भारतीय तथा अन्य नाम
हिन्दी-भोजपुरी : चितला कौडियाल, कौडियाला, किलकिला
संस्कृत : शबल मीनरङ्ग , क्षत्रक, मत्स्यरङ्ग
बांग्ला : দাগযুক্ত মাছরাঙা
पञ्जाबी : ਕਿਲਕਿਲਾ
गुजराती : કાબરો કલકલીયો
मराठी : बंड्या, कवड्या खण्ड्या, कवड्या धीवर, भादुर (कोंकणी)
कन्नड़ : ಕಪ್ಪುಬಿಳಿ ಮಿಂಚುಳ್ಳಿ
तमिळ : கார்வெண் மீன்கொத்தி
मळयाळम : പുള്ളിമീൻകൊത്തി
नेपाली : छिरबिरे माटीकोरे
अङ्ग्रेजी : Pied Kingfisher, Lesser Pied Kingfisher, Ceryle rudis
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Pelargopsis capensis / Halcyon capensis
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Coraciiformes
Family: Alcedinidae
Genus: Ceryle
Species: rudis
गण-जाति : यष्टिवासी
Clade: Perching Bird
जनसङ्ख्या : अज्ञात
Population: Unknown
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status (IUCN): LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़-काल : अक्टूबर से मई तक
Nesting Period: October to May
आकार : लगभग १२ इंच
Size: 12 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : उपस्थित (नर और मादा भिन्न)
Sexual Dimorphism: Present (Male & Females are Unlike)
भोजन : मछली, मेढक आदि।
Diet: Fish, frogs etc.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप
Pied Kingfisher चितला कौडियाल हमारे यहाँ के समभौमिक भागों में जल-स्रोतों के पास पाया जाने वाला चितकबरे रंग का प्रमुख पक्षी है जिसे अधिकांशत: नदी, नाले, झील, पोखर आदि के तटीय वृक्षों पर बैठे हुए या उनके ऊपर उड़ते हुए मछली आखेट हेतु मज्जन करते देखा जा सकता है। इसकी लम्बाई लगभग १२ इंच होती है। इसके सिर के ऊपर एक कृष्णवर्णी लघु कलगी होती है और नेत्रों के ऊपर एक श्वेत धारी होती है। बड़ी कृष्णवर्णी चञ्चु के पश्चभाग से निकली काली रेखा इसके गले के परित: कृष्ण पट्टिका से मिलती है। नर और मादा में इस कृष्ण पट्टिका का ही मुख्य अंतर होता है। जहाँ नर में स्पष्ट रूप से दो काली धारियाँ होती हैं जिसमें ऊपर वाली चौड़ी और निचली कृश होती है, वहींं मादा में केवल एक ही धारी होती है और वह भी गले के पास खण्डित होती है। इसकी चोंच बड़ी और कृष्णवर्णी, पञ्जे काले तथा नेत्र गोलक गहन कल्छौंह भूरा वर्ण लिए होते हैं।
निवास
Pied Kingfisher चितला कौडियाल झील, नदी, नाले और समुद्र के तट आदि जल-स्रोतों के निकट वृक्षों पर पानी के ऊपर प्लवन करती शाखाओं पर बैठा दिखाई पड़ सकता है जहाँ यह आखेट पश्चात विश्राम करता है या जल सतह पर मज्जन कर मछली पकड़ते देखा जा सकता है। यह यहाँ की स्थाई चिड़िया है जो पूरे भारत में २५०० फीट की ऊँचाई तक पाई जाती है और देश से बाहर प्रवास नहीं करती।
वितरण
Pied Kingfisher चितला कौडियाल भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, श्रीलङ्का और म्यान्मार तक पाया जाता है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण
Pied Kingfisher चितला कौडियाल पक्षी का प्रजनन काल अक्टूबर से मई तक होता है। इस बीच ये नदी, नाले आदि के तट की ऊर्ध्व भित्ति पर १-५ फीट लम्बी सुरंग बनाकर उसके अंतिम छोर को गुहा सदृश बनाकर उसमें मछली की खाल के छिलके आदि को रखकर उसी पर अण्डे दे देते हैं। मादा एक बार में ४-६ अण्डे देती है और अण्डों का रंग कांतियुक्त श्वेत होता है और आकार लगभग १.२० * ०.९५ इंच होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी :
संस्कृत साहित्य में इसे मत्स्यरङ्ग कहा गया है, मछली हेतु रङ्ग अर्थात नृत्य करने वाला। यह जलस्रोत के ऊपर लगभग २० फीट की ऊँचाई पर उड़ता रहता है और मछली दिखते ही जल में सीधे मज्जन कर जाता है। इसे काचाक्ष (भूरी आँखों वाला) और कपर्दिक भी कहा गया – काचाक्ष: कपर्दिक: आकाशे सुचिरं भ्रांत्वा जले पतति लोष्टवत् (कल्पद्रुमकोश)। एक अन्य नाम छत्त्रक है।
[स्रोत : Birds in Sanskrit Literature, Dave, K N]
अति सुन्दर व रोचक एवं ज्ञान वर्धक लेख…
श्री आजाद सिंह जी मेरे छोटे भाई समान है व परम प्रिय मित्र भी हैं….
बहुत बहुत बधाई व शुभकामनायें…….
बहुत ही बढ़िया जानकारी
हर ज्ञिग्रासा को विस्तार देती जानकारी।बहुत ही शानदार, ज्ञानवर्धक