भारतीय नाम : मधुबाज़, मधुहा, शाहुतेला, मदकारे, ਮੱਖੀ ਟੀਸਾ, મધિયો, मोहोळ घार, मधुहन, தேன் பருந்து, ಜೇನುದಿನಿ, ಜೇನುಗಿಡುಗ, തേൻകൊതിച്ചി പരുന്ത്, উদয়ী মধুবাজ, Crested Honey Buzzard
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Pernis ptilorhynchus
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Accipitriformes
Family: Accipitridae
Genus: Pernis
Species: P. Ptilorhynchus
वर्ग श्रेणी : व्याध (शिकारी) पक्षी
Category: Raptor (Birds Of Prey)
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कटमुक्त
Conservation Status (IUCN): LC (Least Concern)
नीड़-काल : अप्रैल से जुलाई तक (उत्तर भारत), फ़रवरी से मई तक (दक्षिण भारत)
Nesting Period: April to July (Northern India), February to May (Southern India)
आकार : लगभग २७ इंच
Size: 27 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी, शीत ऋतु काल में प्रवासी
Migratory Status: Resident and widespread winter migrant throughout the Indian subcontinent
दृश्यता : असामान्य (अत्यल्प दृष्टिगोचर)
Visibility: Very less
लैङ्गिक द्विरूपता : उपस्थित, मादा का आकार नर से किञ्चित बृहद
Sexes: Unalike
भोजन : मुख्यतया मधु, मधुमक्खियाँ एवं उनके अण्डे व लार्वा, कीड़े-मकोड़े, कभी-कभी छोटे पक्षी, मेंढक, सरीसृप आदि।
Diet: Carnivore, Honey and the larvae, pupae and adults of socail bees, wasps and hornets from live combs, insects. Occassionally – Reptiles, Frogs, Small young or injured birds, small mammals etc.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : मधुबाज़ लगभग २८ इंच का चील-सम व्याध (शिकारी) पक्षी है जो आकाश में ऊँचाई पर चक्कर लगाता हुआ या किसी वृक्ष की सबसे ऊँची शाखा पर बैठा दिखाई पड़ सकता है। इसके वर्ण में थोड़ी भिन्नता हो सकती है। इसका उर्ध्व भाग धूसर भूरा और अधोभाग पीत भूरा वर्ण लिए होता है। ग्रीवा लम्बी किन्तु मुण्ड लघु (कपोत सम) होता है। पूँछ बड़ी, गोलाई लिए हुए और धूसर वर्ण की होती है जिसमें २ कृष्णवर्णी पट्टिकाएं होती हैं। मादा का वर्ण गहन, आकार बड़ा, नेत्र गोलक पीतवर्णी होते हैं जबकि नर के नेत्रगोलक गहन रक्तिम व पूँछ श्वेत पट्टिकाएं लिए कृष्णवर्णी होती है।
निवास व वितरण : मधुबाज़ हमारे देश का निवासी पक्षी है परन्तु भोजन के संधान में स्थान परिवर्तन करता है। मधुबाज़ को वन, उपवन, वाटिकाओं, जल स्रोतों के समीप रहना रुचिकर है। ये अधिकांशत: अकेले एवं यदा-कदा युगल भी दिखाई दे जाते हैं। इसका प्रजनन क्षेत्र मध्य साईबेरिया से लेकर मध्य जापान तक है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : मधुबाज के प्रजनन का समय अप्रैल से जुलाई तक रहता है जबकि दक्षिण भारत में फ़रवरी से ही आरम्भ हो जाता है। इस समय यह अपना नीड़ किसी वृक्ष या चट्टान पर सघन शाखाओं और पत्तों से बनाता है। मादा एक बार में २-३ अण्डे देती है। अण्डों का वर्ण पीत-श्वेताभ, भूरा, धूसर या चित्तीयुक्त हो सकता है। नर एवं मादा दोनों मिलकर बच्चों का पालन-पोषण करते हैं। अण्डों का आकार लगभग २.६ * १.७ इंच का होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी
देह व समूची चोंच के शल्कसम पर से ढके होने के कारण यह पक्षी मधु के छत्तों पर आक्रमण कर वहाँ से मोम खाने हेतु प्रकृति द्वारा अनुकूलित है। महाभारत की एक व्यङ्ग्योक्ति में मधुहा शब्द मनुष्य एवं पक्षी दोनों को इङ्गित करता है :
अमित्रः शक्यते हन्तुं मधुहा भ्रमरैरिव । यथा राजन्प्रजाः सर्वाः सूर्यः पाति गभस्तिभिः ॥
महाभारत में गरुड संतति के नामों में एक नाम ‘मधुपर्क’ भी मिलता है :
सुस्वरो मधुपर्कश्च हेमवर्णस्तथैव च । मलयो मातरिश्वा च निशाकरदिवाकरौ ॥
एते प्रदेशमात्रेण मयोक्ता गरुडात्मजाः ।
इसे शब्दकल्पद्रुम की व्युत्पत्ति ‘मधुना पर्को सम्पर्को यस्य’ द्वारा मधुहा से सम्बंधित माना जा सकता है। महाभारत में ही ‘मेघकृत्कुमुदो दक्षः सर्पान्तः सोमभोजनः’ जिसका उल्लेख ‘सोमभोजन’ नाम से है, उसे शतपथ ब्राह्मण की साक्षी ‘स॑र्वे म॑धुमन्तो भवन्त्येत॑द्वइ॑प्रत्य॑क्षा॑त्सोमरूप॑ं य॑न्म॑धु प्रत्य॑क्षा॑देवइ॒न सोमरूप॑ं करोति’ से मधुहा माना जा सकता है।
चरकसंहिता में भी इस पक्षी का मधुहा नाम से उल्लेख है :
लोपाको जम्बुकः श्येनो वान्तादश्चाषवायसौ ।
शशघ्नी मधुहा भासो गृध्रोलूककुलिङ्गकाः ॥ (१,२७.३६)
(आभार : Birds in Sanskrit Literature, K N Dave)
बहुत ही असाधारण जानकारी।
मधुपर्क मेरे लिए बिल्कुल नया नाम
लेख के लिए धन्यवाद
बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने इसके लिए आपका साधुवाद।