भोजन का सनातन दर्शन एवं आधुनिक मनोवैज्ञानिक शोध : सनातन बोध – 52
भोजन का सनातन दर्शन। क्या अन्य कार्य करते हुए भोजन करने से कोई हानि-लाभ जुड़ा है। आज के व्यस्त जीवन में भागते हुए भोजन करने पर आज का मनोविज्ञान क्या कहता है।
भोजन का सनातन दर्शन। क्या अन्य कार्य करते हुए भोजन करने से कोई हानि-लाभ जुड़ा है। आज के व्यस्त जीवन में भागते हुए भोजन करने पर आज का मनोविज्ञान क्या कहता है।
Valmikiya Ramayan अत्याचारी स्वामी के सेवक उसकी मानसिक दुर्बलताओं एवं आशंकाओं का प्रयोग उसे मतिभ्रमित कर समस्या से ध्यान हटा स्वयं को बचाने हेतु करते हैं।
आँख में तीर – अजानन्निव किं वीर त्वमेनमनुवर्तसे … आप अनुवर्तन में ही क्यों लगे हैं? वह प्रहार किये जा रहा है, आप तो केवल प्रहार के निवारण में लगे हैं?
भारतीय साहित्य हमें विज्ञान के इतिहास के सम्बन्ध में उपयुक्त एवं स्तरीय साक्ष्य उपलब्ध करवाता है। इस इतिहास की कालानुक्रमिक समय रेखा पुरातात्विक अभिलेखों से प्राप्त होती है। जिसका अनुरेखण लगभग ७००० ईसा पूर्व की एक अविभक्त परम्परा द्वारा प्रस्तुत किया जा चुका है।
कचाटोर का संस्कृत ‘शराटिका’ नाम शर/सरोवर में अट् अर्थात भ्रमण के कारण पड़ा है। बक जाति के इस पक्षी का उल्लेख अमरकोश में मिलता है। इसके अन्य नाम दात्यूह, कालकण्ठक, ध्वाङ्क्ष एवं धूङ्क्षणा हैं। कचाटोर संज्ञा की व्युत्पत्ति इस प्रकार है – कचाटु:>कचाटुर>कचाटोर। कच केश या सिर के किसी चिह्न को कहते हैं। श्वेत वर्ण के इस पक्षी का आधे गले सहित काला शिरोभाग ऐसा प्रतीत होता है मानों आग से झौंसाया सिर लिये भटक रहा हो, कचाटु: की व्युत्पत्ति इसी से है – कचेन शुष्कव्रणेन सह अटति। ध्वाङ्क्ष एवं धूङ्क्षणा नामों के मूल में मिलन ऋतु में इसका धूम घोषी स्वर है – ध्वाङ्क्ष घोर वाशिते ।
उत्तिष्ठ हरि शार्दूल। भीरुता की परिपाटी तोड़ने के लिए समय-समय पर नए हनुमान प्रस्तुत करना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। इस देश में हरि शार्दुल तभी पैदा हो पाएंगे।
Classical Hindu Law, in its various branches is probably the most detailed system of law to be discovered. Its conception of legal liability is broad and perspicuous, and although it has generally retained the eighteen divisions of topics of litigation as described by Manu, that has not in any way stinted its growth or prevented it from embracing within its range the various aspects of juridical relations which the complexity of human affairs may usually bring about.
Sanātana Darśana Monotheism Polytheism कति देवाः? आठ वसु, एकादश रुद्र, द्वादश आदित्य, इन्द्र एवं प्रजापति, कुल तैंतिस। पूरा प्रकरण एक ऐसी प्रवाहमान धारा को इङ्गित करता है जिसकी पूरी व्याख्या अब अनुपलब्ध है।
उपनिषद भौतिक लक्ष्य से परे का दर्शन है। जबकि यूनानी दर्शन (प्लेटो) अनुसार मनुष्य अपनी ऊर्जा से भौतिक जीवन के उन्नत रूपों (forms) को पा सकता है। कठोपनिषद का लक्ष्य उन्नत रूप तथा भौतिक सुख के स्थान पर आत्म-अन्वेषण, बुद्धि और परम लक्ष्य की दिशा में है। यूनानी दार्शनिकों ने सनातन दर्शन के अनेक सिद्धांतों को अपना कर उन्हें पश्चिमी जनमानस के लिए पुनर्संस्कृत किया।
शत्रु की सामर्थ्य एवं सुदृढ़ स्थिति के योग्य प्रतिरोधी समक्ष थे, सीता सब जान लेना चाहती थीं, अपनी सेना की सामर्थ्य, सबसे पहले यह कि सेना इस पार आयेगी कैसे?
प्रतीत होता है कि सौर राशि चिह्नों को आज जैसा हम जानते हैं, उनका उद्भव भारत में हुआ जहाँ उनका सम्बन्ध नक्षत्रों के अधिष्ठाता देवताओं से है।
चार दिन का है खेला रे; को नृप होंहि हमहिं का हानी को जीते हम दीर्घ लाभ नहीं देखते। संसार के किसी भी वाङ्मय में ऐसा कुछ भी अनूठा नहीं है जो हमारे यहाँ नहीं।
Vedic Aesthetics वैदिक साहित्य शृंगार अथर्ववेद;अपने हाथों तेरे भग परनीलाञ्जन, कूट, खस और मधूक। तेरा रतिजन्य खेद हर दूँ!आ! तनिक तुझे उबटन कर दूँ!!॥३॥
नकटा को जलाशयों के निकट वृक्षों पर रहना अधिक प्रिय है। अत: इसे पेड़ की बतख भी कहा जाता है। इसकी चोंच के ऊपर एक बड़ा सा उभार निकला होता है। इसी से इसका अभिजान सरल हो जाता है।
जम्मू-कश्मीर के विधान को व्यवस्थित एवं कालानुक्रमिक रूप से समझने हेतु हमें वाद-विवाद से किञ्चित हटकर समस्त निम्न प्रलेखों एवं उनसे सम्बंधित राजनैतिक घटनाक्रम के विषय में जानना अपरिहार्य है।
भारत के प्रारम्भिक वर्षों में शतवर्षीय पञ्चाङ्ग का अस्तित्व था, जिसका 2700 वर्षों का चक्र होता था। इसे सप्तर्षि पञ्चाङ्ग कहा जाता था।
ब्राज़ील के प्रोफ़ेसर पाउलो हायऐशी ने शंकराचार्य विरचित तत्वबोध और मास्लो के सिद्धांत में समानता देखी और दोनों को एक संदर्भ में अध्ययन करने का सुझाव दिया।
हमें कई असुविधाजनक प्रश्नों के समक्ष खड़े होना होगा जिनसे हम जाने अनजाने मुँह छिपा ले जाते हैं। यह भी स्पष्ट है कि हम युद्ध के लिये तत्पर नहीं हैं। हम एक थोपा हुआ युद्ध लड़ रहे हैं और अंततः विजय हमारी ही होगी। यतो धर्मस्ततो जयः।
विवाहिता नारी द्वारा बहुधा जो बातें पति से नहीं कही जातीं, देवर के माध्यम से बता दी जाती हैं – प्रियो रामस्य लक्ष्मणः, यथा हि वानरश्रेष्ठ दुःखक्षयकरो भवेत्।
Red-crested Pochard लालसर एक पनडुब्बी बतख है जो भारत का ऋतु-प्रवासी पक्षी है। शीतकाल प्रारम्भ होते ही उत्तर में पञ्जाब से लेकर दक्षिण के हैदराबाद तक आता है।