Eurasian Collared-Dove धवल कपोतक
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Eurasian Collared Dove धवल कपोतक। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, June 07, 2020
विविध नाम
सामान्य हिन्दी भोजपुरी : ढोर फाख्ता, पण्डुक, पेंडकी, गुगी, जंगली कबूतर, धौला, कंठी होला, धवर
संस्कृत : धवल कपोतक
गुजराती : ધોળ હોલો
मलयालम : പൊട്ടൻ ചെങ്ങാലി
पञ्जाबी : ਗਾਨੀ ਵਾਲੀ ਘੁੱਗੀ
मराठी : पठाणी होला, रान होला, कंठी होला, पीठोळ होला
बांग्ला : ইউরেশীয় কণ্ঠীঘুঘু
नेपाली : कण्ठे ढुकुर
अंग्रेजी नाम : Eurasian Collared Dove, Collared Dove, Ring Dove
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name): Streptopelia decaocto
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Columbiformes
Family: Columbidae
Genus: Streptopelia
Species: decaocto
गण-जाति : थल-प्रजनन पक्षी
Clade: Upland Ground Birds
जनसङ्ख्या : वृद्धिमान
Population: Increasing
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status (IUCN): LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़-काल : वर्षपर्यन्त
Nesting Period: All year
आकार : लगभग १3 इंच
Size: 13 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : अनुपस्थित (नर और मादा अभिज्ञान में समान)
Sexual Dimorphism: Not Present (Alike)
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Eurasian Collared-Dove धवल कपोतक धवल कपोतक। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, June 17, 2020
भोजन : धरती पर पड़े हुए अन्न, बीज, शाक के टुकड़े, कीड़े-मकोड़े आदि।
Diet: Fallen seeds, vegetable matter, small ground insects such as termites and beetles.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : धवल पण्डुक के नर और मादा अभिज्ञान में समान रंग-रूप के होते हैं। इनका वर्ण किञ्चित धूसर भूरा होता है। ग्रीवा पर पार्श्व में अर्ध वलयाकार कृष्णवर्णी पट्टी होती है जिससे इसे सरलता से जाना जा सकता है। इसका आकार लगभग १३ इंच होता है। यह यहाँ का सबसे बड़ा पण्डुक है जो Spotted Dove के अनन्तर सर्वाधिक दिखाई पड़ता है। इनकी चोंच कृष्णवर्णी, नेत्र गोलक रक्तिम, और उनके ऊपर श्वेत मुद्रिका सदृश वलय, पंजों का वर्ण गहन पाटल होता है।
निवास : धवल पण्डुक को मानव आवास के निकट खेत-खलिहान और प्रस्थ क्षेत्र अधिक रुचिकर हैं। इस कारण ये घने वनों में अल्प दृष्टिगोचर होते हैं। इन्हें बहुधा युगल में या छोटे-छोटे समूहों में दाना चुगते या पेड़ों पर बैठे देखा जा सकता है। ये उड़ने में अधिक स्फूर्तिमान होते हैं।
वितरण : धवल पण्डुक हिमालय की ३००० मीटर की ऊँचाई से नीचे से लेकर सम्पूर्ण भारत में पाई जाती है। इसे शुष्क क्षेत्र अधिक रुचिकर होते हैं। भारत के अतिरिक्त यह पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार तक पाई जाती है। कहींं कहीं पर स्थानीय प्रवास भी करती है।
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Eurasian Collared-Dove धवल कपोतक। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, June 07, 2020
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : धवल पण्डुक का प्रजनन काल लगभग पूरे वर्ष भर होता है परन्तु अप्रैल-मई में प्रजनन अधिक अनुकूल होता है। निर्माण के लिए ये छोटे पेड़ों की शाखाओं, झाड़ियों का चुनाव करते हैं। भवनों या उनके आस-पास नीड़ नहीं बनाते हैं। अन्य कपोतक पक्षियों की भाँति इनका नीड़ भी तनु टहनियों और तिनकों से बना कुरूप और विकृत सा होता है। समय आने पर मादा २ श्वेत कान्तियुक्त अण्डे देती है। अण्डों का आकार लगभग १.१६ * ०.९० इंच होता है। नर एवं मादा दोनों मिलकर अण्डे सेने से लेकर बच्चों के पालन-पोषण का कार्य करते हैं।
सम्पादकीय टिप्पणी :
Eurasian Collared-Dove धवल कपोतक का स्वर स्फुट स्पष्ट तीन ध्वनियों में होता है – कू, कू, कू। अत: संस्कृत साहित्य में इसे ‘स्फुटध्वनि‘ नाम दिया गया। इस कारण ही इसे ‘छेद्यकण्ठ‘ भी कहते हैं – ध्वनि को विलग कर बोलने वाला। धन्वन्तरि लिखते हैं –
पाण्डुस्तु द्विविधो ज्ञेय: चित्रपक्ष: कलध्वनि: ।
द्वितीयो धवल: प्रोक्त: स कपोत: स्फुटध्वनि: ॥