भारतीय नाम : निलकटकटिया, मोरगला पतेना, नीलांग, मोरकंठी लिटकुरी(मराठी), પીરોજી માખીમાર(गुजराती), नीलतुथो अर्जुनक(नेपाली), ਨੀਲੀ ਟਿਕ ਟਿਕੀ(पञ्जाबी), मयूरग्रीव शलभाश(संस्कृत)
वैज्ञानिक नाम : Eumyias thalassinus
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Muscicapidae
Genus: Eumyias
Species: Thalassinus
Category: Perching Birds
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status: LC (Least Concerned)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़ काल : अप्रैल से जुलाई
Nesting Period: April – July
आकार : लगभग ६ इंच
Size: 6 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी, ग्रीष्म ऋतु में हिमालय क्षेत्र, शीत ऋतु में मैदानी क्षेत्र
Migratory Status: Resident, Himalayan Zone(in summer), Plain Zone(in winter)
दृश्यता : असामान्य (अत्यल्प दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Very less
लैङ्गिक द्विरूपता : द्विरूप
Sexes: Unalike
भोजन : कीट-पतंगे
Diet: Invertebrates
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : निलकटकटिया एक साहसी, निडर, सुन्दर व चञ्चल पक्षी है जिसका रंग नीलप्रस्तर समान कान्तिमान एवं नर की आँखों से चोंच तक काला गण्ड होता है। इसकी पूँछ के नीचे का भाग कालापन लिए हुए भूरा एवं श्वेत, मादा और अवयस्क का रंग तनु नीला, आँखों की पुतलियों का रंग भूरा, चोंच और पैर काले तथा चोंच ऊपर से तिकोनी और चपटी, बालों से ढकी हुई होती है।
निवास : निलकटकटिया हिमालय पर ४००० से १०००० फुट की ऊँचाई तक पाई जाती है तथा जाड़े के दिनों में यह पहाड़ों से उतरकर पूरे भारत के मैदानों में देखी जा सकती है। इसे जंगलों में ऊँचे पेड़ों पर रहना प्रिय है जहाँ इसे अपने बैठने के स्थान से कीट-पतंगों को पकड़ते हुए देखा जा सकता है।
वितरण : निलकटकटिया पूरे भारत में पाई जाती है तथा भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान (पंजाब और सिंध के मैदानों को छोड़कर ) एवं म्यांमार में भी पाई जाती हैं।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : निलकटकटिया के प्रजनन का समय अप्रैल से जुलाई तक तथा हिमालयी क्षेत्रों में होता है। इनका नीड़ सुन्दर चषक समान होता है तथा शैवाल, काई आदि से बनाया जाता है जो किसी सुरक्षित किनारे से लटकता रहता है (जहाँ पानी और पेड़ की जड़ों का कोटर रिक्त स्थान होता है)। इस कारण ही इनके नीड़ का दर्शन कठिन होता है। इनके अण्डों की संख्या ३-५ तक हो सकती है, अंडे चौड़े गोलाकार, सिरों पर अवपीडित, कान्तिमान तथा पाटलाभ होते हैं। अण्डों का आकार लगभग ०.७८ *०.५४ इंच होता है।
Sir, मैंने लाकडाउन के दरमियान से अबतक गर्दनीबाग , पटना में अपने निवास के आस पास लगभग पाँच दर्जन पक्षियों को मोबाईल से शौकिया रुप से शूट करने में सफल रहा हूँ, और लगभग 300 विडियो उनके बनाये हैं, कुछ youtube पर डाला है।
कुछ पक्षियों को मैं नहीं पहचान पा रहा हूँ। मेरी जिज्ञासा बनी हुई है।
कृपया इसमें आपकी मदद चाहिये ।
धन्यवाद ।