Spotted Dove चित्रपक्ष के प्रसूति काल में मादा के कण्ठ स्थान पर दूध जैसा पदार्थ निस्सृत होता है जिसे बच्चे चोंच से पीते हैं। यह पक्षी जल भी चूस-चूस कर पीता है तथा पानी भीतर लेने के लिए अन्य पक्षियों की भाँति गले को आगे पीछे नहीं धकेलता।
भारतीय नाम : फाक्ता, पेड़की, पंडुक, पँँड़ुकी, चित्रोखा फाक्ता, टिप्केदार होला (मराठी)
अन्य नाम : Eastern Spotted Dove, Spotted Turtle Dove, Mountain Dove
वैज्ञानिक नाम : Spilopelia chinensis
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Columbiformes
Family: Columbidae
Genus: Spilopelia
Species: Chinensis
Category: Upland Ground Bird
जनसँख्या : वृद्धिमान
Population: Increasing
संरक्षण स्थिति : सङ्कटमुक्त
Conservation Status: LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़ निर्माण का समय : वर्ष भर
Nesting Period: All year round
आकार : ३०-३६ सेमी
Size: 30-36cm
प्रवास स्थिति : प्रवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दिखाई देने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : समरूप (मादा का आकार किञ्चित छोटा)
Sexes: Alike (Female is little smaller)
भोजन : अनाज के दाने
Diet: Grains etc.
अभिजान एवं एवं रंग रूप : यह भारत का बहुत ही परिचित पक्षी है जो गाँव-बस्ती के निकट भूमि पर आहार चुगते प्राय: देखा जा सकता है। इसकी लम्बाई लगभग १२ इंच तक होती है तथा मादा नर से कुछ छोटी होती है। सिर हल्का ललछौंह, गले के ऊपर श्वेत बिंदियाँ जो दोनों डैनों की ओर बड़ी हो जाती हैं। ऊपर का भाग भूरा जिस पर हलकी कत्थई एवं काली चित्तियाँ तथा रेखायें होती हैं। पूँछ के मध्य का भाग भूरा, नीचे का भाग तनु ललछौंह होता है। चोंच कल्छौंह, आँखें भूरी जिनके चारों ओर ललछौंह आभा होती है। टाँगे गहरे पाटल रंग की होती हैं।
निवास : यद्यपि इसे प्रायः हर स्थान पर देखा जा सकता है तथापि इसको खुले क्षेत्र से अधिक घने वन प्रिय हैं। यह खेत-खलिहान तथा बस्ती के निकट सर्वत्र देखा जा सकता है। यह पहाड़ों में ६००० फीट से ऊपर नहीं पाया जाता। इसे तराई क्षेत्र अधिक प्रिय है।
वितरण : यह भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार में पाया जाता है परन्तु भारतीय जाति से रंग तथा आकार में श्रीलंका व म्यांमार के पक्षियों में कुछ अंतर देखा गया है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : इसका प्रजनन काल पूरे वर्ष भर रहता है। ये नीड़ निर्माण में बहुत सावधान नहीं होते हैं। किसी पेड़ की द्विशाखी टहनी पर अस्त व्यस्त छोटे खर या लकड़ी के टुकड़े रखकर विरूप सा नीड़ बना लेते हैं। इनके नीड़ प्रायः ऊँचाई पर होते हैं परन्तु कभी-कभी झाड़ियों या घरों के छज्जों पर भी देखा गया है। मादा साल में अनेक बार अण्डे दे सकती है तथा उनकी संख्या सदैव २ होती है। अण्डों का रंग कान्तिमान श्वेत एवं आकार १.०६*०.८२ होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी :
संस्कृत साहित्य में इसे पाण्डु तथा चित्रपक्ष नाम दिये गये हैं। ध्वनि के आधार पर कलध्वनि भी कहा गया है।
पाण्डुस्तु द्विविधो ज्ञेय: चित्रपक्ष: कलध्वनि: ।
(शब्दकल्पतरु, धन्वन्तरि)दवे अपनी पुस्तक Birds in Sanskrit Literature में इसके बारे में लिखते हैं :