Amarkosha अमरकोश, कुछ प्रचलित शब्द : लघु दीप – ३४
पहुना, पाहुन (भोजपुरी, मैथिली आदि), संस्कृत में प्राघुणक।
प्राघूर्णिक: प्राघुणकश्च। – अभ्यागत हेतु।
अमरकोश से निकलते, कुछ प्रचलित शब्द आज के लघु दीप में।
भारती संवत : संवत्सर नाम, मास एवं तिथियाँ (१, महाश्रावण, मास तप)
भारती संवत : संवत्सर नाम – इस वर्ष अस्त के पश्चात गुरु का उदय श्रावण नक्षत्र में होगा, अत: यह संवत्सर हुआ – महाश्रावण। मास : तप-मृगशिरा।
भारती संवत में महीना पूर्णिमा से आरम्भ हो कर शुक्ल चतुर्दशी को समाप्त होगा।
तिथि का गणित वही रहेगा जो है किन्तु यदि तिथि परिवर्तन सूर्योदय से सूर्यास्त के पूर्व कभी भी हो गया तो उस दिन वह तिथि मान ली जायेगी, भले उदया न हो। उदाहरण के लिये, कल पूर्णिमा सूर्य के रहते ही हो गई थी, अत: पूर्णिमा कल की मानी जायेगी।
सहज न समुझे कोय … क॒वयो॑ मनी॒षा
आज मार्गशीर्ष की पूर्णिमा है न? आज तन्त्र के शिव-स्वरुप गुरु दत्तात्रेय का आविर्भाव-दिवस है। और मेरा मन अखिल राष्ट्र को, तन्त्र की आदि-योनि स्वरूपा त्रिकोणाकृति इस भारत-भू की समस्त सनातन भारती-प्रजा को, भगवान् श्री दत्तात्रेय जयन्ती की अनन्त-अशेष हार्दिक शुभकामनायें देते हुए यह प्रार्थना कर रहा है –
ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः। भवे भवे नातिभवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
मैं सद्योजात की शरण हूँ, सद्योजात को नमस्कार है, जन्म-जन्मान्तरों के किसी भी जन्म में मेरा अतिभव – पराभव न हो! हे भवोद्भव! आपको मेरा नमस्कार है।
Detachment अनासक्ति निर्णय कर्म : सनातन बोध – ८७
Detachment अर्थात् अनासक्ति। इसका एक निष्कर्ष यह भी है कि आसक्ति में एवं भावना में बहकर कभी अर्थपूर्ण निर्णय और कार्य नहीं किए जा सकते। सहानुभूति के साथ-साथ अनासक्त अवलोकन की कहीं अधिक आवश्यकता है। तभी उसे करुणा तथा समुचित कर्म में परिवर्तित किया जा सकता है – स्वजनों के लिए भी एवं बृहत् स्तर पर मानवता के लिए भी, अन्यथा व्यक्ति सोचता ही रह जाएगा और चिंतित भी रहेगा।
Common Kingfisher मछरेंगा, छोटा-किलकिला
छोटा किलकिला का जो वर्ण नील-हरित सदृश दिखता है वह उसके पंखों में नहीं होता है अपितु प्रकाश के इन्द्रधनुष प्रभाव जैसे बनता है और इसीलिए प्रत्येक समय प्रत्येक कोंण से यह वर्ण सदैव भिन्न-भिन्न दिखाई देता है और वर्ण परिवर्तित होता सा लगता है। इसके नेत्र प्रकाश ध्रुवीकरण (light polarization) की क्षमता से युक्त होते हैं जिस कारण इसे जल सतह पर तीव्र सूर्य प्रकाश में भी सरलता से जलीय जन्तु दिखाई देते हैं एवं इसे मज्जन कर आखेट में समस्या नहीं आती।