भरतस्य शपथाः (द्वितीयः भागः)

भरतस्य शपथाः (द्वितीयः भागः)

भरतस्य शपथाः (द्वितीयः भागः)।
वाल्मीकीये रामायणे भरतः श्रीरामस्य वनगमने तस्य लेशमात्रोऽपि प्रयत्नः नास्ति इति माता कौसल्यां प्रति विश्वास्यति । तदा भरतः सौगन्धरूपेण बहूनि अकर्तव्यानि पातकानि च वदति यथा — यस्य कारणाद् आर्यः श्रीरामः वनं गतः सः एतत्पापफलं प्राप्नोति, पूर्वभागतः अग्रे वयं पश्यामः।

भव्य आत्ममोह — संज्ञानात्मक असंगति

भव्य आत्ममोह — संज्ञानात्मक असंगति

भव्य आत्ममोह की पराकाष्ठा होने पर व्यक्ति अपनी दुर्बलता का आत्मावलोकन करने के स्थान पर दूसरों पर दोषारोपण करते हैं तथा दूसरों के दोषों को ढूँढने में लग जाते हैं। कुछ व्यक्तियों का तो नित-प्रतिदिन ही ऐसा करना मुख्य कार्य हो जाता है। संचार क्रांति के माध्यमों में भी यह तो नित्य ही देखने को मिलता है।

Black-breasted Weaver बंगाल बया। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, समदा झील, पण्डितपुर, अयोध्या-224188, उत्तर प्रदेश, January 02, 2021

Black-breasted Weaver बंगाल बया

रोचक तथ्य यह है कि नर के द्वारा नीड़ निर्माण ही प्रजनन और युगल हेतु किया जाता है। इनमें नर बहु पत्नीक (polygynous)होता है। इसलिए जैसे ही किसी एक नीड़ में मादा अण्डे देती है। नर अन्य नवीन नीड़ निर्माण में संलग्न होता जाता है।

Social identity theory, US vs THEM

Social identity theory सामाजिक समरूपता सिद्धान्त

यदि निष्पक्ष भाव से प्रश्न करें तो एक स्वाभाविक प्रश्न मन में उठता है कि संकीर्ण मानसिकता तथा कुण्ठित विचारधारा के व्यक्ति अपने घृणित मत को भी सत्य सिद्ध करने के लिए कैसे किसी भी स्तर तक पतित हो जाते हैं। भला यह किसी प्रकार की दुराग्रही प्रवृत्ति है जो व्यक्ति को घृणा से अंधा…

भरतस्य शपथाः (प्रथमः भागः)

भरतस्य शपथाः (प्रथमः भागः)

वाल्मीकीये रामायणे बहुषु स्थानेषु तत्समये किम्कर्तव्यम किमकर्तव्यम् इति शिक्षा मिलति, परस्पर द्वयोः जनयोः सम्वाद रूपे लेखकस्य स्वगतविचारे वा । यथा अयोध्याकाण्डे श्रीरामः पितुः वचनानुसारेण स्वराज्याभिषेकं त्यक्त्वा सीतालक्ष्मणौ सह वनं प्रति गच्छति । भरतः कैकय राज्यात् अयोध्यायां आगमने महाराज दशरथस्य देहान्तं श्रीरामस्य वनगमनं च शृणोति स्म । सः कैकय्याः दुष्कृत्याय जननीं कुत्सयति स्वाक्रोशं च प्रदर्शयति

Do educated Muslims ever wonder why Muslims fight with every religion around the world?

(सिर्फ़) अल्लाह ही ‘बेस्ट’ जानता है? God Knows Best? पढ़ा लिखा मुसलमान!!

मैंने एक बार एक हिजाब धारण करनेवाले पोस्ट-डॉक्टोरल शोध विद्वान से पूछा क्या वह मानती है कि स्वामी विवेकानंद जैसे उत्कृष्ट हिंदुओं को भी अनन्त काल के लिए नरकाग्नि में डाल दिया जाएगा? मैंने उससे यह भी कहा कि जिस धर्म में मैं पली-बढ़ी हूं, वह इस्लाम जैसा ही दृष्टिकोण रखता है, लेकिन मैं अब उसे नहीं मानती।

उसका संक्षिप्त उत्तर था: “अल्लाह सबसे अच्छा जानता है।”

Black-hooded oriole पिरोला। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू, आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, October 08, 2019

Black-hooded oriole पिरोला

पीलक या पिरोला या हरदुआ कान्तिमान पीत वर्ण का का एक सुन्दर पक्षी है। जिसका सिर, डैना और पूँछ श्याम वर्ण की की होती है। यह अत्यंत चपल, तेज और चञ्चल पक्षी है। कोलहल रव करते हुए उपस्थिति प्रदर्शित करता है।

विमूढा नानुपश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुष:

विमूढा नानुपश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुष: – सनातन बोध -८५

संसार में ज्ञान का अभाव नहीं है, प्रत्यक्ष प्रमाणों का भी नहीं है। परंतु ज्ञान का अनुभव में आना सदा ही दुष्कर रहा है। विज्ञान सहित ज्ञान किस प्रकार दुर्लभ है, इस पर भगवान स्वयं कहते हैं –
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये । यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः ॥
अर्थात् सहस्रो मनुष्यों में कोई एक वास्तविक सिद्धिके लिये प्रयत्न करता है और उन प्रयत्नशील साधकों में भी कोई ही यथार्थ तत्त्व से जान पाता है।

Twenty Lakh Crore बीस लाख करोड़, मनु, कौटल्य, रामायण व महापद्मनन्द

Twenty Lakh Crore बीस लाख करोड़, मनु, कौटल्य, रामायण व महापद्मनन्द

मगध के नन्द वंश का एक राजा महापद्म क्यों कहा जाता था? क्योंकि उसके राजकोश में उतनी स्वर्णमुद्रायें थीं किन्तु उनका उपयोग जनहित हेतु न होने से असन्तोष की स्थिति थी जिसका दोहन कर कौटल्य ने नन्दवंश के स्थान पर चन्द्रगुप्त हो आसीन किया। चाणक्य नीति एवं कौटल्य के अर्थशास्त्र से आरम्भ कर रामायण तक जाने एवं पुन: कौटल्य तक लौटने का उद्देश्य यह है कि आप अपने शास्त्र आदि पढ़ें जिससे परम्परा की निरंतरता का ज्ञान हो।

Jungle Babbler/Seven Sisters सतबहिनी चरखी। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी तट, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, March 07, 2017

Jungle Babbler Seven Sisters सतबहिनी चरखी : Argya striata

सतबहिनी चरखी भारत का बारहमासी पक्षी है और लगभग १० इंच के इस चञ्चल पक्षी को पूरे भारत के गाँवों के खेत खलिहान, उद्यानों एवं जंगलो में भूमि पर भोजन खोजते या पेड़ों की निचली शाखाओं पर कलरव कोलाहल (हहोलिका नाम इस कारण से) करते ७-१० के झुण्ड में देखा जा सकता है।

Ayodhya lights, Deepotsav with 5,84,572 diyas Guinness world record. November 2020. (C) Ajad Singh, Ayodhya

दीपावली पर्व विविध

समाज के एकीकरण के लिये भारत में ४ राष्ट्रीय पर्व हैं – होली, दुर्गापूजा, दीपावली एवं रक्षा-बन्धन। समाज में व्यवसायों की उन्नति के लिये भी ४ वर्ण थे – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्म विभागशः (गीता, ४/१३)

Do Animals have Moral मानवेतर जीव-चेतना

Do Animals have Moral मानवेतर जीव-चेतना? : सनातन बोध – ७८

क्या अन्य जीवों को भी अनुभूति होती है? क्या वो भी सोच पाते हैं? ये प्रश्न या तो अन्य परम्पराओं में उठे ही नहीं या इनका उत्तर सकारात्मक नहीं रहा। वहीं इन प्रश्नों का उत्तर सनातन दर्शन में सहज ही स्पष्ट है।

प्रागैतिहासिक : शब्द – ४

प्राक्+ इतिहास में क् के बाद इ आने पर क् अपने तृतीय ग् में परिवर्तित हो गया। इस तरह यह प्राग् बना। इतिहास में ठक् प्रत्यय होने से इ ऐ में परिवर्तित हो गया और बना ऐतिहासिक। प्राग्+ ऐतिहासिक = प्रागैतिहासिक ।

Red-vented Bulbul (Juvenile) गुल्दुम बुलबुल (किशोर)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का किनारा, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, June 27, 2020

Red-vented Bulbul कलसिरी बुलबुल गुल्दुम, Pycnonotus cafer

Red-vented Bulbul गुल्दुम बुलबुल की पूँछ का अंतिम छोर श्वेत वर्ण व मूल भाग का वर्ण गहन रक्त वर्णीय होता है। जिससे इसका अभिज्ञान अत्यंत सरल है। इसकी आक्रामक (झगड़ालू) प्रवृत्ति के कारण ही एक समय इसको लोग लड़ने के लिए पालते भी थे।

शुन:शेप आख्यान ज्योतिष वेद यज्ञ यजुर्वेद खगोल विज्ञान

शुनःशेप ऐतरेय ब्राह्मण आख्यान : ठिठके प्रश्न, भटकते उत्तर

एक था शुनःशेप, वरुण की वेधशाला का अभ्यर्थी, जिसे स्वयं नहीं ज्ञात था कि वह अभ्यर्थी भी है और दूसरे थे वरुण की वेधशाला के वर्तमान कुलपति ऋषि विश्वामित्र जो अभ्यर्थी की परीक्षा ले रहे थे।

धम्मदीक्षा दास हेतु नहीं – न भिक्खवे दासो पब्बाजेत्तब्बो

धम्मदीक्षा दास हेतु नहीं – विकृत एवं मिथ्या दृढ़कथन व मान्यतायें। वैश्विक स्तर पर राजनीतिक एवं स्वार्थी आग्रहों से बँधी अकादमिकी का यही सच है। 

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि : शब्द – ३

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि – सङ्कर्षण – सम्यक् कृष्यते इति सङ्कर्षण। नीलाम्बरो रौहिणेयस्तालाङ्को मुसली हली। सङ्कर्षणो सीरपाणि: कालिन्दीभेदनो बल: ॥

A Soldier

चीनी वस्तुओं का बहिष्कार Boycott Chinese Goods कैसे करें?

इण्टरनेट है, गुगल खोज उपलब्ध है; जब आप एक योद्धा की भाँति स्थिरचित्त व दृढ़निश्चयी होंगे तो विकल्प ढूँढ़ ही लेंगे। इस कारण ही पहले मन का संस्कार आवश्यक है। चीनी मन आप से अधिक स्थिर, दृढ़ व सातत्ययुक्त है; उसकी विविध क्षेत्रों में प्रगति ही प्रमाण है। ‘हजार की यात्रा एक पग से’ को उन्होंने दशकों से अपना रखा है।