Agni Puran अग्निपुराण [पुराण चर्चा – 1, विष्णु दशावतार तथा बुद्ध – 6]
Agni Puran अग्निपुराण : अश्वशिर (हयग्रीव) एवं दत्तात्रेय, दो अन्य नाम हैं जो अन्य पुराणों की अवतार सूचियों में उपस्थित रहे हैं।
Agni Puran अग्निपुराण : अश्वशिर (हयग्रीव) एवं दत्तात्रेय, दो अन्य नाम हैं जो अन्य पुराणों की अवतार सूचियों में उपस्थित रहे हैं।
Chronic pain : पश्चिमी चेतना के चिकित्सा वर्ग हेतु इन सिद्धांतों को समझना कठिन है। स्वीकृति को सरलता से अवसाद या निराशा समझ लिया जा सकता है ।
Lion Lights देश विदेश की राजनीति, क्रिकेट, सिनेमा, जाति उत्थान आदि, ढेर सारी बड़ी भारी समस्याओं के बीच से यह लघु प्रश्न चीख रहा है, आप उत्तर देंगे?
श्वेत या तनु पीताभ आँखों की पुतलियों के कारण ही इसे पुण्डरीकाक्ष कहा गया है। श्येन सम किसी भी पक्षी की आँखें ऐसी नहीं होतीं।
Nalanda University We often say or hear such things. But is it true? Is Indian education system so weak? Are we really lagging behind? Is it inferiority complex that forces us to have atleast-some-kind-of- FORAN -connection so that people around us, our own people don’t look down upon us.
काल राजा का कारण है अथवा राजा काल का? ऐसा संशय तुम्हें नहीं होना चाहिये। यह निश्चित है कि राजा ही काल का कारण होता है। जिस समय राजा दण्डनीति का सम्यक एवं पूर्ण प्रयोग करता है, उस समय (राजा से प्रभावित) काल कृतयुग की सृष्टि करता है।
हमारा वर्तमान हमारे भूतकाल के विचारों से निर्मित होता है। हमारे वर्तमान के विचार हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं। हमारा जीवन एक मानसिक सृष्टि है। – बुद्ध
मारुति का श्रीराम के गुह्य अङ्गों का अभिजान देवी सीता के मन में विश्वास दृढ़ करने में सहायक हुआ कि यह अवश्य ही उन्हीं का दूत है, कोई मायावी बहुरूपिया राक्षस नहीं। आगे हनुमान स्वयं कहते भी हैं – विश्वासार्थं तु वैदेहि भर्तुरुक्ता मया गुणा:। आदि कवि भी पुष्टि करते हैं – एवं विश्वासिता सीता हेतुभि: शोककर्शिता, उपपन्नैरभिज्ञानैर्दूतं तमवगच्छति।
Original sin स्वपन देबबर्मा : एक रश्मि सबको जोड़े हुये है, विविध मत मतान्तर आदि में व्याप्त है। वह रश्मि है – मनुष्य की मौलिक अच्छाई पर चरम विश्वास।
गिद्ध आहार शृंखला में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला पक्षी है। राजगिद्ध या Asian King Vulture भारत का प्रसिद्ध गिद्ध है। कुछ दशक पूर्व बहुलता से पाया जाने वाला प्रकृति का ये अपमार्जकआज दुखद रूप से लुप्त होने के कगार पर खड़ा है। इस बार पढ़िए आजाद सिंह जी के लेख में।
संस्कृत सरल – 1 : प्रश्नवाचक वाक्य। भवान् कथं अस्ति ? – आप कैसे हैं ?
पुराण एवं इतिहास बोध : अपनी श्रद्धा, मान्यतायें, आग्रह, अहङ्कार, ममत्व; सब किनारे रख पढ़ें। आप नारद हो जाते हैं, जिससे कि कुछ नहीं छिपा। एक एक शब्द, एक एक घटना आप को अनंत से जोड़ने लगती है। जो अशुभ होगा, अवांछित लगेगा; वह भी वहाँ सोद्देश्य है। कहा भी गया है कि सित एवं असित दोनों से संसार है, उनसे ही पुराण हैं।
सारस जैसा दिखाई देने वाला ये विशालकाय बगुला दिन और रात में समान रूप से देखने की क्षमता रखता है। प्रजनन के लिए नर की रूचि हर बार नयी मादा में ही होती है। पुराने समय में पश्चिमी जगत में ऐसी मान्यता भी थी कि यदि पूर्णिमा की रात्रि में इसका शिकार करके इसकी चर्बी प्रयोग में ली जाये तो संधिवात (गठिया) रोग को सही करता है। कभी-कभी यह अपने शिकार (मछली) आदि को एक बार में ही निगल जाता है जो इसके गले में फंस जाता है। इसके अच्छे शिकारी कौशल को देखते हुए मध्यकाल में इसका प्रयोग शिकारियों द्वारा प्रशिक्षण देकर किया जाता था।
Tiny lamps लघु दीप : सरल हिन्दी अर्थ सहित, अङ्गभेद से उपनिषदों के पाँच शांतिपाठ
Procrastination टालमटोल – विद्यार्थीं कुतो सुखः? – विद्यार्थियों का सन्दर्भ है तो इस शोधपत्र को विश्वविद्यालय में न्यूनतम उपस्थिति की अनिवार्यता के विरोध में प्रदर्शन एवं दीर्घ काल तक विश्वद्यालय में ही पड़े रहने के समाचारों से जोड़कर देखें तो?
White Breasted Kingfisher, White Throated Kingfisher, Smyrna Kingfisher, किलकिला, श्वेतकंठ कौडिल्ला, चंद्रकांत मीनरंक, धीवर। भारत का एक सुन्दर सा पक्षी है। सुन्दर रंगों को लिए ये पक्षी शोरगुल भी बहुत करता है। पढ़िए इस बार आजाद सिंह की अवधी चिरईया शृंखला में इसके बारे में।
अपरिग्रह एवं Paradox of Choice : अत्यधिक संचय एवं जहाँ आवश्यक नहीं हो वहाँ भी अधिक से अधिक विकल्पों को एकत्रित कर रखना। वस्तुयें हों या विचार या व्यक्ति – सञ्चय एवं आसक्ति। अपरिग्रह से पहले के चार यम कुछ इस प्रकार हैं जो मानों हमें अपरिग्रह की इस अवस्था के लिए सन्नद्ध कर रहे हों।
Rudy Shelduck चकवाअत्यंत प्राचीन काल से कवियों की संयोग तथा वियोगसंबंधी कोमल व्यंजनाएँ लिए यह पक्षी मिलन की असमर्थता के प्रतीक रूप में अनेक उक्तियों का विषय रहा है। अंधविश्वास, किंवदंती और काल्पनिक मान्यता से युक्त इस पक्षी की तथाकतित उपर्युक्त विशेषता ने इसे कविसमय तथा रूढ़ उपमान के रूप में प्रसिद्ध कर दिया है।
आदिकाव्य रामायण से सुन्दरकाण्ड : जिनके अन्त:करण वश में हैं, कोई प्रिय या अप्रिय नहीं हैं,उन अनासक्त महात्माओं को नमस्कार है जिन्होंने स्वयं को प्रिय एवं अप्रिय भावनाओं से दूर कर लिया है। प्रीति उनके लिये दु:ख का कारण नहीं होती, अप्रिय से उन्हें अधिक भय नहीं होता।
Presentism सम्प्रतित्व सिद्धांत : एक बाह्य पर्यवेक्षक के रूप में मनोविज्ञान सबसे उत्कृष्ट समझ प्रदान करता है। ये बातें सनातन सिद्धांतों की व्याख्या भर लगती है। उनका यह निष्कर्ष कि यथार्थ का हमारा विवेचन वास्तव में यथार्थ का एक संस्करण भर है, भला अनेकान्तवाद एवं माया के सिद्धांतों से कहाँ भिन्न है?