भारतीय तथा अन्य नाम
हिन्दी-भोजपुरी : पिरोला , हरदुआ, टोपीदार पीलक, ज़र्दक
संस्कृत : कालशीर्ष काञ्चन, सुग्रीव काञ्चन
असमिया : সখিয়তী
बाङ्गला : হলদে পাখি, কালোমাথা বেনেবউ
गुजराती : કાળા માથાનો પીળક, શ્યામશિર પીળક
मराठी : बुरखा हळद्या, कळटोपा हळद्या, पोक्काघो (कोंकणी)
कन्नड़ : ಕರಿಮಂಡೆ ಅರಿಶಿನಬುರುಡೆ
मळयाळयम : മഞ്ഞക്കറുപ്പൻ
ओड़िया : ହଳଦୀ ବସନ୍ତ
तमिळ : கருந்தலை மாங்குயில், கருந்தலை மாம்பழக் குருவி
नेपाली : कालोटाउके सुनचरी
आङ्गल : Black-hooded oriole, Asian black-headed oriole, Black-headed oriole, Indian black-headed oriole, Oriental black-headed oriole, Oriolus xanthornus
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Oriolus xanthornus
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Oriolidae
Genus: Oriolus
Species: O. xanthornus
गण-जाति : यष्टिवासी
Clade: Perching birds
जनसङ्ख्या : अज्ञात
Population: Unknown
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status (IUCN): LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़-काल : अप्रैल से जुलाई तक।
Nesting Period: April to July
आकार : लगभग ९ इंच
Size: ~9 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी (स्थानीय प्रवास भी करता है)
Migratory Status: Resident (with local migration)
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : उपस्थित (नर और मादा असमान)
Sexual Dimorphism: Dimorphic (Unalike)
भोजन : मुख्यत: कीड़े मकोड़े और जङ्गली फल आदि।
Diet: Insects, Fruit, Figs etc.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप
पीलक या पिरोला या हरदुआ कान्तिमान पीत वर्ण का का एक सुन्दर पक्षी है। जिसका सिर, डैना और पूँछ श्याम वर्ण की की होती है। यह अत्यंत चपल, तेज और चञ्चल पक्षी है। कोलहल रव करते हुए उपस्थिति प्रदर्शित करता है। इसकी लम्बाई लगभग ९ इंच, चञ्चु गहन पाटल वर्ण की तथा टाँगे स्लेटी वर्ण की होती है। नेत्र गोलक तनिक गहन वर्ण का होता है। नर और मादा के अभिज्ञान में भेद करना तनिक कठिन होता है। मादा का वर्ण तनु हर्छौंह और वक्ष पर पट्टिकाएं होती हैं।
निवास
पिरोला को खुले मैदानों के घने वृक्ष रुचिकर हैं। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है। हिमालय पर १५०० मीटर की ऊंचाई से लेकर सुदूर दक्षिण में केरल तथा अण्डमान द्वीपसमूह तक प्रत्येक स्थान पर इसकी उपस्थिति है।
वितरण
पिरोला भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, श्रीलङ्का ,म्यांमार और कम्बोडिया में भी पाया जाता है। इस प्रजाति में स्थानीय प्रवास भी देखा गया है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण
पीलक के तरह ही टोपीदार पीलक भी अपना नीड़ वृक्षों की शाखाओं पर बनाता है। इसके लिए तन्तु, घास-फूस, पत्तियां आदि का प्रयोग करके सुन्दर सा प्यालेनुमा आकार दिया जाता है। उसे पत्तों के बीच छुपाया जाता है। नीड़ धरती से ६ फुट से ३५ फुट की ऊँचाई तक देखे गए हैं। वर्तमान में पॉलिथीन का प्रयोग बढ़ने लगा है जिससे यह वृक्ष पादप के तन्तुओं के स्थान पर कई बार पॉलिथीन के टुकड़े, बोरी के रेशे आदि का प्रयोग भी करने लगा है। परन्तु ‘प्लास्टिक’ के तन्तु आदि इनके लिए अत्यन्त ही हानिकारक हैं क्योंकि उनमें इनके बच्चे उलझ जाते हैं जिसके कारण उनकी मृत्यु भी हो जाती है। सभी पीलक, भुजंग (कोतवाल ) के नीड़ के समीप ही अपना नीड़ निर्माण करने में रूचि रखते हैं क्योंकि कोतवाल का पड़ोसी होना इन्हें सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त लगता है। मादा एक बार में बहुधा ३ अण्डे देती है। अण्डों वर्ण मृतिका श्वेत सैम होता है और उन पर भूरे वर्ण की चित्तियाँ होती हैं। अण्डों का आकार लगभग १.१४ * ०.८ २ इंच होता है।
पीलक बहुत ही बढिया जानकारी उपलब्ध कराई भैया। संग्रहित करने योग्य