GREATER COUCAL महोख या डुगडुगी। महोख कौवे जैसा एक बड़ा पक्षी है तथा कोयल परिवार का होते हुए भी परजीवी नहीं। यह लाल और भूरे परों वाली चिड़िया है।
हिंदी नाम: महोख, महोक, कूक, कूका, डुगडुगी, भारद्वाज/नपिता (मराठी), कुक्कुभ(संस्कृत)
वैज्ञानिक नाम: Centropus Sinensis
Kingdom – Animalia
Phylum – Chordata
Class – Aves
Order – Cuculiformes
Family – Cuculidae
Genus – Centropus
Species – Sinensis
Category – Perching Bird
Population – Stable
Migratory Status: Resident, निवासी
आकार: 50 सेमी / 19 इंच
तथ्य: कोयल परिवार का होते हुए भी उसकी तरह पराश्रयी (दूसरे के घोसले में अंडा देने वाला) नहीं।
भोजन: सूंडी, बड़े कीड़े मकोड़े, घोंघे, छिपकली, गिरगिट, छोटे चूहे, अन्य पक्षियों के अंडे आदि।
आवास: बाग, बगीचे, झाड़ी, जंगल, घास के मैदान, गांवों के पास आबादी के निकट यह भूमि पर अपना भोजन खोजती मिल जाती है।
नर / मादा: नर और मादा एक जैसे।
पहचान एवं रंग रूप: महोख कौवे जैसा एक बड़ा पक्षी है। यह लाल और भूरे परों वाली चिड़िया है। इसका रूप तथा पुच्छ की लम्बाई चौंड़ाई देख कर इसके आखेटक पक्षी होने का भ्रम हो जाता है। इसके पंख लाल भूरे, डैने धूमिल चित्तीदार तथा शरीर का शेष भाग काला होता है। इसके शरीर पर हरे और बैगनी रंग की चमक होती है। आँख की पुतली रक्त रंग, चोंच एवं टाँगे खाली होती हैं। चौड़ी चोंच नीचे को मुड़ी हुई होती है। डैने छोटे और गोलाकार होते हैं तथा लम्बी पूँछ सीढ़ी जैसी होती है। सिर, गले और सीने के पंख कड़े और खुरदरे होते हैं। यह बड़ी ही लज्जालु चिड़िया है तथा किञ्चित भी संकट की सम्भावना देखते ही तुरंत झाड़ियों या घास में घुस जाती है।
वितरण: पूरे भारत में (2000 मीटर की ऊँचाई तक हिमालय में भी), बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार तथा पाकिस्तान।
प्रजनन काल तथा घोंसला: महोख बरसात में युगनद्ध होते हैं परन्तु इसके अण्डे फ़रवरी से सितम्बर तक मिल जाते हैं। इसका घोंसला बड़ा तथा गुम्बदाकार होता है जिसमें एक ओर छेद होता है जिससे इसकी दुम बाहर निकली रहती है। इसका घोंसला जमीन से किसी भी ऊँचाई पर, झाड़ी या किसी पेड़ की द्वि-विभक्त डाली पर हो सकता है। घोंसला सूखी टहनी, हरी पत्तियाँ, सरपत या कड़ी घास से बनाया जाता है। समय आने पर मादा 3-5 अण्डे देती है। अण्डे चौंड़े और सिरों पर चिपटे होते हैं। अण्डों का रंग श्वेत तथा उन पर खड़िया मिटटी जैसा आवरण चढ़ा होता है। अंडों का आकार 1.4×1.2 इंच होता है।
लेखक: आजाद सिंह |
नमस्कार,
मेरी हिंदी लेखन में रूचि है और में प्रकृति और पर्यावरण के विषय में अधिकतर लिखता रहता हु क्या में आपके यहाँ भी अपने लेख भेज सकता हु कृपया मार्गदर्शन करे l
आनंद पटेल
भोपाल, मध्यप्रदेश
संपर्क नंबर : 8827586042
घर के पीछे झाड़ियों में कभी जैसा ही पक्षी था काफी दिनों से सोच रहा था इसका नाम क्या है आपके ब्लॉग पर इसका नाम मिला पढ़ करके बड़ी खुशी हुई आपको इसके लिए धन्यवाद
बचपन में हम इसे ईख का कौवा कहते थे। गन्ने के खेतों में छुपकर एक सुर में लगातार काफी देर तक डुग डुग जैसी आवाज निकालता रहता था। बड़ी गोलमोल सी आवाज होती है, जिसकी दिशा का अनुमान लगाना कठिन होता है।