Capital Gain Calculation पूँजीगत लाभ गणना : ध्यान रखें कि आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2018 है। आप अपने नियोक्ता से प्राप्त फॉर्म 16A को ही नहीं देखें, भले ही केवल आपको वेतन मिलता हो, आपके द्वारा खरीदे-बेचे गये शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी या गहनों को बेचकर जो लाभ हुआ हो, वह भी दिखाना है। भले लाभ हुआ हो या हानि, उससे कोई अंतर नहीं पड़ता है। सभी को आयकर में अपने पूँजीगत लाभ या हानि दिखाना ही चाहिये। यहाँ हम बता रहे हैं कि कैसे विभिन्न प्रकार के एसेट पर पूँजीगत लाभ या हानि की गणना करनी चाहिये।
कैपिटल गैन की गणना
लाभ या हानि तभी होता है जब कि आप शेयर, म्यूचुअल फण्ड, प्रॉपर्टी, बॉण्ड, गहने बेचते हैं। उससे हुए लाभ को कैपिटल गेन (पूँजीगत लब्धि) की श्रेणी में रखा जाता है। इस तरह की लब्धियाँ दो प्रकार की होती हैं – लंबी अवधि (Long Term) की और अल्प अवधि (Short Term) की, जो कि एसेट (आस्ति) को अपने पास रखे रहने (Hold) की अवधि पर निर्भर करता है। कैपिटल गेन की गणना एसेट की बेचने और खरीदने के मूल्यों के अंतर की गणना करके निकाली जाती है, परंतु विभिन्न प्रकार के एसेट के लिये विभिन्न प्रकार के नियम हैं।
रियल इस्टेट (Property)
रियल इस्टेट याने कि भूमि, भवन, फ्लेट को दो वर्ष या उससे अल्प अवधि में खरीदकर बेचने को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स Short term capital gains (STCG) के अंतर्गत रखा जाता है। दो वर्ष के पश्चात यह लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) कहलाता है। लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) इंडेक्सेशन के साथ 20% लगता है। जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स Short term capital gains (STCG) स्लैब रेट की गणना से लगता है।
लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) की गणना करने के लिये पहले खरीदने के मूल्य पर इंडेक्स का मूल्य निकालना पड़ता है, जो कि इस प्रकार है :
खरीदने के मूल्य को, नोटिफाइड कॉस्ट इन्फलेशन इन्डेक्स (CII) जिस वर्ष में बेचा गया है, से गुणा करते हैं, तदुपरांत इसे खरीदी वर्ष की कॉस्ट इन्फलेशन इन्डेक्स (CII) से भाग दिया जाता है किंतु यदि एसेट 2001 के पहले खरीदी हुई है, तो आपको 1 अप्रैल 2001 की फेयर मार्केट वैल्यू Fair Market Value (FMV) का उपयोग करना होगा और उसके पश्चात खरीदी मूल्य की इंडेक्स कॉस्ट से गणना करनी होगी। जैसे कि यदि मकान 1998 में खरीदा गया तो आपको 1 अप्रैल 2001 की फेयर मार्केट वैल्यू Fair Market Value (FMV) की गणना करनी होगी, और फिर खरीदी हुई मूल्य निकल जायेगी।
उत्तराधिकार में मिली सम्पत्ति और उपहार में मिली सम्पत्ति हेतु नियम भिन्न-भिन्न और लाभ या लब्धि की गणना करते समय पुराने स्वामी की खरीद मूल्य व उसने कितने समय वह सम्पदा अपने पास रखी, उसका भी ध्यान रखा जाता है।
यदि खरीदते समय कोई अन्य व्यय भी हुआ है तो वह भी खरीदी मूल्य में जोड़ा जाना चाहिये, और उसके पश्चात ही इंडेक्स कॉस्ट को लेना चाहिये। जैसे कि स्टॉम्प ड्यूटी, पंजीकरण शुल्क, दलाल शुल्क एवं अधिवक्ता विधिक शुल्क। हम लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) से यदि निर्धारित अवधि में रहने के लिये घर खरीद लें या कोई इन्फ्रॉस्ट्रक्चर बॉण्ड खरीद लें तो हमारे कर की भुगतान राशि बहुत सीमा तक घट जाती है।
शेयर और म्यूचुअल फंड
शेयर और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड को यदि एक वर्ष के पहले बेच दिया जाता है तो उन पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स Short term capital gains (STCG) लगता है, इस वर्ष शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स Short term capital gains (STCG) 15% है, जबकि एक वर्ष से अधिक की अवधि पर लगने वाला लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) करमुक्त है। अगले वर्ष से लांग टर्म कैपिटल गेन्सLong term capital gains (LTCG) 10% (सरचार्ज और सेस भी) सेक्शन 112A के अंतर्गत लगेगा, जिसमें कोई भी इंडेक्शेसन का लाभ नहीं मिलेगा और लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) तभी लगेगा यदि गेन्स 1 लाख रूपये से अधिक होता है। यहाँ पर ग्रांडफादरिंग का लाभ दिया गया है।
यदि शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस Short Term Capital Loss (STCL) है तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स Short term capital gains (STCG) से सेटऑफ किया जा सकता है। साथ ही सेट ऑफ करने के लिये इसे अगले वित्तीय वर्ष के लिये भी कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है। लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) को न ही सेट ऑफ किया जा सकता है और न ही कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।
शेयर और म्यूचुअल फंड में खरीदने और बेचने वाले खर्चों को को भी कैपिटल गेन्स की गणना करते समय ध्यान रखना चाहिये।
डेब्ट (ऋण) आधारित म्यूचुअल फंड के लिये रखने का समय और उस पर लगने वाले कर की गणना भिन्न प्रकार से की जाती है। डेब्ट आधारित म्यूचुअल फंड को 36 महीने से पूर्व बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स Short term capital gains (STCG) लगता है, और कर आपको आयकर के स्लैब के अनुसार देय होता है। 36 महीने पश्चात डेब्ट आधारित म्यूचुअल फंड बेचने पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) लगता है जो कि 20% है, साथ ही सरचार्ज और सेस भी लगेगा, पर यहाँ इंडेक्शेसन का लाभ मिलेगा।
गहने और बॉण्ड
गहने या मूल्यवान धातु बेचने पर कर के अधीन हैंं, इनके आप के पास आने का ढंग कुछ भी हो, भले यह उपहार में मिला हो, खरीदा हो या पैतृक संपत्ति हो। यदि खरीदी के 36 महीने के भीतर बेचा जाता है तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स Short term capital gains (STCG) लगता है, 36 महीने पश्चात लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) लगता है। STCG आयकर स्लैब के अनुसार लगता है जबकि LTCG इंडेक्शेसन के लाभ के पश्चात 20% की दर से लगता है।
बॉण्ड के लिये अलग नियम हैं, जो कि जारी करने वाले और उसकी विशेषताओं पर निर्भर करते हैं। यथा, लिस्टेड कार्पोरेट बॉण्ड यदि एक वर्ष के पहले बेचते हैं तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स Short term capital gains (STCG) के अंतर्गत आते हैं और STCG आयकर स्लैब के अनुसार लगता है। यदि यही बॉण्ड एक वर्ष के पश्चात बेचा जाता है तो लांग टर्म कैपिटल गेन्स Long term capital gains (LTCG) के अंतर्गत आता हैै, इस पर इंडेक्शेसन का लाभ नहीं मिलता है और 10% की दर से कर लगता है। विशेष करमुक्त बॉण्ड (लिस्टेड या अनलिस्टेड) भी आयकर अधिनियम के अंंश 10(15) के अंतर्गत आते हैं और करमुक्त होते हैं।
लाभ को ITR में बताना
एक बार आपने अपने पूँजीगत लाभ एवं हानि समझ लिये, तो अगला पग है उन्हें अपने ITR में सम्मिलित करना। विभिन्न आय और वर्गों के आधार पर विभिन्न ITR फॉर्म भरे जाते हैं। उदाहरणतया यदि आय केवल वैतनिक आय वाले हैं तो ITR 1, पर यदि साथ में capital gains (पूँजीगत लाभ या लब्धियाँ) भी हैं तो ITR 2 फॉर्म भरना होता है।
इस वित्तीय वर्ष में आपको अपनी सभी आयों के बारे में विस्तृत सूचना उपलब्ध करवानी है, जिसमें कि वैतनिक आय (salary) एवं capital gains (पूँजीगत लाभ या लब्धियाँ) भी सम्मिलित हैं। ITR 2 फॉर्म में पूँजीगत लाभ के बारे में समस्त सूचनायें देनी होती हैं, जो कि हर आस्ति प्रकार के बेचने और कितने दिन आपने अपने पास रखी है, उस पर निर्भर करती है। भले ही वह अल्प अवधि पूँजीगत आस्ति (Short term capital asset) हो या दीर्घ अवधि पूँजीगत आस्ति (Long term capital asset)। साधारणतया खरीदने और बेचने का दिनांक, क्रय मूल्य, बेचते समय मूल्य जो समस्त व्यय को काट कर लिया गया हो, किस प्रकार की आस्ति को खरीदा या बेचा गया है – ये सब आवश्यक होते हैं। यदि कैपिटल एसेट प्रतिभूति (share) है तो साथ ही यह भी बताना होगा कि STT का भुगतान कर दिया गया है या नहीं, यह लिस्टेड है या अनलिस्टेड है।
इसके साथ ही, जिन भी व्ययों को कैपिटल गेन्स की गणना करते समय लिया गया है, उनके बारे में भी स्पष्ट एवंं पूर्ण सूचनायें दी जानींं चाहिये, यथा संंस्था शुल्क एवं अन्य व्यय।
यहाँ तक कि यदि कैपिटल गेन्स की आय करमुक्त है तब भी ITR में बताया जाना चाहिये। ITR में एक भिन्न स्तम्भ है जहाँ कि आप करमुक्त आय के बारे में बता सकते हैं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि जितनी भी करमुक्त आय है, उन सबको ITR में बताना चाहिये, भले ही वह करमुक्त कैपिटल गेन्स ही क्यों न हों। करमुक्त आय को शेड्यूल EI में बताना चाहिये।
अब आयकर विभाग आपकी हर आय पर दृष्टि रखता है और साथ ही हर लेन-देन पर भी। विभाग साथ ही भरी गयी आयकर विवरणी (ITR) और उसके पास प्रदाता से सम्बंधित उपलब्ध सूचनाओं के बीच जाँच परख करता है और कई लोग पकड़े भी जाते हैं, जिन पर दण्ड भी लगता है। यदि आपके पास भी कैपिटल गेन्स के इस तरह के लेन-देन हैं और आपको समझ नहीं आ रहा है कि इन्हें कैसे ITR में भरें, तो अपने पास के किसी भी चार्टर्ड एकाउण्टेंट (आधिकारिक आङ्किक) से संपर्क करें, या अनेक ऑनलाईन कंपनियाँ हैं जो कि ITR भरने में सहायता करती हैं, उनकी सहायता लें।
विविध वित्तीय विषयों पर श्री विवेक रस्तोगी के लेख यहाँ चटका लगा कर देखे जा सकते हैं : विवेक रस्तोगी के लेख