vegan

Vegetarianism Vegan शाकाहार : सनातन बोध – ६४

Vegetarianism Vegan शाकाहार, पश्चिमी देशों में अत्यधिक मांसाहार तथा उसके व्यवसाय ने सदियों से यह भ्रम बना रखा था कि क्रीड़ा, स्पर्धा इत्यादि के लिए मांसाहार उपयुक्त है तथा शाकाहार में पर्याप्त प्रोटीन नहीं होता। अनेक अध्ययनों में ये बातें असत्य सिद्ध हुई हैं।

आचार्यशङ्करस्य जन्मवृत्तान्त:

आचार्यश्रीशङ्करभगवत्पादस्य जन्मस्थान-जन्मसमयादिविषये मतवैभिन्न्यं दृश्यते । चतुर्दशशतके विरचितं माधवीयशङ्करविचयम्, पञ्चदशशतके प्रणीतं चिद्विलासीयशङ्करविजयम्, सप्तदशशतके विरचितं केरलीयशङ्करविजयमिति ग्रन्थत्रयं श्रीशङ्कराचार्यस्य जीवनचरित्रं विवृणोति ।

खण्ड खण्ड आत्मघात

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के धर्म सङ्काय में अधार्मिक पंथ के अनुयायी की आचार्य पद पर हुई नियुक्ति का जो विरोध हुआ है, उसने हमारी अकादमिकी एवं पूरे शिक्षा तंत्र के एक बहुत बड़े सङ्कट को अनावृत्त किया है। जानते तो लोग बहुत पहले से हैं किंतु जैसा कि समस्त समस्याओं के साथ होता, कुछ दिनों पश्चात या तो समायोजन कर लिया जाता है या आँखें मूँद ली जाती हैं।

Calendar Reform Saptarshis कस्ध्रुवं? कुतः सप्तर्षयः?

‘पञ्चाङ्ग-संशोधन तथा एक नवीन सम्वत की आवश्यकता’ किसी स्वप्नदर्शी का एक वृहदाकार स्वप्न है। इस स्वप्न में अनेक प्रश्न अन्तर्निहित हैं तथा उन प्रश्नों के सम्भावित उत्तरों के साथ अनेकानेक विसंगतियाँ संश्लिष्ट हैं।

Valmikiya Ramayan प्रमदावन विध्वंसक हनुमान

Valmikiya Ramayan वाल्मीकीय रामायण-४५, [अक्षकुमार वध]

अक्षकुमार वध – भुजायें, जङ्घायें, कटि एवं गला टूट गये, अस्थियों का चूर्ण बन गया, आँखें निकल आईं। संधियों के भङ्ग होने के साथ साथ देहबन्ध भी ढीले पड़ गये।

प्रसन्न सार्थक सफल सुखी जीवन, सनातन व पश्चिम : सनातन बोध – ६२

प्रसन्न सार्थक सफल सुखी, अमेरिकी स्वतंत्रता घोषणा में लिखे शब्द pursuit of happiness को अधिकांशतया लोग जीवन का लक्ष्य मानते हैं। प्रसन्नता एवं सार्थकता के बीच अर्थहीन से प्रतीत होते विभाजन पर अनेक गम्‍भीर अध्ययन हुए हैं।

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि या हल्‌ सन्धि – अन्तिम भाग : सरल संस्कृत – ११

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि – भगवद्गीता में ‘श्रद्धावान् लभते ज्ञानं तत्पर:’ का पाठ ‘श्रद्धावाल्‌ँलभतेज्ञानन्‍तत्पर:’ होगा।

सिनीवाली हे देवी सरस्वती! हमें लक्ष्मी दें। हे देवी लक्ष्मी! हमारी विद्या बढ़े।

पञ्चदिवसीय दीपपर्व पञ्चकोशीय देवी साधना-आराधना का पर्व है। पितरों के आह्वान पश्चात शारदीय नवरात्र से आरम्भ हो पितरों को विदा देने के आकाशदीपों तक का लम्बा कालखण्ड प्रमाण है कि यह विशेष है।

Coppersmith Barbet छोटा बसंता, चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का कछार,माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, August 25, 2019, May 10, 2019

Coppersmith Barbet, छोटा बसंता, कठखोरा

छोटा बसंता की आवाज बहुत मीठी होती है जिसे सुनने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई ठठेरा अपना कार्य कर रहा हो, इसीलिए इसे ठठेरा भी कहते हैं।

Death मृत्यु से भय कैसा? : सनातन बोध – ६१

Death मृत्यु से भय कैसा? इसका संज्ञान सुखी जीवन की ओर ले जाता है। इस दर्शन का अलौकिक लाभ हो न हो, मनोवैज्ञानिक लाभ तो स्पष्ट ही है।

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि या हल्‌ संंधि – २ : सरल संस्कृत – १०

त्र्यम्बकम् . यजामहे . सुगन्धिम् . पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकम्. इव. बन्धनात् . मृत्योः . मुक्षीय . मा . अमृतात् ॥ इसमें बन्‍धनात्‌ एवं मृत्योर्मुक्षीय की सन्‍धि में प्रथम शब्द के अन्तिम ‘त्‌’ के पश्चात मृत्यु का म्‌ आया है अत: संधि पश्चात त्‌ का परिवर्तन सवर्गी अनुस्वार न्‌ में हो कर बन्धनान्‌ हो जायेगा।उच्चारण शुद्धि हेतु श्री सूक्त में देखें।

URL व वेब ब्राउज़र रिक्वेस्ट

हमारा वेब ब्राउज़र यूआरएल के रूप में कई सूचनाएँ संलग्न करके सर्वर तक भेजता है जिससे हमें वांछित परिणाम प्राप्त हो। चलिए इसकी संरचना के बारे में कुछ जानते हैं।

Sudharma सुधर्मा सभा हरिवंश, लोक, लोकतन्‍त्र व वर्तमान हिन्‍दू जन

Sudharma सुधर्मा सभा हरिवंश – नाधनो विद्यते तत्र क्षीणभाग्यो पि वा नर: । कृशो वा मलिनो वापि द्वारवत्याङ्कथञ्चन ॥ आप ‘हरिवंश’ हैं भी?

Browser synchronization सूचना की तादात्म्यता

Browser synchronization सूचना की तादात्म्यता

ब्राउज़र सिंक्रोनाइजेशन। अर्थात भिन्न-भिन्न मशीनों, भिन्न-भिन्न स्थानों पर कार्य करते हुए भी अपने वेब ब्राउज़र की सूचनाएँ पहुँच में बनाये रखना या सूचना की अभिन्नता बनाये रखना।

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि या हल्‌ संंधि – १ : सरल संस्कृत – ९

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि – संस्कृत में प्रत्ययों के अतिरिक्त मूल भी होते हैं। किसी भी शब्द का विच्छेद करते हुये उसके मूल तक पहुँचा जा सकता है। मूल क्रिया आधारित हों अर्थात उनमें किसी कुछ करने का बोध हो तो वे धातु कहलाते हैं यथा युज्‌ जो जोड़ने के अर्थ में है जिससे योक्त, युक्त, योक्ता जैसे शब्द बने हैं।

Political Correctness नयसत्यता व कुल संस्कार प्रभाव : सनातन बोध – ६०

जीव विज्ञान तथा आनुवंशिकी का संदर्भ देकर कुल, संस्कृति इत्यादि के प्रभाव को नकारने वाले ये भूल जाते हैं कि संस्कृति, धर्म, परिवेश तथा जाति (Ethnicity) का व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव होता है।

बलात्कार यौन दुष्कर्म बिंदास - नवरात्र पर्व पर मंथन आवश्यक

बलात्कार यौन दुष्कर्म बिंदास – नवरात्र पर्व पर मंथन आवश्यक है।

आज पितरों की बिदाई है, कल से माँ का आगमन हो रहा है। ऐसी संधि पर एक बहुत ही ज्वलंत समस्या पर विचार किया जाना चाहिये – हिंदू ललनाओं के साथ बढ़ रहे जिहादी यौन दुष्कर्मों पर।