Bluethroat Luscinia svecica नीलकण्ठी पिद्दा (नर)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश, 25 जनवरी, 2020भारतीय नाम : नीलकण्ठी पिद्दा, हुसैनी पिद्दा, डम्बक, श्यामकण्ठ
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Luscinia svecica
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Muscicapidae
Genus: Luscinia
Species: L. Svecica
वर्ग श्रेणी : यष्टिवासी
Category: Perching Bird
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status (IUCN): LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Shedule: IV
नीड़-काल : जून से जुलाई तक
Nesting Period: June to July
आकार : लगभग ६ इंच
Size: 6 in
प्रव्रजन स्थिति : प्रवासी पक्षी ( शीत ऋतुकालिक)
Migratory Status: Winter Migrant
दृश्यता : असामान्य (अत्यल्प दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Very less
लैङ्गिक द्विरूपता : द्विरूप (नर और मादा भिन्न)
Sexes: Unalike
भोजन : कीड़े-मकोड़े आदि।
Diet: Insect, Invertebrates etc.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : बादामी रंग का सुन्दर पक्षी नीलकण्ठी शीत ऋतु में अलास्का से उड़कर भारत आता है और अप्रैल में लौट जाता है। जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है, इसके नर के कण्ठ के नीचे एक नीलाभ पट्टिका होती है जिसके कारण इसे नीलकण्ठी कहते हैं।
नर के ऊपरी पंख, डैने और पूँछ का रंग बादामी होता है। नेत्रों के के ऊपर श्वेत अंश लिए हुए भूरी रेखा होती है। ठुड्डी के नीचे का भाग व गला नीलाभ एवं उनके बीच में गहन नारंगी वर्ण के धब्बे होते हैं। नीले और नारंगी वर्णों के बीच में एक चौड़ी कृष्ण वर्णीय रेखा होती है। अधोभाग तनु बादामी होता है। गले का वर्ण आयु, लिंग और ऋतु के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है। मादा में नीले और गहन नारंगी वर्ण का अभाव होता है एवं अधोभाग श्वेत सम वर्ण लिए हुए होता है। नेत्र गोलक भूरे, चोंच काली और पंजों का रंग किञ्चित मटमैला पाटल वर्ण लिए होता है।
निवास : नीलकण्ठी उपवन, वाटिकाओं से लेकर वनों तक ऐसे झाड़ी युक्त आर्द्र स्थानों पर पाया जाता है जहाँ इसे पर्याप्त भोजन और छिपने के लिए स्थान उपलब्ध हों। इसे लुका-छिपी मे महारत होती है। इसीलिए यह कभी आपके सामने अचानक उपस्थित और पल भर में अदृश्य हो सकता है। यह जल स्रोतों के किनारे झाड़ियों से निकल कर भूमि पर भोजन खोजते दिखाई पड़ सकता है परन्तु अत्यधिक संकोची स्वाभाव के कारण सहसा ही छिप भी जाता है। इसका स्वर बहुत मधुर होता है।
वितरण : नीलकण्ठी पक्षी शीत ऋतु प्रारम्भ होते ही अलास्का की भीषण शीत से बचने के लिए भारत आ जाता है। यहाँ यह सम्पूर्ण भारत में देखा जा सकता है। भारत के अतिरिक्त इसे मालदीव तक देखा गया है। अप्रैल में ताप बढ़ने के साथ ही यह भारत का अपना प्रवास समाप्त कर लौट जाता है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : नीलकण्ठी के प्रजनन का समय जून से जुलाई तक रहता है। इस समय यह किसी कँटीली झाड़ी में छिपे स्थान पर शुष्क घास और पत्तियों से एक सुन्दर सा नीड़ निर्मित करता है। समय आने पर मादा ३-४ अण्डे देती है। अण्डे इसके आकार की तुलना में बहुत बड़े होते हैं। अण्डों का वर्ण मटमैला हरित होता है तथा उन पर पीत या मटमैले लाल चित्ते हो सकते हैं या बिना चित्ते के भी। अण्डों का आकार लगभग ०.७५ * ०.५५ इंच का होता है।
शानदार ज्ञानवर्धक