हिन्दी नाम : छोटा बसंता, ठठेरा, कठखोरा, मराठी- जुकटुक, सोनार, ताम्बट
वैज्ञानिक नाम : Megalaima haemacephala
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Piciformes
Family: MEGALAIMIDAE
Genus: Megalaima
Species: Haemacephala
Category: Tree-Clinging Birds
जनसङ्ख्या : वृद्धिमान
Population: Increasing
संरक्षण स्थिति : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status: LC (Least Concern)
संरक्षण स्थिति : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status: LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़ काल : जनवरी से जून
Nesting Period: January – June
आकार: लगभग ६ इंच
Size: 6 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : समरूप
Sexes: Alike
भोजन : बेरी, फल आदि।
Diet: Berries, Fruits
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : Coppersmith Barbet छोटा बसंता का शरीर हरिताभ वर्ण लिए होता है जो पत्तियो से समानता रखता है और इसका पत्तों में छिपना सरल हो जाता है। इसके सिर तथा ग्रीवाग्र पर बड़ा गहन रक्ताभ धब्बा होता है। गला पीतवर्णी तथा रक्ताभ धब्बे के नीचे स्वर्णिम पीताभ होता है। नेत्रों के ऊपर और नीचे का वर्ण पीत, ऊपरी भाग धानी हरित, डैनोंं का भीतरी भाग किञ्चित श्याम, उदर भाग तनु श्याम वर्ण की पट्टिकाएं लिए किञ्चित पीला होता है। पूँछ का नीचे का वर्ण नील, नेत्र गोलक गहन श्याव भूरे, चोंच और नख श्याम तथा पञ्जोंं का वर्ण लोहिताभ पाटल होता है।
इसकी लम्बाई लगभग ६ इंच होती है। नर एवं मादा एक जैसे होते हैं।
इसका मधुर स्वर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई ठठेरा अपना कार्य कर रहा हो, इसीलिए इसे ठठेरा भी कहते हैं।
निवास : छोटा बसंता मैदानी क्षेत्रों में बस्ती के आसपास की वृक्ष-आवास प्रिय पक्षी है और उन्हीं से अपना भोजन प्राप्त करने के प्रयास में रहता है।
वितरण : छोटा बसंता लगभग पूरे भारत में, हिमालय पर १००० मीटर की ऊँचाई तक, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया तक पाई जाती है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : छोटा बसंता के प्रजनन का समय जनवरी से जून तक का होता है। इस समय ये किसी पेड़ के खोखले तने में अपना नीड़ बनाते हैं। नीड़ ७ से लेकर ४० फीट तक की ऊँँचाई पर पाये जा सकते हैं। नीड़ निर्माण में तृणमूल आदि का प्रयोग किया जाता है और यह हर वर्ष उसे ठीक करता है। नीड़ का द्वार गोलाकार होता है जिसमें से इसे प्राय: बाहर की ओर झाँकते देखा जा सकता है। मादा एक बार में ३-४ तक अण्डे देती है। अण्डे लम्बे, चिकने, मृदुस्पर्शी और आभाहीन होते हैं। अण्डों का वर्ण पूर्णतया श्वेत, आकार लगभग ०.९९ *०.६९ इंच का होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी :
इसके स्वर को डिण्डिम वाद्य से जोड़ कर प्राचीन साहित्य में इसे नाम दिया गया। Birds in Sanskrit Literature में यह सूचित किया गया है कि इसके नाम डिण्डिम वाद्य एवं माणवक (बड़ा बसंता की तुलना में लघु आकृति का होने के कारण माणवक, छोटा बालक) को जोड़ कर डिण्डिममाणवक, डिण्डिमानक, दण्डिमाणक, णंदमाणक, दिंदिम आदि मिलते हैं। हिंदी नाम तमेरा या तम्बायत को coppersmith से समझा जा सकता है।
इसके बहुवर्णी रूप के कारण मनुस्मृति इसे रत्नादि पर काम करने वाले सोनार ‘हेमकर्तृ’ से जोड़ कर देखती है। आभूषण की चोरी करने वाला अगले जन्म में हेमकर्तृ पक्षी होता है। वायुपुराण इसे हेमक नाम देता है – जीवंजीवकनादैश्च हेमकानां च नादितै:।
छोटा बसंता के प्रेमी युगल को सहवास करते मैने कुछ दिन पहले विडियो लेने में सफल रहा। राजधानी पटना के गर्दनीबाग जो लगभग 300 एकड़ में फैला है। जहाँ लगभग 1,50,000 से अधिक वयस्क फलदार और औषधि वाले वृक्ष थे, उसे सरकार नष्ट कर बापू टावर, मंत्रियों एवं अधिकारियों के निवास बना रहे हैं । राजधानी पटना के केन्द्र में स्थिति गर्दनीबाग को पटना का फेफडा़ कहा जाता था। यहाँ सैकड़ों जाति/ प्रजाति के पक्षी थे।
मैंने पिछले एक वर्ष में यहाँ के उजड़ते वन प्रांतर में किसी तरह मोबाईल से यहाँ के पक्षियों पर 300 से अधिक विडियो बनाये हैं । और लगातार अपने fb एवं youtube पर डाले जा रहा हूँ।
कभी कभी मैं कुछ पक्षियों को नहीं पहचान पाता हूँ। इस संदर्भ में आपकी मार्गदर्शन चाहेंगे । सादर।
कृपया अपने लेख infoATmaghaaDOTcom पर प्रेषित करें। आप के पास अनमोल निधि है।