भारतीय नाम : दहियर, दहियल, ग्वालिन, दयाल, दहगल, काली सुई चिड़िया, श्रीवद (संस्कृत), दहियक(संस्कृत), कालकंठ (संस्कृत), দহিকতৰা (असमी), দোয়েল (बांग्ला), દૈયડ (गुजरती), ಮಡಿವಾಳ (कन्नड़), മണ്ണാത്തിപ്പുള്ള് (मलयाळम), दयाळ (मराठी), धोबिनी चरा (नेपाली), ਧਿਆਲ (पञ्जाबी), வண்ணாத்திக்குருவி (तमिळ)
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Capsychus saularis
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Muscicapidae
Genus: Capsychus
Species: Saularis
वर्ग श्रेणी : गाने वाली चिड़िया
Category: Song Bird
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status: LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Shedule: IV
नीड़-काल : मार्च से जुलाई तक।
Nesting Period: March to July
आकार : लगभग ७.५ इंच
Size: 7.5in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी पक्षी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : द्विरूप
Sexes: Unalike
भोजन : कीड़े-मकोड़े आदि।
Diet: Insect, Invertebrates etc.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : दहियर मानव आवास के निकट झाड़ी, उपवन-वाटिकाओं आदि में कीड़े-मकोड़े ८खोजते या किसी ऊंची शाखा पर बैठकर मधुर संगीत सुनाते देखा जा सकता है। इसके नर और मादा दोनों ही अपनी पूंछ को ऊपर उठाते हैं और एक झटके में ही नीचे गिरा देते हैं। नर का वर्ण आभायुक्त कृष्ण, अधोभाग श्वेत एवं डैने कृष्ण वर्णीय होते हैं जिन पर बड़ी श्वेत चित्तियाँ होती हैं, पूँछ लम्बी और उठी हुई होती है।
मादा का वर्ण गहन वातामी, जिस पर नीली आभा होती है। उदर का भाग किञ्चित वातामी, डैने गहन श्याव कल्छौंह जिन पर दोनों ओर तनु श्वेत वर्णीय पंख बीच में होते हैं परन्तु उनमें आभा नर जितनी नहीं होती हैं। चोंच और पैर कृष्णवर्णी होते हैं।
निवास : दहियर वाटिकाओं और मैदानों की झाड़ियों में देखा जा सकता है। इसे घने जंगल और खुले सरेह प्रिय नहीं हैं और धूप-छाँव युक्त कँटीली झाड़ियाँ अधिक रुचिकर हैं। भूमि पर भी भोजन खोजना इसे प्रिय है।
वितरण : दहियर चिड़िया भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार चीन और पाकिस्तान में भी पाई जाती है। यह भारत में ७५०० फुट की ऊँचाई तक पहाड़ों में भी पाई जाती है पर कच्छ, राजस्थान और पंजाब में कम पाई जाती है। यह बांग्लादेश का राष्ट्रीय पक्षी है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : भारत में इसके प्रजनन का समय मार्च से आरम्भ होकर जुलाई तक होता है। यह अपना नीड़ २ – ७ मीटर की ऊँचाई पर वृक्षों और भवनों के बाहरी सुरक्षित कोटरों, अट्टालिकाओं के नीचे आदि स्थानों पर बनाती है। इनका नीड़ सुन्दर होता है जिसे बनाने के लिए ये घास, तृण-मूल, पक्षियों के पंख और रेशों का उपयोग करते हैं। समय आने पर मादा इसमें ४-५ अण्डे देती है। अण्डे सुन्दर और आभायुक्त होते हैं जिनका वर्ण तनु हरित होता है एवं उन पर भूरे वर्ण की चित्तियाँ होती हैं। अण्डों का आकार लगभग ०.८७ * ०.६६ इंच का होता है।