भारतीय नाम : हिन्दी : तीसा, श्वेतनेत्र गरुड; संस्कृत : व्याध, द्रोणक, पुण्डरीकाक्ष, सरट, सुपर्ण; गुजराती : टीसो; तेलुगू : बोडूमली गड्ड
वैज्ञानिक नाम : Butastur Teesa
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Accipitriformes
Family: Acciptridae
Genus: Butastur
Species: Teesa
Category: Birds of Prey
जनसँख्या : स्थिर
Population : Stable
संरक्षण स्थिति : सङ्कटमुक्त
Conservation Status : LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : १
Wildlife Schedule : I
नीड़ निर्माण का समय : फरवरी से मई तक।
Nesting Period : February to May
आकार : १७ इंच
Size : 17 inch
प्रवास स्थिति : प्रवासी
Migratory Status : Resident
दृश्यता : असामान्य (अत्यल्प दिखाई देने वाला)
Visibility : Very Less
लैङ्गिक द्विरूपता : अनुपस्थित; समरूप (नर व मादा एक जैसे)
Sexes : Alike
भोजन : अन्य पक्षी, छिपकली, मेढक, टिड्डे आदि।
Diet : Other birds, lizards, frogs, grasshoppers etc.
तीसा अपने से बड़े पक्षियों का भी शिकार करने में समर्थ होता है।
अभिजान एवं रंग रूप : तीसा एक मझोले आकार का श्येन (बाज) जैसा पक्षी है। आँख की पुतली का रंग श्वेत,चोंच जड़ के पास नारंगी तथा सिरे पर काली एवं दबी हुई सी, आगे की ओर झुकी हुई होती है। पैर पीले एवं कर काले। इसके ऊपरी भाग का रंग भूरा, पूँछ ललछौंह भूरी, नीचे तनु भूरे रंग की पर, ऊपर की ओर गाढ़ी भूरे रंग की रेखायें तथा नीचे की दिशा में श्वेत चित्तियाँ और पत्तियाँ होती हैं। डैनों के पंख नुकीले और काले सिरे वाले होते हैं।
निवास : तीसा पूरे भारत में पाए जाना वाला पक्षी है। यह हिमालय से लेकर मध्य भारत में अधिक और दक्षिण की ओर अल्प दिखाई देता है। तीसा यहाँ का स्थाई पक्षी है जो थोड़ा बहुत स्थान परिवर्तन कर यहीं रहता है। इसे घने जंगलों और पहाड़ों की अपेक्षा खुले क्षेत्र एवं झाड़ियों से भरे स्थान पसंद है। यह एक अलस पक्षी है, किसी ऊँचे स्थान पर बैठकर अपना समय बिताना इसे प्रिय है।
वितरण : पूरे भारतीय प्रायदीप, बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार में पाया जाता है। हिमालय की पहाड़ियों में ४००० फीट की ऊँचाई तक देखा गया है। भोजन और आवास के सन्धान में कुछ दूरी तक स्थानीय प्रवजन भी देखा गया है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : इसके नीड़ निर्माण का समय मार्च से मई माह तक होता है। उस समय यह चीखता रहता है। यह भूमि से लगभग २० फीट की ऊँचाई पर पेड़ की किसी दुफंकी शाखा पर बनाता है। नीड़ बहुत साधारण एवं सूखी छोटी टहनियों से किसी चषक जैसा बनाया जाता है जिसमें किसी भी प्रकार का स्तर नही होता है। समय आने पर मादा ३-४ अण्डे देती है जिनका रंग भस्म श्वेताभ या नीलाभ और चमकील हो सकता है। अण्डों का आकार लगभग १.८५*१.५० इंच होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी :
श्वेत या तनु पीताभ आँखों की पुतलियों के कारण ही इसे पुण्डरीकाक्ष कहा गया है। श्येन सम किसी भी पक्षी की आँखें ऐसी नहीं होतीं।