भारतीय नाम : कुरैया, कुरया, रुस्तक, पेचक, पेचा, भारत श्वेतोलूक, संस्कृत – कुवय, करैल
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Tyto alba
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Strigiformes
Family: Tytonidae
Genus: Tyto
Species: alba
वर्ग श्रेणी : रात्रिचर पक्षी
Category: Night Bird
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status: LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Shedule: IV
नीड़-काल : उत्तर भारत में फरवरी से जून और दक्षिण भारत में नवम्बर से जनवरी तक।
Nesting Period: February to June in north India and November to January in south India.
आकार : लगभग १२ इंच
Size: 12 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी पक्षी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : अनुपस्थित
Sexes: Male and female are alike
भोजन : मुख्य रूप से चूहे, अन्य छोटे जीव जंतु भी।
Diet: Rats and mice mainly, other small animals.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : इसका मुख तनु मलिन श्वेत रङ्ग लिए हुए होता है, आकार ताम्बूलपत्र की भाँति। इसके मुखमण्डल को घेरे भूरे रंग का किनारा होता है जिससे यह किसी विदूषक जैसा दिखता है। इसके नर और मादा एक जैसे होते हैं, आकार में कौवे के समान लगभग १२ इंच।
इसके शरीर का ऊपरी भाग तनु स्वर्णिम भूरा होता है जिस पर भूरे वर्ण की गहरी चित्तियाँ होती हैं और नीचे का भाग मटमैला श्वेत होता है। इसके आँखों की पुतलियाँ काली होती हैं, डैने लम्बे और पूँछ छोटी तथा चतुष्कोणीय होती है।
निवास : इसका निवास मानव बसावट के निकट पेड़ों, पुराने भवनों, खण्डहरों, उद्यानों आदि में होता है। साँझ होते ही ये आखेट सन्धान में बाहर निकल कर घरों पर भी आ जाते हैं। ये रात्रिचर प्राणी हैं, अत: इन्हें रात में भी भूमि पर आखेट करने की कुशलता प्राप्त है, ये आखेट का अभिज्ञान उसके स्वर से कर झपट कर उन्हें पंजों में जकड़ लेते हैं।
रात में इनकी दृष्टि क्षमता मनुष्यों से शतगुना अधिक होती है। ये बड़े चूहों को भी सम्पूर्ण निगल लेते हैं तथा पचाने के पश्चात जो केश और हड्डियों के अवशेष बच जाते हैं, उन्हें एक गोली के रूप में उगल देते हैं। चूहे इनके मुख्य भोजन हैं जिस कारण से इन्हें किसानों का मित्र भी कहा जाता है ।
वितरण : यह भारत का बारहमासी पक्षी है जो घने जङ्गलों, ऊँचे पहाड़ों और मरुस्थल को छोड़ कर लगभग हर भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है । यह देश छोड़कर कहीं बाहर नहीं जाता है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : उत्तर भारत में इसका प्रजनन काल फरवरी से जून तक और दक्षिण भारत में नवम्बर से जनवरी तक होता है। इस समय मादा किसी वृक्ष के कोटर, भित्तियों की खोह या भूमि पर कहीं सुरक्षित स्थान पर ही थोड़ी घास रख कर नीड़ बना लेती है। समय आने पर मादा इसमें ३ से ६ तक अण्डे देती है। अण्डे कान्तियुक्त व श्वेत होते हैं। अण्डों का आकार लगभग १.४५*१.१० इंच होता है ।
हमेशा की तरह बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी