आदिकाव्य रामायण से – 27, सुन्‍दरकाण्ड [न च मे विहितो मृत्युरस्मिन्दुःखेऽपि वर्तति]

आदिकाव्य रामायण से सुन्‍दरकाण्‍ड : जिनके अन्त:करण वश में हैं, कोई प्रिय या अप्रिय नहीं हैं,उन अनासक्त महात्माओं को नमस्कार है जिन्होंने स्वयं को प्रिय एवं अप्रिय भावनाओं से दूर कर लिया है। प्रीति उनके लिये दु:ख का कारण नहीं होती, अप्रिय से उन्हें अधिक भय नहीं होता।

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दिक्काल, चिरञ्जीवी हनुमान, ⍍t➛0 एवं हम

दिक्काल : जो उद्योगी एवं लक्ष्य आराध्य समर्पित चिरञ्जीवी हनुमान हैं न, आज उनके जन्मदिवस पर उनसे ही सीख लें। ढूँढ़िये तो अन्य किन सभ्यताओं में दिक्काल को निज अस्तित्व से मापते चिरञ्जीवियों की अवधारणा है?

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Rudy Shelduck, लाल सुरखाब, चकवा। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी की कछार, माझा, अयोध्या, फैजाबाद उत्तर प्रदेश, November 19, 2018

Rudy Shelduck, Brahminy Duck, लाल सुरखाब, चक्रवाक, चकवा

Rudy Shelduck चकवाअत्यंत प्राचीन काल से कवियों की संयोग तथा वियोगसंबंधी कोमल व्यंजनाएँ लिए यह पक्षी मिलन की असमर्थता के प्रतीक रूप में अनेक उक्तियों का विषय रहा है। अंधविश्वास, किंवदंती और काल्पनिक मान्यता से युक्त इस पक्षी की तथाकतित उपर्युक्त विशेषता ने इसे कविसमय तथा रूढ़ उपमान के रूप में प्रसिद्ध कर दिया है।

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लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness – 6 , Six Sigma

लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness : इस कर्मभूमि में जन्म ले कर भी जो धर्माचरण नहीं करता, उसे वेदविद मुनीश्वर सबसे अधम श्रेणी का बताते हैं। यह भारतवर्ष सबसे उत्तम माना जाना चाहिये, सर्वकर्मफलप्रदाता जो देवों को भी दुर्लभ है।

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Presentism सम्प्रतित्व सिद्धांत , सनातन बोध – 24

Presentism सम्प्रतित्व सिद्धांत : एक बाह्य पर्यवेक्षक के रूप में मनोविज्ञान सबसे उत्कृष्ट समझ प्रदान करता है। ये बातें सनातन सिद्धांतों की व्याख्या भर लगती है। उनका यह निष्कर्ष कि यथार्थ का हमारा विवेचन वास्तव में यथार्थ का एक संस्करण भर है, भला अनेकान्तवाद एवं माया के सिद्धांतों से कहाँ भिन्न है?

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