JNU ज.ने.वि.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुल 14 संस्थान हैं जिन्हें School कहा जाता है। इन संस्थानों के भीतर एकाधिक केन्द्र हैं।
प्रारम्भ करते हैं ‘भारतीय भाषा केन्द्र’ से। इस केन्द्र की निम्न विशेषतायें हैं:
(1) इस केन्द्र में कुल छ: आचार्य हैं।
(2) 2010-11 से 2014-15 के बीच पाँच वर्षों में यहाँ के आचार्यों ने कुल 144 शोध पत्र विश्वविद्यालय से बाहर प्रकाशित किये।
(3) इस केन्द्र को यह नहीं पता कि उसका बजट कितना है।
(4) इस केन्द्र को यह भी नहीं पता है कि यह कुछ उपार्जित करता भी है या नहीं।
(5) उक्त पाँच वर्षों में इस केन्द्र ने कुल 152 पी. एच. डी डिग्रियाँ बाँटीं जिनके कुछ मुख्य बिन्दु ये हैं:
§ केन्द्र को इनमें से किसी के बारे में यह नहीं पता कि उसे डिग्री प्राप्त करने में कितना समय लगा।
§ केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. एस एम अनवर आलम हैं। कुल 152 डिग्रियों में से 58 डिग्रियाँ मुसलमानों को बाँटी गयी हैं।
§ इन 58 मुसलमानों में से 55 ने मुसलमान आचार्यों के निर्देशन में अपनी डिग्रियाँ लीं। 2 ने संयुक्त निर्देशन में प्राप्त कीं, जिनमें से एक आचार्य मुसलमान ही रहा।
§ सभी 58 मुसलमानों ने लगभग पूर्णत: मुस्लिम साहित्यकार या उर्दू या मुस्लिम सम्बन्धित विषय पर ही काम किया। इक्के दुक्के जिन ग़ैर मुस्लिम साहित्यकारों पर शोध किया गया वे भी उर्दू से ही सम्बन्धित थे।
§ नौ ने पाकिस्तान से सम्बन्धित विषयों या साहित्यकारों पर काम किया जिनमें से अधिकांश के निर्देशक डॉ. आलम रहे।
§ किसी भी ग़ैर-मुस्लिम शोधार्थी ने उर्दू में/पर शोध नहीं किया।
§ सात डिग्रियाँ हिन्दी उर्दू के तुलनात्मक अध्ययन से सम्बन्धित शोध के लिये बाँटी गईं।
§ केन्द्र के लिये भारतीय भाषा का अर्थ बस उर्दू और हिन्दी ही है। भारत की अन्य भाषाओं में कोई शोध नहीं हुआ।
§ हिन्दी में/से अनुवाद से सम्बन्धित अध्ययन की भाषायें राजस्थानी, बँगला, चेक, कोरियाई, मैथिली (सभी एक एक) और अंग्रेजी (दो) रहीं।
§ किसी भी अन्य भारतीय भाषा से तुलनात्मक काम नहीं हुआ।
(6) केन्द्र के पास विद्यार्थियों द्वारा बाहर या भीतर शोध पत्र प्रकाशन से सम्बन्धित कोई सूचना नहीं है।
यू एस न्यूज की वैश्विक गुणवत्ता में यह विश्वविद्यालय भारत के शीर्षस्थ 14 में भी नहीं है अर्थात वैश्विक रैंकिंग में प्रथम 729 में भी इसका नाम नहीं है। चूँकि वह पूँजीवादी बुर्जुवा रैंकिंग है इसलिये उसे अधिक महत्त्व देना ठीक नहीं है।
गुणवत्ता, प्रगतिशीलता, निष्ठा और कार्यकलाप आदि का निर्णय पाठक स्वयं करें।
(अगले अंक में एक नया केन्द्र)
जलाने विद्यालय से अच्छे हमारे शहर के महाविद्यालय ही हैं फिर, अनुशासन, शोध, अध्ययन सभी कुछ बहुत अच्छे स्तर के हैं।
यही jnu का सच है मुस्लिम वामपंथ गठजोड़
आप अद्भुत सूचनाएँ निकाल कर लाये हैं। जबरदस्त है ये तो।
यदि यह किसी आर.टी.आई. कार्यकर्ता की मेहनत का नतीजा है तो उसे साधुवाद। सूचना का स्रोत भी उल्लिखित कर दें तो वजन बढ़ जाय।
अब अंत:पुर की गर्हित कहानियां सामने तो आने लगीं।
यह भी छोटी बात नहीं।
अब से पहले किसे पता था कि यहां क्या होता है?
अब अंत:पुर की गर्हित कहानियां सामने तो आने लगीं।
यह भी छोटी बात नहीं।
अब से पहले किसे पता था कि यहां क्या होता है?