भारतीय नाम : नकटा, नंदीमुखी, हँसक, नकवा, नकीहंस, नासाच्छिन्ना(संस्कृत)
अन्य नाम : Comb Duck, Knob-Billed Duck, African Comb Duck
वैज्ञानिक नाम : Sarkidiornis melanotos
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Anseriformes
Family: Anatidae
Genus: Sarkidiornis
Species: Melanotus
श्रेणी : बतख जैसी चिड़िया
Category: Duck Like Birds
जनसङ्खया : ह्रासमान
Population: Decreasing
संरक्षण स्थिति : सङ्कटमुक्त
Conservation Status: LC(Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Shedule: IV(चार )
नीड़ काल : जुलाई से सितम्बर
Nesting Period: July to September
आकार : लगभग ७६ सेंटीमीटर(३० इंच )
Size: 76cm (30in)
प्रव्रजन स्थिति : स्थानीय प्रवास (ऋतुकालिक)
Migratory Status: Seasonal (Local) Migration
दृश्यता : असामान्य (अत्यल्प दिखने वाला)
Visibility: Less Visible
लैङ्गिक द्विरूपता : द्विरूप
Sexes: Unalike
भोजन : जलीय पौधे और उनकी मुलायम जड़ें, बीज, शैवाल तथा कीड़े मकोड़े।
Diet: Vegetation by grazing or dabbling, seeds, small fish, invertebrates.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : नकटा को जलाशयों के निकट वृक्षों पर रहना अधिक प्रिय है। अत: इसे पेड़ की बतख भी कहा जाता है। इसकी चोंच के ऊपर एक बड़ा सा उभार निकला होता है। इसी से इसका अभिजान सरल हो जाता है। सिर और ग्रीवा श्वेत वर्णीय होने के साथ-साथ उनमें आभायुक्त काली चित्तियाँ होती हैं। सिर, पैर और ग्रीवा का ऊपरी भाग कृष्ण वर्णीय। पंखों का वर्ण कृष्ण-बैंगनी आभा लिए हुए होता है। पूँछ के ऊपरी पंख हरी आभा वाले और नीचे का पूरा भाग श्वेत। नेत्र धूसर-पिङ्गल, पाँव हर्छौंह सिलेटी, चोंच कृष्ण वर्णीय। नर के चोंच पर एक बड़ा सा उभार (गाँठ, अर्बुद) होता है। नर का आकार लगभग ३० इंच और मादा का २५-२६ इंच।
यद्यपि वयस्क नर व मादा अभिजान में असमान होते हैं तथापि अवयस्क बतखों में नर व मादा दिखने में समान ही होते हैं, उनमे चोंच का उभार भी नहीं होता है। उनके पंखो का रंग गहन आभा वाला न होकर तनु तथा भूरापन लिए हुए होता है। इनको युग्म से असंपृक्त ८-१० के झुंडों में भी देखा जा सकता है।
निवास : नकटा भारतीय क्षेत्र का बारहमासी बतख है जो प्रवास गमन तो नहीं करता है परन्तु स्थानीय प्रवास अवश्य करता है। वर्षा ऋतु आरम्भ होने पर नर-मादा युगल को नीड़ निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान की खोज में अन्यत्र गमन करना पड़ता है। ग्रीष्म ऋतु काल में इन्हें राजस्थान, कच्छ, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल में देखा जा सकता है।
ऐसे स्थान जहाँ, स्वच्छ जल वाले जलाशय-झील आदि हों तथा जिनके किनारे वृक्ष भी हों, इन्हें अत्यधिक प्रिय होते है तदर्थम् रात्रि में वृक्षों पर आवास कर सकें एवं दिन के समय जलाशयों में आहारचर्या कर सकें। इनको बृहद नदियाँ प्रिय नहीं होती हैं।
वितरण : नकटा बतख हिम पर्वतों के अतिरिक्त लगभग पूरे भारत में पाई जाती हैं। इसके अलावा पाकिस्तान में कुछ स्थानों पर, श्रीलंका, बांग्लादेश तथा म्यांमार में भी पाई जाती हैं।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : नकटा के प्रजनन का समय वर्षा काल में जुलाई माह से सितम्बर तक होता है। यह जलाशयों के तट स्थित वृक्षों की निचली शाखाओं पर, तनों के कोटर आदि में शुष्क टहनियों, तृण-पत्र आदि से नीड़ निर्माण करता है। जिसमे मादा समय आने पर १० से १२ अण्डे देती है। आरम्भ के कुछ समय अण्डों का वर्ण गहन धवल श्वेताभ होता है जो शनै: शनै: धूसर वर्ण का हो जाता है। अण्डों का आकार २.४१ *१.७२ इंच होता है।
जानकारियों से भरपूर ज्ञानवर्धक पोस्ट। आपको बहुत धन्यवाद आजाद जी
बहुत अच्छी जानकारी