भारतीय नाम : लाल अञ्जन (भोजपुरी), लाल सैन, नदी बगलो (गुजराती) , खैर, नील बक (संस्कृत), पाणकाड्या बगळा, जांभळा बगळा (मराठी)।
वैज्ञानिक नाम: Ardea Purpurea
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Pelecaniformes
Family: Ardeidae
Genus: Ardea
Species: Purpurea
Category: Wading bird
जनसंख्या : ह्रासमान
Population: Decreasing
संरक्षण स्थिति : सङ्कटमुक्त
Conservation Status: LC (Least Concern)
नीड़ निर्माण काल : जुलाई से अगस्त तक उत्तरी भारत में, परन्तु स्थान और जलवायु के अनुसार जून से मार्च तक भी।
Nesting Period: July to August in North India, besides this depending on location and climate, can be June to March as well.
आकार: ९५ सेमी., पंखों का प्रसार १५५ सेमी., भार ०.५० कि.ग्रा. से १.4 कि.ग्रा तक।
Size: 95 cm., Wing span 155 cm., Weight 0.50 Kg to 1.4 Kg
प्रवास स्थिति : प्रवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य ( सामान्यत: दिखाई पड़ने वाला)
Visibility: Common
लैंगिक द्विरुपता : अनुपस्थित (नर तथा मादा सामान दिखने वाले)
Sexes: Alike
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
भोजन : मछली, मेंढक, छिपकली, छोटे सर्प, कीड़े-मकोड़े, कंचुकपक्ष गण आदि।
Diet: Fish, Frog, Lizards, Snakes, Amphibians, Insects, Beetle etc.
अभिजान एवं रंग-रूप : लाल अञ्जन, राखी बगुला से थोड़ा छोटा बगुला होता है। इसके ऊपर का भाग तथा ग्रीवा निल्छौंह भूरी और नीचे का भाग हल्का कत्थई रहता है। इसके सर पर कलगी और आंख के पीछे की पट्टी काली होती है। ऊपर का भाग सिलेटी, डैने के बड़े पंख निल्छौंह, सीने के बाल कोमल और श्वेत होते हैं। आंख की पुतली का रंग सुनहला पीला और आंख के आगे का थोड़ा नग्न भाग हल्का हर्छौंह और चोंच गंदली पीली होती है। टांगे हर्छौंह पीली, पूँछ छोटी, चोंच नुकीली और लम्बी, टांगे लम्बी तथा अंगूठे लम्बे और पतले जिनमें बाहर और बीच के जोड़ों पर जालपाद होता है।
निवास: यह हमारे देश का बारहमासी पक्षी है जो सभी तरह के जलाशयों, झीलों, आर्द्र भूमियों पर दिखाई देता है। यह बहुत ही शर्मीला बगुला है जो जलाशयों के बीच के खुले हुए पानी में ध्यान मग्न आखेट करता दिखाई देता है। इसे खुले स्थान कम पसंद हैं इसलिए ये पानी की घास और नरकुल जैसे जलीय वनस्पतियों से भरे तालाबों को चुनता है जहाँ इसकी लंबी ग्रीवा दूर से दिखाई दे जाती है। यह ज्यादातर अँधेरा होने पर आखेट करता है।
वितरण: इसकी पश्चिमी प्रजाति यूरोप, एशिया और अफ्रीका में तथा पूर्वी प्रजाति सम्पूर्ण भारत और श्रीलंका में पाई जाती है जो आवश्यकतानुसार स्थानीय प्रवास भी करती है।
प्रजनन काल तथा नीड़: वैसे तो इनका प्रजनन काल जुलाई से अगस्त तक का होता है परन्तु जलवायु और स्थान के अनुसार भिन्न-भिन्न स्थानों पर जून से अगले मार्च तक प्रजनन करते देखे गए हैं। प्रजनन काल में ये टहनियों का एक ढीला-ढाला, बड़ा और भद्दा सा नीड़ किसी छोटे पेड़ पर बनाता है। कई बार बहुत से बगुले एक साथ कॉलोनी में भी नीड़ बनाते देखे गए हैं। जिनमें मादा ४-५ अण्डे देती है। अण्डों का रंग हल्का निल्छौंह हरा होता है तथा आकार २.१७*१.५ इंच का होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी :
कल्पद्रुकोश में इसे नीलक्रौञ्च कहा गया है एवं लक्षणों में अति सावधान, दीर्घग्रीवा एवं नीले अङ्ग युक्त बताया गया है – नीलक्रौञ्चोऽतिजागर: । दीर्घग्रीवश्च नीलाङ्गो। इसका एक अन्य नाम कङ्केरु है। भय की स्थिति में जड़ीभूत हो जाने की प्रवृत्ति के कारण इसे निश्चलाङ्ग विशेषण दिया गया है – कङ्केरु: निश्चलाङ्ग: स्यात्। (स्रोत : Birds in Sanskrit Literature, K N Dave)
Nice informative post
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी …लेख…..keep it up …