Babylonian and Indian Astronomy बेबिलॉन एवं भारतीय ज्योतिष – 3

बेबीलॉन गणित साठ (60) पर आधारित गणना पर निर्भर करता है, जिसका अर्थ है कि उसमें स्थानिक मान तंत्र का आधार 60 है। बेबीलॉन की गणितीय परंपरा की यह मुख्य विशेषता मानी जाती है। बेबीलॉन नववर्ष वसन्‍त विषुव के साथ अथवा उसके अनन्‍तर आरम्भ होता है।

Babylonian and Indian Astronomy बेबिलॉन एवं भारतीय ज्योतिष – 2

भारत के प्रारम्‍भिक वर्षों में शतवर्षीय पञ्चाङ्ग का अस्तित्व था, जिसका 2700 वर्षों का चक्र होता था। इसे सप्तर्षि पञ्चाङ्ग कहा जाता था।

Metonic Cycle Vedang Jyotish! No!! : मृग ढूँढ़े वन माँहिं !

Metonic Cycle Vedang Jyotish आर्य शैली या तो दस के गुणक की है या आठ की! उन्नीस की संख्या न तो हमारी दाशमिक प्रणाली से समर्थित है न अष्टक प्रणाली से!

Babylonian and Indian Astronomy बेबिलॉन एवं भारतीय ज्योतिष – 1

वे सभी विचार मिथ्या सिद्ध हो जाते हैं जो कहते हैं कि भारतीय ज्योतिष मेसोपोटामिया या ग्रीस से भारत में प्रसारित हुई किसी धारा पर आधारित है। ज्योतिष के प्रसिद्ध विद्वान बी एल वान देर वैरडेन ने 1980 के एक पत्र Two treatises on Indian astronomy में इस विवाद पर अपने विचार प्रस्तुत किए ।

Eclipse ग्रहण का ज्योतिषीय निरूपण एवं राहु-केतु : इतिहास, ज्योतिष एवं खगोल की त्रिपुटी

Eclipse ग्रहण … समुद्र-मंथन से चन्द्रमा की उत्पत्ति, राहु-केतु के अमरत्व तथा उनके द्वारा सूर्य-चन्द्र के ग्रहण का तात्पर्य क्या है?

Balanced Scorecard छान्‍दोग्य उपनिषद : अत्स्यन्नं पश्यसि प्रियमत्त्यन्नं पश्यति प्रियं भवत्

छांदोग्य में ऋग्वैदिक दृष्टि की पुष्टि …. जो अन्न भोग करता है, जो देखता है, जो प्राण धारण करता है और जो इस ज्ञान का श्रवण करता है, वह मेरी सहायता से यह सब करता है। और जो मुझे मानते-जानते नहीं, वे नष्ट हो जाते हैं। हे प्राज्ञ मित्र ! तू सुन, तुझे मैं श्रद्धेय ज्ञान को कहती हूँ।

Revati Nakshatra – fall and rise रेवती नक्षत्र – पतन एवं पुनर्प्रतिष्ठा : कहानी मात्र कहानी नहीं !

क्योंकि प्रत्येक कहानियाँ मात्र कहानियाँ नहीं होतीं! कुछ कहानियाँ, कहानियों के अतिरिक्त भी, कुछ और भी होती हैं और रेवती नक्षत्र की कथा आर्ष भारतीय ज्योतिष के एक महान तथा विशिष्ट घटना को अभिव्यक्त करने वाला रूपक है।

मुल्ला नसीरुद्दीन, विक्रमादित्य और ज्योतिष – प्रतीकों उलझी एक कहानी

मुल्ला नसीरुद्दीन, विक्रमादित्य और ज्योतिष …सूर्य के खगोलीय-अयन से संबंधित ज्योतिष की यह घटना भारतीय साहित्य में एक रोचक कथा का रूप धारण कर चुकी थी।

Birth Date of Rani Lakshmibai रानी लक्ष्मीबाई का जन्म १८२८ या १८३५ ग्रे. [ज्योतिषां ज्योतिरेकं तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु]

मानक के रूप में जन्मतिथि है १९-११-१८३५ किन्तु एक और जन्मतिथि १९-११-१८२८ भी कही और मानी जाती है। फिर इन दोनों में सही जन्मतिथि कौन सी है?

Vishnu Puran विष्णुपुराण [पुराण चर्चा – 1, विष्णु दशावतार तथा बुद्ध – 9]

Vishnu Puran विष्णुपुराण तब अपना रूप प्राप्त कर चुका था जब परशुराम संज्ञा प्रचलित हो गयी थी, तथा राधा से सम्बंधित सम्प्रदाय अभी भविष्य के गर्भ में थे।

तीर्थंकर : अर्थ एवं काल

तीर्थंकर युधिष्ठिर की ७ पीढ़ी पश्चात सरस्वती नदी सूख गयी तथा गंगा  की अप्रत्याशित बाढ़ में हस्तिनापुर बह गया एवं पाण्डव राजा निचक्षु कौसाम्बी आ गये।

Gundestrup Cauldron

Gundestrup Cauldron Indian Connection गूण्डेस्ट्रप भगौने का भारत से सम्बन्ध

भारत से पश्चिम की दिशा में दो प्रमुख पथ थे। पहला ईरान तथा आगे की ओर, जहाँ सीरिया के संस्कृत नामधारी मितानी (Mitanni) शासक शताब्दियों तक राज्य करते रहे। दूसरा पथ यूरेशियन समभूमि तक जाने वाला मार्ग था जहाँ जाट और अन्य शक थे जो बौद्ध ग्रंथों का प्रसार चीन में, तथा पश्चिम दिशा में यूरोप में वैदिक ज्ञान का प्रसार किये।

Narad Puran नारदपुराण [पुराण चर्चा – 1, विष्णु दशावतार तथा बुद्ध – 7]

विष्णु के नयनों के जल से बिन्दुसर जिसमें स्नान से शङ्कर के हाथ से ब्रह्मा का कपाल छूटा, कपालमोचन तीर्थ बना। विष्णु काशी में बिन्‍दुमाधव नाम से विराजमान हुये

Sanskrit Riddles प्रहेलिका आलाप : Tiny Lamps लघु दीप – 17

प्रहेलिका – गुप्त, च्युत, कूट, आलाप – अन्तर्, बहिर् … आलापों के उत्तर हेतु पौराणिक घटनाओं एवं पर्यायवाचियों का ज्ञान परमावश्यक है।

खजुराहो – अतीत की वीथियां

पिताजी प्राय: कहा करते थे कि चंदेल राजवंश का अतीत बहुत गौरवशाली रहा है। समृद्ध एवं गौरवमय अतीत में झाँकने की उनकी प्रेरणा के कारण मेरे मन में बहुत इच्छा रहती थी कि अपने पुरखों की धरती ‘महोत्सव नगर’ (अब महोबा) का कभी भ्रमण करूँ। दो मित्रों श्री महेंद्र प्रताप (महोबा के मूल निवासी) और…

Valmiki Ramayan Sundarkand Valmikiya Ramayan वाल्मीकीय रामायण

वाल्मीकीय रामायण से – 35, सुन्‍दरकाण्ड [रामस्य शोकेन समानशोका]

रामस्य शोकेन समानशोका … हे वानर ! जो तुमने यह कहा कि राम का मन अन्य की ओर लगता ही नहीं एवं वे शोकनिमग्न रहते हैं, वह मुझे विषमिश्रित अमृत के समान लगा है ।

… विद्यालय खुला हुआ है!

परित्यक्त भवन में ही सही, मैंने विद्यालय खुला रखा है। कन्हैया हो या कृष्णा, पढ़ने आ सकते हैं। इस आशा के साथ कि आप का कार्यालय भी खुला हुआ है।

कृष्ण जन्माष्टमी व पुराण

कृष्ण जन्माष्टमी व पुराण

श्रीकृष्ण, एक नाम जिसने सम्पूर्ण भारत के स्नेह को स्वयं में सहस्राब्दियों से समाहित कर रखा है। कान्ह, कान्हा, कन्हैया, ठाकुर जी, रसिया, गोविन्‍द, रणछोड़, भगवान जैसे नामों से लोक में पुकारे जाते श्रीकृष्ण के विराट महामानवी रूप की परास ऐसी है कि वह प्रत्येक वय, प्रत्येक भाव, प्रत्येक कर्म को समो लेती है।