है! जीवन्त जाति का लक्षण नहीं।

गले कटवाते रहना घोर तामस है! जीवन्त जाति का लक्षण नहीं।

गले कटवाते रहना घोर तामस है! जीवन्त जाति का लक्षण नहीं। हमें किसी का गला नहीं रेतना है किंतु कोई हमारा गला न रेत जाये, इसके लिये बली बनना है, शारीरिक रूप से भी, मानसिक रूप से भी।

Distance from self अनासक्ति व Solomon's Paradox

Distance from self अनासक्ति व Solomon’s Paradox : सनातन बोध – ८४

Distance from self अनासक्ति – Solomon’s Paradox अन्य को सुझाव देना हो तो हम भली-भाँति विचार कर देते हैं पर स्वयं के लिए वैसा नहीं कर पाते। Distance from self तो स्पष्टतः निष्काम कर्म का विशेष रूप ही है — कार्य-फल की आकांक्षा से रहित हो – सम्बंध, सामाजिक विरोध, रचनात्मकता ही क्यों, जीवन का प्रत्येक कार्य ही निष्काम हो।

Striated Babbler बड़ा चिलचिल। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, May 07, 2017

Striated Babbler बड़ा चिलचिल

बड़ा चिलचिल लगभग १० इंच का एक चञ्चल पक्षी है जो बड़ी-बड़ी घासों के बीच में ७ से १० के झुण्ड में दिखाई पड़ता है। इसके नर एवं मादा एक जैसे होते हैं। समभौमिक क्षेत्रों का पक्षी है जो पंजाब से लेकर गांगेय क्षेत्रों से होते हुए ब्रह्मपुत्र के क्षेत्र, नेपाल की आर्द्रभूमि, असम, बंगाल और ओडिशा के महानदी के नदीमुख क्षेत्र तक पाया जाता है।

Motivated reasoning

Motivated Reasoning अभिप्रेरित विचार : सनातन बोध – ८३

motivated reasoning – अभिप्रेरित विचार अर्थात् उन बातों के लिए कारण ढूँढना जिनमें उन्हें विश्वास होता है, व्यक्ति की प्रवृत्ति होती है। अनेक वैज्ञानिक सिद्धान्तों के सत्य होने के प्रत्यक्ष प्रमाण होते हुए भी बहुधा लोग उन पर विश्वास नहीं करते। इसके विपरीत उन मान्यताओं पर सहज ही विश्वास कर लेते हैं जिनका कोई तार्किक आधार नहीं होता, जैसे – पृथ्वी चपटी है। यह प्रक्रिया नई नहीं है जिसे चर्च और तत्कालीन समाज की गैलीलियो एवं चार्ल्स डार्विन के सिद्धांतों के प्रति प्रतिक्रियाओं से जाना जा सकता है। यहाँ रोचक बात यह है कि लोगों को समस्या विज्ञान से नहीं, परंतु इस बात से होती है कि स्वयं की विचारधारा या संसार के प्रति दृष्टिकोण में परिवर्तन उन्हें स्वीकार्य नहीं होता।

Phragmites karka नल नरकुल नळ और बुद्ध (लघु दीप)

Phragmites karka नल नरकुल नळ और बुद्ध : लघु दीप – ३२

Phragmites karka नल नरकुल – गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥ अनागतप्पजप्पाय, अतीतस्सानुसोचना। एतेन बाला सुस्सन्ति, नळोव हरितो लुतो’’ति॥
ऐतिहासिक बुद्ध जिस धरती पर जन्मे थे, वहाँ नरकुल की बहुलता थी। उनके उपदेशों में तो चर्चा है ही, इतर बौद्ध वाङ्मय में नळ के उल्लेख से तत्कालीन समाज में इस वनस्पति के बहुविध उपयोग के बारे में पता चलता है।

Symmetric Key vs Asymmetric Key Encryption

Symmetric Key vs Asymmetric Key Encryption सममित व असममित कुञ्जी कूटन

समान कुञ्जी (Symmetric key) और असमान कुञ्जी (Asymmetric key) कूटन (Encryption) अवधारणा का अनुप्रयोग कंप्यूटर विज्ञान में बहुतायत से होता है।
प्रस्तुत लेख में जटिल तकनीकी पक्ष पर न जाते हुए सरल भाषा में इसे समझाने का प्रयास किया गया है।

Did Rama eat meat during his exile?

Did Rama eat meat during his exile?

Did Rama eat meat’ will be a long article in many parts as it will examine the whole Vālmīkīya Rāmāyaṇa (VR), not being speculative to the maximum extent possible, to find out what exactly comes out about the oft raised issue of meat eating in general and by Rāma during exile in particular. The article will be a ‘dynamic one’ as I’ll be revising and refining it basis new and relevant findings in other sources and new insights. Meat here should be taken as ‘cooked animal flesh’ taken as diet.

Zeigarnik effect अज्ञात अपूर्ण कार्य तनाव और बहती उर्जा

Zeigarnik effect अज्ञात, अपूर्ण-कार्य-तनाव और बहती ऊर्जा।

ज़ीगरनिक प्रभाव एक ऐसी स्थिति है जिसमें हमारा मस्तिष्क अपूर्ण कार्यों व घटनाओं को स्मरण करवाता रहता है। हमें बार-बार उन्हीं अपूर्ण घटनाओं व कार्यों पर अटकाता रहता है। Bluma Wulfovna Zeigarnik नमक एक रूसी महिला मनोविद ने उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इस विषय पर शोध किया और उन्हीं के नाम पर इस मानसिक स्थिति का नाम पड़ा – ज़ीगरनिक प्रभाव।

Paddy-field Pipit चरचरी। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, July 21, 2020 तथा सोहागी बरवा वन्यजीव अभयारण्य, हररैया, बलरामपुर के पास - 271201, उत्तर प्रदेश, July 10, 2020

Paddy-field Pipit चरचरी धान चिड़ी, रुगैल, चुइँया – Anthus rufulus

चरचरी मैदानी क्षेत्रों का पक्षी है। जिसे धान के खेतों, खुले मैदानों, वाटिकाओं, जल स्रोतों के कूल पर या झाड़ियों पर बैठना रुचिकर है। जहाँ इनको इधर-उधर फुदकते हुए बीज और कीड़े-मकोड़े पकड़ते देखा जा सकता है।

धर्षण rape कोलाहल विद्या : सा विद्या या विमुक्तये

धर्षण rape कोलाहल विद्या : सा विद्या या विमुक्तये

धर्षण rape कोलाहल विद्या -कृत्रिम औचित्य के चक्कर में पुरुष अपने गुणों को ही गँवा देगा तो जो महती क्षति वह स्त्रियों को अधिक कुप्रभावित करेगी। किसी भी सभ्य समाज में जननी स्वरूपा स्त्री का सम्मान व सुरक्षा बड़े आदर्श होते हैं, हमारे यहाँ भी हैं और रहेंगे किंतु यह भी सच है कि उन्हें बनाये रखने हेतु मानसिक रूप से स्वस्थ, आत्मग्लानि या आत्मघाती वितृष्णा से मुक्त धर्मनिष्ठ साहसी पुरुष परम आवश्यक हैं, तब और जब कोई समाज चहुँओर आक्रमणों को झेल रहा हो।