इन्टरनेट, वेब ब्राउज़र आदि पर घूमते हुए आपको कभी ‘स्लग (Slug)’ यूआरएल का नाम सुनाई दिया। पर्मालिंक, शोर्ट लिंक, प्रीटी पर्मालिंक (Pretty Permalink) आदि शब्द। जी हाँ आज यही जानते हैं ये क्या है?
आपको ये लेख पढ़ते समय जो ऊपर वेब ब्राउज़र के एड्रेस बार में जो यूआरएल दिखाई पड़ रहा है उसे यूआरएल तो कहते ही हैं। यहाँ मुख्य डोमेन ‘maghaa.com’ के बाद इस लेख का नाम यूआरएल में दिखाई पड़ रहा है। जी हाँ इसे ही स्लग कहा जाता है।
यह करता क्या है? कुछ नहीं यूआरएल को पढने लायक बनता है, स्मरण रखने लायक बनता है और हाँ सुन्दर तो बन ही जाता है। हम अन्य कई यूआरएल भी देखते हैं जहाँ ढेर सारे पैरामीटर्स और उनकी वैल्यूज के साथ यूआरएल प्रदर्शित होता है। जैसे की कुछ ऐसे,
क्या अंतर या लाभ हो जायेगा?
इसके लिए थोडा सा इन्टरनेट के ही इतिहास में जायेंगे तो स्यात समझ आ जाये। इन्टरनेट के प्रारंभिक काल में जब डोमेन व्यवस्था स्वरूप में नहीं थी तब IP Address, जैसे http://127.0.0.1 के द्वारा ही कंप्यूटर / सर्वर आपस में संवाद करते थे। आज भी यों इनका प्रयोग होता है। परन्तु जब इन्टरनेट का विस्तार हुआ तब जुड़े हुए कम्प्युटर्स की संख्या और वेबसाइट की संख्या बढ़ी और डोमेन नेम की संकल्पना ने रूप लिया। कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने डोमेन व्यवस्था में यह सुनिश्चित किया की प्रत्येक IP एड्रेस को यदि यूनिक नाम दिया जाए तो हमारे लिए वेबसाइट के यूआरएल /पते स्मरण रखना सरल हो जायेगा।
हाँ तो पहले, यहाँ हम यूआरएल के भिन्न भागो को तथा उनके अंतर को समझ लेते हैं —
- इस पृष्ठ का यूआरएल यदि कहा जाये तो वह पूर्णतया यह होगा, https://maghaa.com/यूआरएल-स्लग-क्या-है/
- इस पृष्ठ या साईट का डोमेन यह होगा, https://maghaa.com/
- और यहाँ जो शेष भाग है, यूआरएल-स्लग-क्या-है, यह स्लग (भाग)है।
तो यह न समझें की (पूरे) यूआरएल को ही स्लग कहते हैं। स्लग सम्पूर्ण यूआरएल एक केवल एक भाग है। अपेक्षा करता हूँ यह तो आप समझ गए होंगे की स्लग वाला भाग कौन सा है। आगे बढ़ते हैं।
यों कम्प्युटर्स आज भी IP Address के द्वारा ही एक दुसरे तक संचार संवाद करते हैं और एक दुसरे को ढूंढते हैं। क्योंकि मशीन गणितीय संख्या पर तेजी से कार्य करती है। पर वर्तमान में इन्टरनेट तकनीकविदों nameserver जैसी व्यवस्था बना ली है जो हमारे और सर्वर के बीच इस नाम विशेष अर्थात डोमेन नाम और IP Address के बीच रूपांतरण करती रहती है, जिसे आप एक प्रकार की अनुक्रमणिका समझ सकते हैं जहाँ IP Address और उनसे जुड़े डोमेन नामों की सूची होती है, यह सूची विश्व के सभी सर्वर्स पर अद्यतन होती रहती है। आप टाइप करेंगे https://maghaa.com परन्तु आगे जाकर सर्वर इसको अपनी लिस्ट में देखेगा की इसका IP Address क्या है और उसी नंबर से वह अन्य उस सर्वर तक संपर्क बनाएगा जहाँ इसकी सूचना सामग्री आदि अपलोड कर के राखी गयी है। तो डोमेन नेम सिस्टम की आवश्यकता हम सब जानते हैं की क्यूँ हुयी, इससे अधिक इस पर लिखना विषयांतर हो जायेगा।
बस यही समझिये की यूआरएल में स्लग का आना भी उसी ऐतिहासिक अवधारणा का फिर से प्रयोग कर यूआरएल को और अधिक सुन्दर और स्मरण रखने योग्य बनाने में किया गया। इसके पीछे प्रोग्रामिंग कोडिंग आदि की जाती है। उदहारण के लिए मघा पर इस समय जो लेख आप पढ़ रहे हैं इसको डेटाबेस में एक नंबर से से सुरक्षित किया गया है। परन्तु आपको एक समझने लायक यूआरएल दिखाई दे रहा है। तनिक इस लिंक पर क्लिक करें।
चौंक गए। जी यह गूगल का IP Address है। जो सर्वर आन्तरिक संवाद में प्रयोग करते हैं। जरा अपने इस लेख को भी देखें क्या 🙂
क्या हुआ? इसी पृष्ठ पर आ गए। जी हाँ। यह इस लेख का वास्तविक और यूनिक नंबर है जो मघा की साईट ने अपने डेटाबेस में सुरक्षित किया हुआ है। और आंतरिक रूप से वह इस लेख का अभिज्ञान करने हेतु इसी नंबर का प्रयोग करेगा। परन्तु साधारण प्रयोक्ता, जैसे आप ही इस तरह कितने लेखों को याद कर पाएंगे यदि कभी कुछ सर्च करना पड़े, तब? तो स्यात आप समझ गए होंगे इस तरह के स्लग क्यों बनाये जाते हैं।
इसके अतिरिक्त आजकल सर्च इंजन गूगल, याहू, बिंग आदि भी प्रीटी पर्मालिंक्स दिए गए वेब पृष्ठ को अन्य पृष्ठों से अधिक प्राथमिकता या कहें वरीयता देते हुए इंडेक्स करते हैं। क्योंकि यूआरएल में ही लेख के विषय सम्बन्धी जानकारी मिल जाती है। अत: आज के समय यह केवल एक सामान्य प्रयोक्ता की सहायता के लिए ही नहीं किया जाता अपितु सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के लिए भी अत्यधिक आवश्यक विषय बन चुका है।
कुछ और बातें
- स्लग के बारे में एक विशेष बात यह है की किसी एक वेबसाइट (डोमेन के नीचे) कभी भी दो वेब पृष्ठ सामान स्लग नहीं रख सकते हैं। अर्थात स्लग भी यूनिक है। प्रत्येक पृष्ठ का स्लग हमेशा यूनिक ही होगा। यदि कोई टूल जैसे की यहाँ मैं वर्डप्रेस का उदाहरण और चित्र प्रयोग कर रहा हूँ तो यदि आप किसी लेख या पृष्ठ के स्लग को बदलने का प्रयास करते हैं और यदि वह स्लग पहले से किसी पृष्ठ को दिया चूका है तो वर्डप्रेस या जो भी तकनीकी आप प्रयोग कर रहे हैं वह आपको ऐसा नहीं करने देगी या फिर स्वत: उसके आगे कुछ नंबर जोड़ कर उसे यूनिक बना देगी।
- यह आवश्यक नहीं की प्रत्येक वेब पृष्ठ के यूआरएल एड्रेस में स्लग जैसी सुविधा का प्रयोग किया ही जा सके। बहुत सी एप्लीकेशन में क्वेरी पैरामीटर्स का प्रयोग अपरिहार्य होता है और वहां स्लग नहीं बनाये जा सकते।
अपेक्षा करता हूँ आपको इस संक्षिप्त लेख में ‘स्लग’ शब्द के बारे में परिचय या समझ अवश्य बनी होगी। फिर भी पाठक गण टिप्पणी कर के अपनी शंका बता सकते हैं इस सन्दर्भ में।