भारतीय तथा अन्य नाम : जङ्गली गौरइया, राजी, जङ्गली चिड़िया, पीतगल कुलिंग, भड़क्के, मोहरैय्या, पहलवान, रिज्झी, पीतकण्ठ कुलिंग (संस्कृत ), மஞ்சள்-தொண்டை சிட்டுக்குருவி, മഞ്ഞത്താലി, पीतकण्ठे भँगेरा, Chestnut-Shouldered Petronia, Petronia Anthocollis
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Gymnoris xanthocollis
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Passeridae
Genus: Petronia
Species: Xanthocollis
वर्ग श्रेणी : यष्टिवासी
Category: Perching Bird
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़-काल : अप्रैल से जून तक
Nesting Period: April to June
आकार : लगभग ६ इंच
Size: 6 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी, ऋतु-परिवर्तन होने पर स्थानीय प्रवास
Migratory Status: Resident, local migration due to seasonal changes.
दृश्यता : असामान्य (अत्यल्प दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Very less
लैङ्गिक द्विरूपता : द्विरूप (नर और मादा भिन्न)
Sexual Dimorphism: Absent
भोजन : अन्न के दाने, घास के बीज, कीड़े-मकोड़े, बेर, फूलों के पराग।
Diet: Grains, Insects, Berries, Nectar, petals & pollen of flowers.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : जङ्गली गौरइया लगभग ६ इंच का पक्षी है जो हमारी घरेलू गौरइया सदृश ही होता है। इनमें भी नर और मादा का वर्ण भिन्न होता है। नर के गले पर पीतवर्णीय चित्ति होती है। डैनों पर २ धारियााँ होती हैं जिनमें ऊपर वाली श्वेत और नीचे वाली किञ्चित श्वेत से तनु वर्ण की होती है। ऊपर की धारी के ऊपर अखरोट के वर्ण समान एक धब्बा होता है। उदर भाग श्वेत होता है। मादा के गले पर तनु पीत-वर्णी धब्बा एवं डैनोंं के धब्बे भी वर्ण में तनु। नेत्र गोलक गहन वर्ण के, चोंच नुकीली कृष्ण वर्ण की और टाँगें धूसर वर्ण की होती हैं।
निवास : जङ्गली गौरइया हमारे देश का निवासी पक्षी है जो हिमालय की तराई से लेकर पूरे दक्षिण भारत में कन्याकुमारी तक तथा कच्छ से लेकर पश्चिम बंगाल तक पाया जाता है। इसे सघन वन रुचिकर नहीं होते हैं। इसको मानव आवास के निकट मुक्त समभूमि, खेत के पेड़ों, उपवन-वाटिकाओं में विचरण करना अधिक रुचिकर है, जहाँ इसे युगल में या झुण्ड में देखा जा सकता है। इसका अधिकांश समय वृक्षों पर पर प्लवन करते हुए कीड़े, फूलों का रस और पराग आदि उदरस्थ कर नंद लेते हुए ही बीतता है।
वितरण : जङ्गली गौरइया पक्षी भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका में भी पाया जाता है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : जङ्गली गौरइया के प्रजनन का समय अप्रैल से जून तक होता है। उस समय ये १५-२० फीट की ऊँचाई पर किसी वृक्ष के खोंडर में शुष्क पत्रकों, तृण, घास आदि से नीड़ का निर्माण करते हैं। ये तोते, कठफोड़वे जैसे अन्य पक्षियों के नीड़ों पर भी निस्सङ्कोच बलपूर्वक अधिकार कर के उसे भी अपना बना लेते हैं। समय आने पर मादा एक बार में ३-४ अण्डे देती है। अण्डों का वर्ण तनु पीत आभा लिए हरित हो सकता है। उन पर धब्बे या धारियाँ भी हो सकती हैं। अण्डों का आकार लगभग ०.७४ * ०.५५ इंच होता है। नर और मादा दोनों मिलकर अण्डों को सेने से लेकर बच्चों के लालन-पालन का कार्य करते हैं।