Buddha Purnima Brahmadanda बुद्धपूर्णिमा पर ब्रह्मदण्ड : पच्छिमवाचा
गौतम बुद्ध के अंतिम शिष्य सुभद्द थे। उन्हें दीक्षित करने के पश्चात महापरिनिर्वाणशय्या पर बुद्ध ने बिना पूछे ही आनन्द को तथागत के पश्चात संघ की दिशा क्या हो इसके बारे में बताना आरम्भ किया। इसे पच्छिमवाचा, अंतिम वाणी कहा जाता है।
पाव पौना सवा डेढ़ ढाई साढ़े षोडशी ललिता त्रिपुरसुन्दरी सिनीवाली उत्पत्ति व्युत्पत्ति
यद्यपि भारतीय गणना-पद्धति प्रारम्भ से ही दाशमिक प्रणाली आधारित रही है तथापि भारतीय गणना-कर्म में षोडश पद्धति का भी बहुत प्रचलन रहा है। षोडश पद्धति अर्थात् सोलह को आधार (base) मान कर की जाने वाली गणना। प्राचीन भारत में शास्त्रीय गणित भले दस के गुणक में चले, व्यवहार गणित तो चार, आठ, सोलह, बत्तीस की शैली में ही चला करता था जो परम्परा अभी भी पूर्णतः समाप्त नहीं हुई है।
Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 26
Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 26 विद्वानेव विजानति विद्वज्जनपरिश्रमम् ।न हि वन्ध्या विजानाति गुर्वीं प्रसववेदनाम् ॥
Common Woodshrike खरकटा लहटोरा
Common Woodshrike खरकटा लहटोरा का अधिकांश समय वृक्षों पर ही व्यतीत होता है। घास-फूस के झुरमुटों में रहने के कारण इसे खरकटा लहटोरा कहा जाता है।
Emotional intelligence भावात्मक प्रज्ञा : सनातन बोध – ७५
भावात्मक बुद्धि के उदाहरण सरल हैं -दूसरों की अवस्था समझना और यह समझना कि दूसरे जो कर रहे हैं, वैसा क्यों कर रहे हैं। और कोई भी क्षणिक प्रतिक्रिया देने से पहले वस्तुस्थिति को समझना। हमारे स्वयं की भावनाओं (संवेगों) को समझने तथा नियंत्रित करने की योग्यता के साथ साथ दूसरों की भावनाओं एवं संवेगों को समझना और उन्हें सम्मान देना भी महत्वपूर्ण हैं जिससे निर्णय लेते समय हम उनसे प्रभावित न हों ।
Crisis ahead आसन्न सङ्कट : मिथ्या-दृष्टि का ग्रहण करने से दुर्गति
Crisis ahead आसन्न सङ्कट – भय न करने की बात में भय देखते हैं, भय करने की बात में भय नहीं देखते; मिथ्या-दृष्टि से दुर्गति को प्राप्त होते हैं।
Sundarkand सुंदरकांड दृष्टा सीता – ५४ : [सर्वथा कृतकार्योऽसौ हनुमान्नात्र संशयः]
दिष्ट्या दृष्टा त्वया देवी रामपत्नी यशस्विनी॥ दिष्ट्या त्यक्ष्यति काकुत्स्थश्शोकं सीतावियोगजम्। यह सौभाग्य की बात है कि तुम श्रीराम की पत्नी यशस्विनी देवी सीता के दर्शन कर आये, अब देवी सीता के वियोग से उपजा काकुत्स्थ राम का शोक दूर हो जायेगा, यह भी सौभाग्य की बात है।