गिद्ध आहार शृंखला में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला पक्षी है। राजगिद्ध या Asian King Vulture भारत का प्रसिद्ध गिद्ध है। गिद्ध अपनी बलिष्ठ पाचक क्षमता तथा तीक्ष्ण दूरदृष्टि के लिए जाना जाता है। कुछ दशक पूर्व बहुलता से पाया जाने वाला प्रकृति का यह अपमार्जक आज दुखद रूप से लुप्त होने के कगार पर है।
हिन्दी नाम: राज गिद्ध, भारतीय काला गिद्ध, लाल सर गिद्ध, पांडिचेरी गिद्ध
वैज्ञानिक नाम: Sarcogyps calvus
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Accipitriformes
Family: Acipitridae
Genus: Sarcogyps
Species: Calvus
जनसँख्या: ह्रासमान
Population: Decreasing
संरक्षण स्थिति: घोर-सङ्कटग्रस्त
Conservation Status: CR (Critically Endangered)
आकार: लगभग ७६-८६ सेन्टीमीटर, पंखों का फैलाव ६.५-८.५ फुट तक, वजन ३.५-६.३ किलोग्राम तक।
Size: 76-86 cm, Wingspan 6.5-8.5 ft, Weight 3.5-6.3 kg
प्रवास स्थिति: प्रवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता: बहुत ही कम दिखाई पड़ने वाला
Visibility: Very less visible
लैङ्गिक द्विरूपता: अनुपस्थित (नर एवं मादा एकरूप)
Sexes: Alike
भोजन: मरे हुए पशुओं का सड़ा-गला मांस।
Diet: Carrion
निवास: सामान्यत: यह खुले मैदानों, खेतों, अर्ध-मरुभूमि, पर्णपाती जंगलों, हिमालय के तराई के क्षेत्र, नदी घाटियों में, समुद्र तल से २००० मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है। चिंताजनक तथ्य यह है कि भड़कीले मुख-मण्डल वाला यह गिद्ध पहले पूरे भारतीय प्रायद्वीप में पाया जाता था। परन्तु आज यह सिमट कर केवल उत्तरी भारत में रह गया है।
वितरण: भारतीय प्रायद्वीप, बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार में प्रवास करता है।
पहचान एवं रंग-रूप: राजगिद्ध एक बड़ी काली टर्की जैसा दिखाई देने वाला गिद्ध है जिसका गला, सिर एवं पैर गहरे लाल रंग के होते हैं। गला एवं सिर नंगा होता है। पूरा शरीर काला एवं उड़ान के पंखों के नीचे पीला भूरे रंग की पट्टी। नर की आँख की पुतली का रंग पाण्डुर तथा मादा में भूरे रंग की पुतली पायी जाती है। ये अधिकांशत: अकेले या २-३ की संख्या में ही पाए जाते हैं। स्वभाव से यह बहुत ही भयातुर पक्षी है।
प्रजनन काल तथा घोंसला: जोड़ा बनाने का समय दिसम्बर से अप्रैल तक होता है। यह किसी बस्ती के निकट ऊँचे वृक्ष पर टहनियों को एकत्र कर बड़ा घोंसला बनाता है। समय आने पर मादा श्वेत रंग के अण्डे देती है।
सम्पादकीय टिप्पणी
रामायणकालीन जटायु और उनके भ्राता सम्पाति को भारतवासी आज भी श्रद्धा भाव से स्मरण करते हैं। भारतवर्ष का मध्य से लेकर दक्षिण-पूर्व वन्य भाग प्राचीन काल से दण्डकारण्य नाम से भी जाना जाता है। भगवान् श्रीराम के वनवास काल का समय यहाँ व्यतीत हुआ था। रावण द्वारा माता सीता के बलात अपहरण के समय जटायु लड़ते हुए मारे गये थे। अनंतर उनके भ्राता सम्पाति द्वारा ही बंदिनी सीता की स्थिति का विवरण प्राप्त हुआ था। यहाँ ध्यान देने योग्य है कि राजगृद्ध का एक नाम पॉण्डिचेरी गिद्ध भी है। पॉण्डिचेरी दक्षिण में इसी क्षेत्र निकट है। सम्भव है कि सम्पाति एवं जटायु जिस जनजाति के रहे होंगे उसका कुलचिह्न राजगृद्ध रहा हो।
दवे अपनी पुस्तक ‘Birds in Sanskrit Literature’ में जटायु एवं सम्पाति पर इस प्रकार चर्चा करते हैं :
संस्कृत साहित्य में इसे रक्ताङ्ग, कुण्डली, सुमुख, उद्दीपक नाम दिये गये हैं। अथर्ववेद में अङ्क 7 की चर्चा में सात प्रकार के गिद्ध बताये गये हैं।
यह गिद्ध आठवें दशक तक भारत में प्रचुरता (40 लाख तक) से पाया जाता था। परन्तु नवें दशक के पश्चात रहस्यमय कारणों से अत्यंत तीव्र गति से इनकी संख्या घटने लगी । आज यह पक्षी घोर-सङ्कटग्रस्त सूची में आ गया है। विशेषज्ञों ने इस पर गंभीरता से अन्वेषण करने पर पाया कि पशुचिकित्सकों द्वारा मवेशियों को दिया जाने वाला एक रसायन डाइक्लोफिनॅक इसका कारण है। मरने से पहले यदि किसी पशु को यह दवा दी गयी होती तो मृत देह के मांस को खाने पर गिद्ध के गुर्दों पर सांघातिक प्रभाव पड़ता था। गिद्धों पर हुए इस शोध के पश्चात भारत सरकार द्वारा 2006 में डाइक्लोफेनेक रसायन को औषधि एवं कास्मेटिक अधिनियम के तहत धारा 10ए और 26ए के अन्तर्गत पशुचिकित्सा के लिये प्रतिबन्धित कर दिया गया। भारत में गिद्धों की सरंक्षण नीतियों के प्रयासों से शनैः शनैः इनकी संख्या में बढ़ोतरी को लेकर कुछ सुखद समाचार भी यदा-कदा आने लगे हैं परन्तु अभी स्थिति विकट ही है।
रोचक तथ्य: भारत में गिद्धों के लिए रेस्त्राँ भी बनाया गया है जो महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के फणसाड वन्य जीवन अभयारण्य में स्थित है।
Their Food Was Killing Them. So These Vultures Got Their Own Restaurant!
भारत में गिद्धों का पहला रेस्टोरेंट हैं यह, किसान भी करते हैं यहाँ पर बढ़िया कमाई।
Very nice and informative sir
Thanks a lot for your motivation,
Peoples should come forward to save such wonderful creatures
Very interesting article!
This endangeruos animal is so beautiful. Thank you for giving the description of this lovely bird. Really appreciate it
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