लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness – 5
लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness : देसी जलवायु में सहस्राब्दियों तक विकसित होने के कारण धान की इन प्रजातियों में भिन्न भिन्न औषधीय गुण पाये जाते हैं।
लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness : देसी जलवायु में सहस्राब्दियों तक विकसित होने के कारण धान की इन प्रजातियों में भिन्न भिन्न औषधीय गुण पाये जाते हैं।
नवसंवत्सर विरोधकृत, Hindu New Year वर्षा के पश्चात शरद आना ही है, गैलिलियो के पश्चात वैसे ही किसी को आना ही है, कोई आइंस्टीन था तो उसका रूप अब भी होना ही चाहिये! नहीं? समस्या यह भी है कि हम अपने यहाँ आर्यभट भी होना ही चाहिये, कौटल्य आना ही चाहिये; नहीं सोचते। उनके यहाँ संयोग मनाने की दिशा भी भिन्न है।
आदिकाव्य रामायण : उन जाज्वल्यमान नारियों के उदाहरण सीता ने दिये, जो भार्या मात्र नहीं रहीं, अपने सङ्गियों के साथ प्रत्येक पग जीवनादर्शों हेतु संघर्षरत रही थीं। ऐसा कर मानुषी सीता ने भोग एवं भार्या मात्र होने के प्रलोभन की तुच्छता स्पष्ट कर दी थी।
Frequency Illusion आवृत्ति भ्रान्ति : पहला, चयनित ध्यान (selective attention) जब हम किसी नयी बात पर अटक जाते हैं तब अवचेतन मन उस वस्तु को ढूँढ़ता रहता है। दूसरा, पुष्टिकरण पक्षपात (confirmation bias) जिससे हर बार उस वस्तु के दिखने पर इस भ्रम की पुष्टि होती है कि अत्यल्प काल में ही वह बात सर्वव्यापी हो गयी है।
ममोला खञ्जन बहुत ही परिचत पक्षी है जो देश छोड़कर नहीं जाता है। यह पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर लगभग हर जगह तथा हिमालय में ५००० फ़ुट की ऊँचाई तक पाया जाता है। खंजन बहुत ही चंचल, मीठी बोली वाला और मनमोहक पक्षी है। इसका कवियों ने भी समय-समय पर अपने काव्य में वर्णन किया है। ममोला खंजन, सफ़ेद खंजन से थोडा बड़ा होता है।
लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness : यदि इच्छाशक्ति हो तथा तदनुरूप कर्म हो तो बाधायें सिर झुका देती हैं, आँचल प्रमाण हैं। सुदूर मनाली के उत्तर में स्थित गाँव बुरुआ की आँचल।
सीता न केवल रावण के मनोवैज्ञानिक प्रपञ्चों के पाश से पूर्णत: मुक्त रही अपितु वे रावण को प्रभावी ढंग से अपने मानस की दृढ़ता का परिचय भी देती रही। धन्य हैं उनके सतीत्व का ताप जो रावण के मानस को ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से निर्बल बनाने में सहायक हो रहा था।
शीर्षक पर न जायें! काव्यगत् दृष्टि में शृंगार पक्ष अद्भुत, किन्तु अब लुप्तप्राय। जैसा कि शीर्षक स्पष्ट कर रहा है, बारह मास से ही अभिप्राय है। लोक भोजपुरी में होली के अवसर पर गाया जाने वाला विरह शृंगार गीत। साहित्यिक हिन्दी वालों के लिए विप्रलंभ शृंगार। आइये, तनि गहरे गोता मारिये न! … लगभग तेरह…
time management audio version (पूर्वप्रकाशित लेख का ऑडियो संस्करण) समय प्रबंधन। आपने भी इतना तो देखा होगा कि छुट्टियों के बजाय काम के दिनों में आप अधिक उत्पादक होते हैं। कार्य के तनाव को दक्षता की प्रत्यञ्चा बनाइये। आप जितने अधिक व्यस्त हैं, उतने ही अधिक काम कर सकते हैं, क्योंकि एक काम से दूसरे में परिवर्तन भी एक प्रकार का विश्राम देता है।
A Note on Caste जाति पर एक बात : ब्राह्मण, योद्धा, व्यापारी एवं सामान्यजन ज्ञान प्राप्ति हेतु समानरूप से प्रभावशाली कहे गए हैं। इसे ज्ञानयोग, कर्मयोग, राजयोग एवं भक्ति योग के में भी प्रतिबिंबित किया गया है। यहां तक कि सरस्वती पूजा, दशहरा, दिवाली एवं होली भी भिन्न प्रकार की प्रवृत्तियों को उत्सव के रूप में मनाना है।
एक रोचक मनोवैज्ञानिक अध्ययन है। जिसके अनुसार मानव मस्तिष्क साधारण ज्ञान के स्थान पर विशेष को प्राथमिकता देता है। विस्तृत आँकड़ों के स्थान पर विशेष उदाहरण को। जैसे हमें किसी व्याधि के बारे में बताकर पीड़ितों की सहायता करने को कहा जाय तो हम संभवतः दान नहीं देते परन्तु किसी एक विशेष पीड़ित व्यक्ति का चित्र दिखाकर हमसे सहायता मांगी जाय तो वो अधिक प्रभावी होता है। अभिज्ञेय पीड़ित प्रभाव (identifiable victim effect) के नाम से प्रसिद्ध इस संज्ञानात्मक पक्षपात से किसी भी समस्या की हम तब तक उपेक्षा करते रहते हैं जब तक हम स्वयं या कोई अपना भुक्तभोगी न हो।
Eastern Imperial Eagle शाही गरुड़ एक दुर्लभ प्रजाति का गरुड़ है और लुप्त होने के कगार पर है। पढ़िए इस बार, आजाद सिंह की अवधी चिरइया शृंखला में इस महाचील Aquila heliacal के बारे में।
होली रंगों का वासन्ती पर्व है। इस ऋतु में प्रकृति रंग बिखेरती है, मानव उसके अनुकरण में उत्सवी हो जाते हैं! आइये, इस होली पर एक अमेरिकी उद्यान का भ्रमण करते हैं, मिलतेे हैंं मुस्कुराते हुए कुछ फूलों से।
Himalayan Griffon Vulture हिमालय की ऊंचाईयों के भी उपर आकाश में उड़ता एक पहाड़ी गिद्ध है। जो बर्फीली हवाओं को चीरते हुए अपनी तीक्ष्ण दृष्टि से शायद किसी मृत पशु या व्यक्ति की प्रतीक्षा में विचरण कर रहा है। पढ़िए इस बार आजाद सिंह कि चिरईया शृंखला में हिमालयी गिद्ध के बारे में।
Miswanting या इच्छा का मिथ्यानुमान : सुनने में असहज प्रतीत होता है कि भला हम मिथ्या इच्छा (miswant) कैसे कर सकते हैं? यह सोचें कि भविष्य में आपको किन बातों से सुख प्राप्त हो सकता है? जब इस प्रश्न के बारे में हम यह सोचते है तो प्रायः उन बातों के बारें में सोचते हैं जिनके होने से हमें वास्तविक सुख प्राप्त नहीं होना।
(पूर्वप्रकाशित लेख का ऑडियो संस्करण) समय प्रबंधन के कुछ सूत्र: आप कितने भी सक्षम हों, कितने बड़े तुर्रमखाँ हों, अपने को अलादीन के चिराग़ का जिन्न न समझें। डेलीगेशन अर्थात प्रतिनिधित्व आपका उद्धारक है। व्यवस्था के पदानुक्रम में अपना स्थान पहचानिये। अपने उत्तरदायित्व को समझकर भी सब कुछ अपने हाथ में रखने का प्रयास न करें।
लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness : मँड़ुवा उगा हानिकारक गोली एवं कृत्रिम पूरक रसायनों के स्थान पर प्राकृतिक कैल्सियम तथा मेथायनीन को अपने आहार में इसकी रोटी या दलिया या भाकरी के रूप में स्थान दीजिये। हड्डियों की निर्बलता osteoporosis तथा यकृत के रोग बढ़ रहे हैं न!
shiv linga skanda शिव, लिङ्ग एवं स्कन्द पुराण : दक्ष का यज्ञ ध्वंस साङ्केतिक भी है। शिव के लिये प्रयुक्त शब्द अमंगलो, अशिव, अकुलीन, वेदबाह्य, भूतप्रेतपिशाचराट्, पापिन्, मंदबुद्धि, उद्धत, दुरात्मन् बहुत कुछ कह जाते हैं। इस पुराण के वैष्णव खण्ड में यज्ञ के अध्वर रूप की प्रतिष्ठा की गयी है, पशुबलि का पूर्ण निषेध है।
मरते भाषा-शब्द : अ-कृत्रिम शिशुओं के जन्म की सम्भावनायें तो हैं ही, अ-कृत्रिम इस कारण कि वे रोबो न हो कर हाड़ मांस के मानव ही होंगे। उस समय क्या होगा? शब्द, भाषा, लिङ्ग इत्यादि के लुप्त होने, निज हस्तक्षेप एवं अवांछित उत्प्रेरण होने को ले कर आज का मनुष्य कितना सशङ्कित है! क्यों है?
आदिकाव्य रामायण से – तिनके की ओट से पर स्त्रियों के अपहरण एवं बलात्कार को अपना धर्म बता कर रावण उस परम्परा का प्रतिनिधि पुरुष हो जाता है जो आज भी माल-ए-ग़नीमत की बटोर में लगी है। येजिदी, कलश नृजातीय स्त्रियों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं! उन अत्याचारियों के लिये भी पराई पीड़ा का कोई महत्त्व नहीं, केवल लूट की पड़ी है।