आत्मनिर्भर : शब्द – १

विगत दिनों माननीय प्रधानमंत्री ने देश के नागरिकों के समक्ष आत्मनिर्भर होने का विचार व्यक्त किया। आत्मनिर्भर शब्द को समझने का हम प्रयास करते हैं।

Nīti-Sāraḥ नीतिसार

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 27

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 27 ऋग्वेद दस मण्डलों में विभाजित है। एक अन्य विभाजन चतुरङ्ग के वर्गों का आधार ले आठ अष्टकों का भी है।

Crisis ahead आसन्न सङ्कट : मिथ्या-दृष्टि का ग्रहण करने से दुर्गति

Crisis ahead आसन्न सङ्कट : मिथ्या-दृष्टि का ग्रहण करने से दुर्गति

Crisis ahead आसन्न सङ्कट – भय न करने की बात में भय देखते हैं, भय करने की बात में भय नहीं देखते; मिथ्या-दृष्टि से दुर्गति को प्राप्त होते हैं।

पाव पौना सवा डेढ़ ढाई साढ़े षोडशी ललिता त्रिपुरसुन्दरी सिनीवाली उत्पत्ति व्युत्पत्ति

पाव पौना सवा डेढ़ ढाई साढ़े षोडशी ललिता त्रिपुरसुन्दरी सिनीवाली उत्पत्ति व्युत्पत्ति

यद्यपि भारतीय गणना-पद्धति प्रारम्भ से ही दाशमिक प्रणाली आधारित रही है तथापि भारतीय गणना-कर्म में षोडश पद्धति का भी बहुत प्रचलन रहा है। षोडश पद्धति अर्थात् सोलह को आधार (base) मान कर की जाने वाली गणना। प्राचीन भारत में शास्त्रीय गणित भले दस के गुणक में चले, व्यवहार गणित तो चार, आठ, सोलह, बत्तीस की शैली में ही चला करता था जो परम्परा अभी भी पूर्णतः समाप्त नहीं हुई है।

Sundarkand सुंदरकांड दृष्टा सीता – ५४ : [सर्वथा कृतकार्योऽसौ हनुमान्नात्र संशयः]

दिष्ट्या दृष्टा त्वया देवी रामपत्नी यशस्विनी॥ दिष्ट्या त्यक्ष्यति काकुत्स्थश्शोकं सीतावियोगजम्। यह सौभाग्य की बात है कि तुम श्रीराम की पत्नी यशस्विनी देवी सीता के दर्शन कर आये, अब देवी सीता के वियोग से उपजा काकुत्स्थ राम का शोक दूर हो जायेगा, यह भी सौभाग्य की बात है।

Buddha Purnima Brahmadanda बुद्धपूर्णिमा पर ब्रह्मदण्ड : पच्छिमवाचा

Buddha Purnima Brahmadanda बुद्धपूर्णिमा पर ब्रह्मदण्ड : पच्छिमवाचा

गौतम बुद्ध के अंतिम शिष्य सुभद्द थे। उन्हें दीक्षित करने के पश्चात महापरिनिर्वाणशय्या पर बुद्ध ने बिना पूछे ही आनन्द को तथागत के पश्चात संघ की दिशा क्या हो इसके बारे में बताना आरम्भ किया। इसे पच्छिमवाचा, अंतिम वाणी कहा जाता है।

Reiki - Emotional Intelligence

Emotional intelligence भावात्मक प्रज्ञा : सनातन बोध – ७५

भावात्मक बुद्धि के उदाहरण सरल हैं -दूसरों की अवस्था समझना और यह समझना कि दूसरे जो कर रहे हैं, वैसा क्यों कर रहे हैं। और कोई भी क्षणिक प्रतिक्रिया देने से पहले वस्तुस्थिति को समझना। हमारे स्वयं की भावनाओं (संवेगों) को समझने तथा नियंत्रित  करने की योग्यता के साथ साथ दूसरों की भावनाओं एवं संवेगों को समझना और उन्हें सम्मान देना भी महत्वपूर्ण हैं जिससे निर्णय लेते समय हम उनसे प्रभावित न हों ।

Search engine optimization art सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन हेतु लेख लिखने की कला

Search engine optimization art सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन हेतु लेख लिखने की कला

गूगल सर्च इंजन लेख के शीर्षक, यूआरएल, प्रथम पैरा के वाक्य लेख के कीवर्ड आदि से लेख के विषय को तौलने का प्रयास करता है। इसी से निश्चित करता है कि कौन से लेख किस विषय से सम्बंधित हैं और कितने अधिक सम्बंधित हैं जिन्हें किसी और के द्वारा ढूंढें जाने पर परिणाम में दिखाना है और किस क्रम में दिखाना है।

Sundarkand सुंदरकांड उत्तरं पारं – ५३ : [रामदर्शनशीघ्रेण प्रहर्षेणाभिचोदितः]

हनुमान सागर को एक विशाल जलपोत की भाँति पार कर रहे हैं। आकाश, क्षितिज और सागर मिल कर कैसा दृश्य उपस्थित कर रहे हैं!
सूर्य और चन्द्र दोनों दिख रहे हैं।

Small Minivet (Male) सहेली (नर)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, March 03, 2020

Small Minivet सहेली

सहेली लगभग ६ इंच का छोटा सा सुन्दर पक्षी है जो युगल में या लघु झुण्ड में पेड़ों के ऊपर फुदकते हुए देखा जा सकता है। इसकी चोंच और पंजे कृष्ण वर्णीय तथा नेत्र गोलक भूरा होता है।

Hindu Time Reckoning हिन्दू कालगणना : कालः स ईयते परमो नु देवः

Hindu Time Reckoning हिन्दू कालगणना, ग्रहों को अहोरात्र की होराओं का स्वामित्व नहीं सौंपा गया था। कालनिर्धारण की सबसे सटीक काल-यंत्र पृथ्वी ।

बोलिये सुरीली बोलियाँ

बोलिये सुरीली बोलियाँ – भारत के पाँवों में शिलाओं के समान बँधे हुये भारी शब्दों पर विचार व मनन होने चाहिये एवं आवश्यकता पड़े तो उनका त्याग भी। हम सभी विनाश के सम्मोहन में पड़े हुये विकास, अभ्युदय, कल्याण आदि के प्रलाप करते हुये अनियंत्रित, अमर्यादित,अनियोजित लड़खड़ाते हुये चले जा रहे हैं। ऐसे में भारत तिल तिल मरता व मारा जाता रहेगा।

Consciousness चैतन्य व योगवासिष्ठ : सनातन बोध – ७४

Consciousness चैतन्य व योगवासिष्ठ समुद्र-तरंग, सर्प-रस्सी, घट-आकाश, यन्त्र पुतली, अनेक स्वाँग धरने वाला नटुआ, वर्षाकाल का एक ही मेघ नानारूप। वस्तुओं और घटनाओं का स्वरूप मस्तिष्क द्वारा निर्मित होता है। इसका अर्थ यह नहीं कि वे वस्तुयें हैं नहीं परंतु यह है कि वे हमारे मस्तिष्क के लिए उस आभासी रूपों में हैं जिनमें उन्हें वह देखना चाहता है।

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CoVid-19 Information Stress कोरोना महामारी समाचार और मानसिक तनाव

महत्त्वपूर्ण है कि प्रतिकूल समाचारों को सकारात्मक समाचारों तथा अध्ययनों से संतुलित करना। अधिकारिक एवं प्रामाणिक समाचारों (Aarogya Setu) पर ही विश्वास करना तथा दिनचर्या में समाचारों के लिए भी एक समय सीमा निर्धारित करना। यदि मानव मस्तिष्क समाचारों से सचेत एवं चिंतित होने के आदी हैं तो ऐसे में समाचारों के स्रोत को छानना भी स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है।

मृत्योर्माऽमृतङ्‍गमय

मृत्योर्माऽमृतङ्‍गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय : COVID-19 और भारत

मानवता के सामने आये कठिनतम समय का उजला पक्ष यह है कि मृत्योर्माऽमृतङ्‍गमय, और तमसो मा ज्योतिर्गमय के संदेश का देश आशामय है और संसार की सर्वाधिक गहन तथा दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या के बावजूद न केवल रोग को नियंत्रण में रखे हुए है बल्कि अपने देश के साथ-साथ पड़ोसी देशों के नागरिकों को भी आपदाग्रस्त देशों से सफलतापूर्वक बाहर निकालकर लाया है।

Sundarkand सुंदरकांड

Sundarkand सुंदरकांड – ५२ : विदा दें [सा निर्दहेदग्निं न तामग्निः प्रधक्ष्यति]

Sundarkand सुंदरकांड – ५२ : स्वयं को धिक्कारते चले गये, यदि दग्धा त्वियं लङ्का नूनमार्याऽपि जानकी। दग्धा तेन मया भर्तुर्हितं कार्यमजानता॥