Valmikiya Ramayan वाल्मीकीय रामायण-42, सुन्दरकाण्ड [समर्थोऽर्थसाधने]
Valmikiya Ramayan : लघुतम कर्म की भी सिद्धि के लिये भी कोई एकल साधक हेतु नहीं। किसी कार्य को जो बहुविध सिद्ध करना जानता हो, कार्यसाधन में वही समर्थ होता है।
Valmikiya Ramayan : लघुतम कर्म की भी सिद्धि के लिये भी कोई एकल साधक हेतु नहीं। किसी कार्य को जो बहुविध सिद्ध करना जानता हो, कार्यसाधन में वही समर्थ होता है।
आज जब कि युद्ध के उपादान, समय, क्षेत्र, अवधि, माध्यम आदि में विशाल विविधता आ चुकी है, सुरक्षा की ‘सकल स्थिति’ पर विचार करने की आवश्यकता है।
Classical Hindu Law, in its various branches is probably the most detailed system of law to be discovered. Its conception of legal liability is broad and perspicuous, and although it has generally retained the eighteen divisions of topics of litigation as described by Manu, that has not in any way stinted its growth or prevented it from embracing within its range the various aspects of juridical relations which the complexity of human affairs may usually bring about.
बबूना लगभग ४ इंच की एक छोटी सी सुन्दर एवं बहुत ही चञ्चल चिरैया है। इसके नेत्रों के ऊपर एक श्वेत वलय होता है। शरीर का वर्ण पीत-हरिताभ पराग कण सम होता है।
White Breasted Kingfisher, White Throated Kingfisher, Smyrna Kingfisher, किलकिला, श्वेतकंठ कौडिल्ला, चंद्रकांत मीनरंक, धीवर। भारत का एक सुन्दर सा पक्षी है। सुन्दर रंगों को लिए ये पक्षी शोरगुल भी बहुत करता है। पढ़िए इस बार आजाद सिंह की अवधी चिरईया शृंखला में इसके बारे में।
अपरिग्रह एवं Paradox of Choice : अत्यधिक संचय एवं जहाँ आवश्यक नहीं हो वहाँ भी अधिक से अधिक विकल्पों को एकत्रित कर रखना। वस्तुयें हों या विचार या व्यक्ति – सञ्चय एवं आसक्ति। अपरिग्रह से पहले के चार यम कुछ इस प्रकार हैं जो मानों हमें अपरिग्रह की इस अवस्था के लिए सन्नद्ध कर रहे हों।
काली पुतली, रक्ताभ कोर वाली स्वच्छ सुंदर आँखों की फड़कन का सौंदर्य दर्शाने के लिये आदिकवि ने अद्भुत कोमल प्रभावमयी उपमा का सहारा लिया है – सजल आँखें सरोवर भाँति जिसमें कमल एवं तैरती मछली, सहसा ही चित्र खिंच जाता है। क्षण को शब्दकारा में बन्दी बना लेना इसे कहते हैं।
प्रत्येक वर्ष प्रतिपदा चै. शु. 1 युगादि नवसंवत्सर आता है, बैसाखी आती हैi देश में विविध नामों से नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। लोग यह प्रश्न भी पूछते हैं कि यह क्या चक्कर है? कुछ पञ्चाङ्ग व पण्डितों को कोसने भी लगते हैं। कोई चक्कर वक्कर नहीं है बल्कि अनेक नववर्ष भारत की प्राचीनता एवं रंग बिरंगे वैविध्य के प्रमाण हैं।
आकाश में बृहस्पति एवं उसके समान पाँचेक अन्य भी हैं, किन्तु अपने विशेष पराक्रम में रुचि रखने वाला शिरमात्र शेष राहु उनसे वैर न करके परम तेजस्वी सूर्य एवं चन्द्र को ही ग्रसता है।
Black Kite Common Pariah Kite चील। जिसे आकाश में उड़ने के कारण ‘अकासी’ भी कहते हैं, भारत की बहुत प्रसिद्ध चिड़िया है। जो हमें रोज अपने घरों के ऊपर उड़ती हुई दिख जाती है। यह लगभग सम्पूर्ण भारत में दिखाई पड़ती है। इस बार आजाद सिंह जी का लेख इसी जानी-पहचानी चिड़िया पर।
अरुण उपाध्याय जी द्वारा इस लेख में भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग के विषय में आधारभूत जानकारियां बहुत ही सरल शैली में बताई गयी हैं।
विकल्प-मानक-आदर्श सनातन बोध पिछले भाग से आगे पारंपरिक सामाजिक मूल्यों एवं आधुनिक भौतिक एवं व्यावसायिक मानकों के तुलनात्मक अध्ययन में आधुनिक मान्यताओं की कई भ्रान्तियाँ स्पष्ट होती हैं, यथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सबसे बड़ा सुख मान लेना! व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विकल्पों की अधिक से अधिक उपलब्धि पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डेनियल गिल्बर्ट का रोचक…