बीमा या निवेश? यह प्रश्न बहुधा हमारे समक्ष उपस्थित होता है, तब और जब हम अपने पाँव नये नये खड़े हुये होते हैं।
हम लोग पढ़ाई अच्छी से अच्छी करना चाहते हैं, जिससे हमें बहुत अच्छी नौकरी मिल जाये या फिर अच्छे से व्यापार कर पायें। जब हम पढ़ाई करते हैं तो जीवन पर्यन्त जिसकी हमें आवश्यकता होती है, उसके बारे में कोई न पढ़ता है, न सीखता है और न ही हमारे विद्यालय या महाविद्यालय पढ़ाते हैं, वह है जीवन भर अपने कमाये हुए धन का निवेश कैसे करें, अपने जीवन के वित्तीय लक्ष्यों को कैसे पूरा करें? किसी सेवा में आ जाने के पश्चात जीवन की कठिनाई भरी यात्रा आरम्भ होती है। नौकरी या सेवा में आ जाने के पश्चात न तो सीखने का समय होता है, न ही पढ़ाई करने का, प्रभावी निवेश कैसे हो!
हमें अपने जीवन के वित्त संबंधी महत्वपूर्ण बातों के बारे में न पता होता है, और न ही समझ होती है। ऐसी स्थिति में हम किसी न किसी एजेन्ट, ब्रोकर, दलाल के चक्कर में पड़ जाते हैं जिनके पास व्यावसायिक समझ कदाकित ही होती है। बहुधा उनके पास किसी कंपनी के बीमा या वित्तीय उत्पाद बेचने या शेयर बाजार के डीलर से संबंधित कार्य करने हेतु आवश्यक प्रमाणपत्र मात्र होते हैं जबकि वे भारत के लगभग हर प्रकार के वृत्तिभोगी एवं व्यापारी को बीमा और निवेश से संबंधित सलाह देने का काम करते हैं जिसके लिये वे प्रशिक्षित होते ही नहीं। उनके पास न तो यह समझ होती है कि किस व्यक्ति को किस वित्तीय उत्पाद की आवश्यकता है या किस बात को प्राथमिकता देनी है, न ही वे इन महत्त्वपूर्ण बातों को प्रभावी रूप से समझा पाते हैं।
जब हम कमाई करना आरम्भ करते हैं तो सबसे पहले हमें सलाह मिलती है कि हम निवेश आरम्भ करें। घर के लगभग सभी लोग, सहकर्मी एवं सगे संबंधी लोग हमारे पीछे पड़ जाते हैं कि इस यूलिप को ले लो या एल आई सी की पॉलिसी ले लो या म्यूचुअल फंड में निवेश कर लो। परन्तु उन्हें या हमें अधिकतर पता ही नहीं होता है कि कौन सा वित्तीय उत्पाद वर्तमान या भविष्य में हमारे लिये अच्छा होगा और उससे संबंधित हमें क्या लाभ होंगे। इन सबके बारे में हम कभी नहीं सोचते हैं, हम तो बस पापा, चाचा, मामा या फूफा जी का कहने पर अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा कहीं न कहीं निवेश कर देते हैं तथा यह सोचते हैं कि चलो इनके कहने से निवेश किया है, कल कुछ हुआ तो कम से कम हमें सुनना नहीं पड़ेगा। परंतु क्या हम उन्हें अनसुना नहीं कर सकते? निज आय के निवेश के निर्णय स्वयं नहीं ले सकते?
नौकरी आरम्भ करने के पश्चात सबसे पहले हमें टर्म बीमा लेना चाहिये, क्यों? क्योंकि इससे हम अपने परिवार को आर्थिक सुरक्षा दे रहे होते हैं, साथ ही शीघ्रता करने के कारण अपेक्षतया कम प्रीमियम हमें जीवन भर देना पड़ता है। ऐसे बीमित व्यक्ति के साथ यदि कुछ अवांछित घटित हो जाता है तो कम से कम आश्रितों को किसी का मुँह नहीं देखना पड़ता। निवेश भी बहुत आवश्यक है, परंतु निवेश से पहले हमें परिवार की या आश्रितों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिये।
यदि कोई निवेश पहले आरम्भ करता है तथा बीमा बाद में तो सोचिये कि उसके आकस्मिक अवसान की स्थिति में केवल निवेश से उसके परिवार को क्या मिलेगा? जबकि बीमा उसके परिवार को सुरक्षा देगा, जिससे उसके परिवारी या आश्रित जन अपने रहन सहन के स्तर को बनाये रख पायेंगे। इस बात पर गम्भीरता से विचार करें। इस प्रकार के विचार प्राय: मन पर अच्छा प्रभाव छोड़ते हैं एवं आप उचित निर्णय ले पाते हैं। जीवन बीमा लेते समय सर्वदा ध्यान रखें कि आप की बीमा का देय इतना हो कि भविष्य में उससे होने वाली आय से आपका परिवार स्वयं को वित्तीय रूप से सुरक्षित मान सके।
निवेश आवश्यक है, परंतु पहले बीमा को प्राथमिकता दें। हम निवेश भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये करते हैं, परंतु बीमा जीवन की अनचाही दुर्घटनाओं से हमारे परिवार को सुरक्षा देने में सहायक होता है।
बीमा से परिवार को एक और सुरक्षा मिलेगी वह यह कि यदि आपने गृह, कार, व्यक्तिगत या क्रेडिट कार्ड; किसी प्रकार का ऋण ले रखा है तो आप के साथ किसी अनहोनी की स्थिति में उनके पास ऋण चुकता करने के लिये धन का एक स्रोत बीमा भुगतान के रूप में उपलब्ध रहेगा।
वैसे ही चिकित्सा सम्बंधी बीमा, मेडिक्लेम, के बारे में देखिये। यदि आप इसे लेते हैं तो हर वर्ष बीमित रकम की सीमा तक चिकित्सा के लिये आपको धन का व्यय नहीं करना होगा। इसके लिये मेडिक्लेम सर्वदा परिवार के साथ लें – फैमिली फ्लोटर। प्रतिवर्ष एक छोटी प्रीमियम का भुगतान कर परिवार को चिकित्सा हेतु आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना आपका सर्वप्रथम दायित्व है।
आप ने कभी सोचा है कि यदि किसी चोट के कारण आपको डॉक्टर ने शय्या पर 2 महीने पूर्ण विश्राम करने को कह दिया तो आपकी कमाई तो रुक जायेगी, परंतु खर्चे नहीं रूकेंगे, लगे रहेंगे? वैसे ही सोचें कि यदि किसी दुर्घटना के कारण शरीर का कोई भाग क्षतिग्रस्त होता है तो जीवन भर निर्वाह कैसे करेंगे? इन सब के लिये दुर्घटना बीमा लेना बहुत आवश्यक है, जिसमें कि अस्थायी अपंगता, टेम्परेरी डिसेबलमेंट. के लिये भी प्रावधान अवश्य हो।
इन सारी बीमा पॉलिसियों को आप आय कर में छूट पाने के लिये दर्शा सकते हैं तथा आयकर प्रावधान 80 सी, 80 डी की छूट में लाभ उठा सकते हैं।
जितनी शीघ्र ये सारे बीमे आप ले लेंगे, उतना ही आपको लाभ होगा। जैसे जैसे आयु बढ़ती है, शारीरिक चिकित्सा पर व्यय बढ़ने की सम्भावना भी बढ़ती। अधिक आयु की शरीर, चिकित्सा पर अधिक व्यय – बीमा कंपनियाँ इस प्रकार देखती हैं कि आयु के साथ साथ शरीर में रोग बढ़ने से उस पर व्यय भी बढ़ रहा है। बहुत सी कंपनियाँ 40 वर्ष की आयु के पश्चात बीमा बहुत सोच समझकर देती हैं तथा छोटी मोटी स्वास्थ्य समस्यायें के लिये तो देती ही नहीं! अत: चिकित्सा बीमा लेने के लिये शुभस्य शीघ्रम्।
इन सब बीमाओं के बारे में हम कभी सोचते नहीं हैं और न ही हम बीमित रकम के बारे में सोचते हैं। बीमा लेते समय भावी विविध अवांछित परिस्थितियों पर मनन करें कि उनके घटित होने पर क्या होगा या हो सकता है। उचित निर्णय लेने के लिये यह मनन बहुत सहायक होगा। बीमे तो दूसरे भी, कई प्रकार के हैं किंतु हमने नितांत आवश्यक बीमा सेवाओं के बारे में बात की है, जो सर्वदा ही सबके पास होने चाहिये। अन्य को आप अपनी आवश्यकता के अनुसार ले सकते हैं।
मृत्यु निश्चित है, परंतु तिथि निश्चित नहीं है, हम अमृत चखकर नहीं आये हैं, जाना निश्चित है। चिंतन कीजिये कि यदि आप इसी क्षण से परिवार के साथ नहीं हैं तो वे कैसे रहेंगे! तत्काल ही बीमा लीजिये, निवेश की प्राथमिकता बीमा के पश्चात रखिये। इससे आपको तथा आपके परिवारी जन को भी मानसिक शांति रहेगी।
thank you, thoughtfull article.