अन्तर्राष्ट्रीय नाम: Large Pied Wagtail, White-Browed Wagtail
हिन्दी नाम: खञ्जन, बृहद शबल खञ्जन, ममोला, काल्कण्ट
वैज्ञानिक नाम: Motacilla Maderaspatensis
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Motacillidae
Genus: Motacilla
Species: Maderaspatensis
Category: Perching Bird
Conservation Status: LC (Least Concern)
जनसँख्या: स्थिर
दृश्यता: प्राय: दिखाई पड़ने वाला
प्रवास स्थिति: प्रवासी (Resident)
आकार: लगभग ९ इंच (around 9in)
भोजन: कीड़े, कीट-पतंगे
निवास: ममोला यहाँ(भारत) का प्रसिद्ध खंजन पक्षी है। जो हमारे देश में अक्सर सभी जगहों पर दिखाई पड़ जाता है। यह अकेले या झुण्ड में नदी, तालाब, झील आदि के किनारे कीड़े पतंगों की तलाश में घूमता मिल जाता है। दुसरे खंजन प्रजाति की तरह यह भी जमीन पर फुदक कर नहीं चलता बल्कि जमीन पर भागता रहता है और थोड़ी-थोड़ी देर पर अपनी दुम उठाता गिराता रहता है और कभी-कभी ऊंचे टीले या चट्टानों आदि पर बैठ भी जाता है।
वितरण: यह बहुत ही परिचत पक्षी है जो देश छोड़कर नहीं जाता है। यह पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर लगभग हर जगह तथा हिमालय में ५००० फ़ुट की ऊँचाई तक पाया जाता है।
लैङ्गिक द्विरूपता: नर और मादा लगभग एक जैसे होते हैं। परन्तु मादा के शरीर का काला भाग चटक रंग का न होकर भूरापन लिए हुए तथा आँख की पुतली गहरी भूरी, चोंच और टांगे काली होती हैं।
पहचान एवं रंग-रूप: खंजन बहुत ही चंचल, मीठी बोली वाला और मनमोहक पक्षी है। इसका कवियों ने भी समय-समय पर अपने काव्य में वर्णन किया है। ममोला खंजन, सफ़ेद खंजन से थोडा बड़ा होता है। नर का सिर, ऊपरी सीना तथा शरीर का पूरा ऊपरी हिस्सा काला होता है। आंख के ऊपर एक चौड़ी सफ़ेद पट्टी होती है। डैने काले, परों के किनारे सफ़ेद। पूँछ काली तथा पूँछ के बाहर के दोनों पंखो का भाग अधिक सफ़ेद। शरीर के नीचे का सारा भाग सफ़ेद होता है।
प्रजनन काल तथा घोंसला: इसके प्रजनन का समय प्राय: मार्च से सितम्बर तक होता है। परन्तु कभी-कभी दिसम्बर और जनवरी में भी घोंसले मिल जाते हैं। जिससे ऐसा अनुमान है कि ये २ बार अंडे देती हैं। इनका घोंसला कप की तरह, पानी के निकट किसी भीट या चट्टान के अन्दर कुछ घास-फूस या पंखों से मिलाकर बना हुआ होता है। जिसमे मादा ३-४ अण्डे देती है। अण्डे सिरों की तरफ नुकीले तथा हेक भूरे या सफ़ेद रंग के होते हैं। जिनपर भूरे चित्तीदार धब्बे होते हैं। अण्डे सेने से लेकर बच्चों की परवरिश तक कार्य नर और मादा दोनों मिलकर करते हैं।
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