मुस्लिम फैज़ खान को अयोध्या भूमि पूजन में भाग नहीं लेना चाहिये
मुस्लिम फैज़ खान को अयोध्या भूमि पूजन में भाग नहीं लेना चाहिये, AS A MUSLIM, FAIZ KHAN SHOULD NOT BE PART OF BHOOMI PUJAN IN AYODHYA – Maria Wirth, ललित कुमार
मुस्लिम फैज़ खान को अयोध्या भूमि पूजन में भाग नहीं लेना चाहिये, AS A MUSLIM, FAIZ KHAN SHOULD NOT BE PART OF BHOOMI PUJAN IN AYODHYA – Maria Wirth, ललित कुमार
आज श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को सभी संस्कृतप्रेमी संस्कृत-दिवस का आयोजन कर रहे हैं। कहा गया है- “संस्कृति: संस्कृताश्रिता” अर्थात् भारत की संस्कृति संस्कृत भाषा पर ही आश्रित या निर्भर है।
ऋग्वेद के प्रथम सूक्त के दो शब्दों का व्यवहार केवल तमिल-तेलुगू में होता है – दोषा = रात, वस्ता = दिन। इसकी वृद्धि कर्णाटक में हुयी।
Gerontology जराविज्ञान – अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं ॥… देहे कौमारं यौवनं जरा।
Red Collared-dove अरुण कपोतक भारत वर्ष के पण्डुक पक्षियों में अकेला है जिसमें नर और मादा पक्षी रङ्ग-रूप में भिन्न होते हैं। इसका शरीर लालिमा युक्त पाटल वर्णीय होता है।
Sundarkand रामपत्नीं यशस्विनीम् – – मैंने पिघले कञ्चन के समान सुंदर वर्ण वाली सीता को देखा। उन कमलनयनी का मुख उपवास के कारण कृश हो गया था।
सौबिगा भारत का बहुत परिचित पक्षी है जिसे वाटिकाओं में प्राय: देखा जा सकता है। यह जोड़ों में या ४-५ के झुण्ड में भी दिखाई पड़ जाता है। इसकी अवाज बहुत सुरीली होती है।
शताब्दियों से स्पर्श मनुष्य के लिए रोचक विषय रहा है। त्वचा इंद्रियों में सबसे विस्तृत तथा बाह्य ग्राही है। ज्ञानेंद्रियों में त्वचा एक प्रमुख इन्द्रिय है।
Google IME Canonical Scheme क्या है। इसका उपयोग कैसे करें? हिन्दी ट्रांसलिटरेशन टूल के रूप में हम लोगों ने Google IME प्रयोग कभी न कभी अवश्य किया होगा।
अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु शीघ्र ही नीतिगत उपायों की अपेक्षा है क्यों आगामी पाँच वर्षों में जिन उपलब्धियों का लक्ष्य है, उनकी प्राप्ति में वर्तमान स्थिति के लम्बे समय तक बने रहने से कठिन बाधायें उठ खड़ी होंगी।
सघोष को केवल घोष भी कहा जाता है। नाम से ही स्पष्ट है कि जिन व्यञ्जनों के उच्चारण के समय वाक् तंतु में कम्पन न हो वे अघोष कहलाते हैं, जिनके उच्चारण में कम्पन हो वे सघोष या घोष कहलाते हैं।
Uttar Kuru and Jats : जब अरब सिंध में प्रविष्ट हुये, तब जाट वहाँ की प्रमुख जाति थे जो सिंध, अफ़ग़ानिस्तान, और उनसे भी आगे तक फैले हुए थे।
प्राकृत सुभाषित – चारित्र, ज्ञान, क्रिया एवं दु:खनाश असुहादो विणिवित्ती, सुहे पवित्ती य जाण चारित्तं । [द्रव्यसंग्रह] अशुभ से निवृत्ति एवं शुभ में प्रवृत्ति ही चारित्र है। चारित्तं खलु धम्मो । [प्रवचनसार] यथार्थत: चारित्र ही धर्म है। नाणंमि असंतंमि, चारित्तं वि न विज्जए । [व्यवहार भाष्य] ज्ञान के अभाव में चारित्र भी नहीं है । जेण…
Agni Puran अग्निपुराण : अश्वशिर (हयग्रीव) एवं दत्तात्रेय, दो अन्य नाम हैं जो अन्य पुराणों की अवतार सूचियों में उपस्थित रहे हैं।
Chronic pain : पश्चिमी चेतना के चिकित्सा वर्ग हेतु इन सिद्धांतों को समझना कठिन है। स्वीकृति को सरलता से अवसाद या निराशा समझ लिया जा सकता है ।
Lion Lights देश विदेश की राजनीति, क्रिकेट, सिनेमा, जाति उत्थान आदि, ढेर सारी बड़ी भारी समस्याओं के बीच से यह लघु प्रश्न चीख रहा है, आप उत्तर देंगे?
श्वेत या तनु पीताभ आँखों की पुतलियों के कारण ही इसे पुण्डरीकाक्ष कहा गया है। श्येन सम किसी भी पक्षी की आँखें ऐसी नहीं होतीं।
Nalanda University We often say or hear such things. But is it true? Is Indian education system so weak? Are we really lagging behind? Is it inferiority complex that forces us to have atleast-some-kind-of- FORAN -connection so that people around us, our own people don’t look down upon us.