नवसंवत्सर ‘विरोधकृत’, ऋग्वेद, गुरु एवं शनि का अङ्कगणित, स्टीफेन हॉकिंग Hindu New Year

नवसंवत्सर विरोधकृत, Hindu New Year वर्षा के पश्चात शरद आना ही है, गैलिलियो के पश्चात वैसे ही किसी को आना ही है, कोई आइंस्टीन था तो उसका रूप अब भी होना ही चाहिये! नहीं? समस्या यह भी है कि हम अपने यहाँ आर्यभट भी होना ही चाहिये, कौटल्य आना ही चाहिये; नहीं सोचते। उनके यहाँ संयोग मनाने की दिशा भी भिन्न है।

आदिकाव्य रामायण से – 26, सुन्‍दरकाण्ड […तथाऽहमिक्ष्वाकुवरं रामं पतिमनुव्रता]

आदिकाव्य रामायण : उन जाज्वल्यमान नारियों के उदाहरण सीता ने दिये, जो भार्या मात्र नहीं रहीं, अपने सङ्गियों के साथ प्रत्येक पग जीवनादर्शों हेतु संघर्षरत रही थीं। ऐसा कर मानुषी सीता ने भोग एवं भार्या मात्र होने के प्रलोभन की तुच्छता स्पष्ट कर दी थी।

A Note on Caste जाति पर एक बात

A Note on Caste जाति पर एक बात : ब्राह्मण, योद्धा, व्यापारी एवं सामान्यजन ज्ञान प्राप्ति हेतु समानरूप से प्रभावशाली कहे गए हैं। इसे ज्ञानयोग, कर्मयोग, राजयोग एवं भक्ति योग के में भी प्रतिबिंबित किया गया है। यहां तक कि सरस्वती पूजा, दशहरा, दिवाली एवं होली भी भिन्न प्रकार की प्रवृत्तियों को उत्सव के रूप में मनाना है।

Shiva Linga Skanda

Shiva Linga Skanda शिव, लिङ्ग, स्कन्‍द [पुराण चर्चा-1, दशावतार एवं बुद्ध-4]

shiv linga skanda शिव, लिङ्ग एवं स्कन्‍द पुराण : दक्ष का यज्ञ ध्वंस साङ्केतिक भी है। शिव के लिये प्रयुक्त शब्द अमंगलो, अशिव, अकुलीन, वेदबाह्य, भूतप्रेतपिशाचराट्, पापिन्,  मंदबुद्धि, उद्धत, दुरात्मन् बहुत कुछ कह जाते हैं। इस पुराण के वैष्णव खण्ड में यज्ञ के अध्वर रूप की प्रतिष्ठा की गयी है, पशुबलि का पूर्ण निषेध है।   

बीमा या निवेश, प्राथमिकता किसे?

बीमा या निवेश ? : मृत्यु निश्चित है, परंतु तिथि निश्चित नहीं है, हम अमृत चखकर नहीं आये हैं, जाना निश्चित है। चिंतन कीजिये कि यदि आप इसी क्षण से परिवार के साथ नहीं हैं तो वे कैसे रहेंगे! तत्काल ही बीमा लीजिये, निवेश की प्राथमिकता बीमा के पश्चात रखिये।

puran-vishnu-dashavatar-buddha-parashuram-3

Brahmand Vayu Brahma ब्रह्माण्ड, वायु, ब्रह्म पुराण, [पुराण चर्चा -1, (राधा, परशुराम), विष्णु दशावतार तथा बुद्ध – 3]

राम जामदग्नेय को प्रतिहिंसक द्वेषी दर्शाया गया है जिसका विस्तृत विवरण ब्रह्माण्ड पुराण में अन्यत्र कहीं से ला कर जोड़ा गया है। इसकी पूरी सम्भावना है कि उस स्वतंत्र पाठ को विकृत करने के पश्चात जोड़ा गया।

वाद्यवृन्द वाहन प्रभाव bandwagon effect (समूह अनुकरण) : सनातन बोध – 19

वाद्यवृन्द वाहन प्रभाव bandwagon effect : राशिफल और ज्योतिष भविष्यवाणी करने वाले कुछ इस प्रकार की बातें करते हैं जो सबके लिए ही सच होती हैं पर हम उसे अपनी बातों से जोड़कर देख लेते हैं और हमें सब कुछ सच लगता है. ये फ्रेमिंग प्रभाव (framing effect) की ही तरह है जिसकी चर्चा हम पिछले एक लेखांश में कर चुके हैं.

Polluted rivers and रस-रक्त दुष्टि

Death of civilization “If there will be water after our gross disrespect by water usage (by inefficient agriculture, unwanted industry usage, faulty management, deforestation), that water will be sheer poison due to excess use of fertilizers.” What do you expect from a polluted rivulet or river? Foster mother like nurturance? My dear friend, come out of…

सुख का अर्थशास्त्र happiness economics : सनातन बोध – 18

सुख का अर्थशास्त्र happiness economics : सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) की भाँति सकल राष्ट्रीय सुख (gross national happiness) के आधार पर नीति निर्माण के तर्क भी दिए जा रहे हैं। ये अध्ययन पारम्परिक अर्थशास्त्र के लिए चुनौती हैं क्योंकि इन अध्ययनों के निष्कर्ष पारम्परिक पश्चिमी अर्थशास्त्र के भौतिक सुख-साधनों के स्थान पर…

Markandeya Vaman Koorma मार्कण्डेय वामन कूर्म [पुराण चर्चा-1, दशावतार व बुद्ध -2]

कलियुग के लक्षणों को गिनाते हुये इस पुराण में शुक्लदंताजिनाख्या, मुण्डा, काषायवासस: पद प्रयुक्त हुये हैं जिन्हें स्पष्टत: बौद्ध मत का परोक्ष उल्लेख कहा जा सकता है:

अट्टशूला जनपदाः शिवशूलाश्चतुष्पथाः  । प्रमदाः केशशूलिन्यो भविष्यन्ति कलौ युगे  ॥
शुक्लदन्ताजिनाख्याश्च मुण्डाः काषायवाससः  । शूद्रा धर्मं चरिष्यन्ति युगान्ते समुपस्थिते  ॥

विशेषज्ञों की भ्रांतियाँ Illusions of pundits : सनातन बोध – 17

Illusions of pundits theory. क्या मनोवैज्ञानिक पक्षपात से परे होते हैं? क्या उनके मस्तिष्क लोगों और स्वयं के वास्तविक स्वरूप को समझ पाते हैं? अध्ययनों में इसके रोचक परिणाम मिले हैं। सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 1  , 2, 3, 4 , 5 , 6, 7, 8, 9 , 10, 11,12, 13, 14 , 15 , 16…

Harivansha हरिवंश [ पुराण चर्चा – 1 : विष्णु दशावतार तथा बुद्ध – 1]

पुराणों में ही उल्लिखित विविध पुराण श्लोक संख्याओं का अब उपलब्ध श्लोक संख्याओं से भेद मिलता है। पुराण परम्परा निरन्‍तर अद्यतन होती रही है। Harivansha Puran हरिवंश पुराण।

इतिहास अंत भ्रांति The End of history illusion : सनातन बोध – 16

सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 1  , 2, 3, 4 , 5 , 6, 7, 8, 9 , 10, 11,12, 13, 14 , 15 से आगे 2013 में ‘साइंस’ पत्रिका में ‘इतिहास अंत भ्रांति’ (The End of history illusion) के नाम से एक बहुचर्चित शोध प्रकाशित हुआ। हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डैन गिल्बर्ट भी इसके लेखकों में से एक थे। इस शोध में एक…

आदिकाव्य रामायण से – 20 : सुंदरकाण्ड, [न हि मे परदाराणां दृष्टिर्विषयवर्तिनी]

आदिकाव्य रामायण – 19 से आगे …  आगे बढ़ते हनुमान जी को पानभूमि में क्लांत स्त्रियाँ दिखीं, कोई नृत्य से, कोई क्रीड़ा से, कोई गायन से ही क्लांत दिख रही थी। मद्यपान के प्रभाव में मुरज, मृदङ्ग आदि वाद्य यंत्रों का आश्रय ले चोली कसे पड़ी हुई थीं – चेलिकासु च संस्थिता:। रूप कैसे सँवारा…

आदिकाव्य रामायण से – 19 : सुंदरकाण्ड, [चुचुम्ब पुच्छं ननन्द चिक्रीड जगौ जगाम]

आदिकाव्य रामायण – 18 से आगे …  रावण वैसा ही लग रहा था जैसे स्वच्छ स्थान पर ऊड़द का ढेर पड़ा हो, जैसे गङ्गा की धारा में कुञ्जर अर्थात हाथी सोया हो, माष राशिप्रतीकाशम् नि:श्वसन्तम् भुजङ्गवत्। गाङ्गे महति तोयान्ते प्रसुप्तमिव कुञ्जरम्॥  चहुँओर जलते स्वर्णदीपकों से रावण के सर्वाङ्ग वैसे ही प्रकाशित थे जैसे बिजलियों से…

प्रतिभूति (शेयर) बाजार में व्यापार (ट्रेडिंग) share market trading

बाजार के एक मित्र से बात हो रही थी कि कई लोग शेयर बाजार को गाली देते हैं और कहते हैं कि यह बाजार सही नहीं है, न निवेश के लिये, न ही कमाने के लिये और शेयर बाजार केवल जुआ या सट्टाबाजार जैसा ही है, और इससे अधिक कुछ और नहीं। सही बताऊँ तो…

मध्यमान प्रत्यावर्तन (reversion to mean) सिद्धान्त : सनातन बोध – 14

सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 1  , 2, 3, 4 , 5 , 6, 7, 8, 9 , 10, 11,12, 13 से आगे मध्यमान प्रत्यावर्तन (reversion to mean),  सांख्यिकी, मनोविज्ञान और व्यावहारिक अर्थशास्त्र का एक सहज परन्तु महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है। चार्ल्स डार्विन के चचेरे भाई फ़्रैन्सिस गॉल्टॉन को इसके प्रतिपादन का श्रेय दिया जाता…

यतो धर्मस्ततो जय:

धर्मक्षेत्र। भारत युद्ध में उपदिष्ट भगवद्गीता के चौथे अध्याय के आठवें श्लोक में श्रीकृष्ण वह कहते हैं जिसे राज्य के तीन आदर्शों के रूप में भी लिया जा सकता है: परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय दुष्कृताम् धर्म संस्थापनाय पहला सूत्र उपचारात्मक है, यदि सज्जन पीड़ित है तो उसे पीड़ा से मुक्ति दी जाय, अन्याय को समाप्त किया…

स्वर, वर्ण, मात्रा, छन्द, ताल, श्रुति – एक अस्फुट परिचय

आपने देखा होगा, वेदपाठी पाठ करते समय अपने हाथों को ऊपर नीचे करते रहते हैं। स्पष्ट सी बात है, संभवत: आपको पता हो कि वे चढ़ाव एवं उतार के अनुसार हाथों को हिलाते हैं। संगीत के सात स्वरों के बारे में भी आप ने सुना होगा, षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद, जिनके…

गायें, वृषाकपि, एकशृंग, वाराह और सरस्वती सिंधु (हड़प्पा) की प्रतीक विद्या

यास्क द्वारा ‘गौ’ के दिये गये अर्थों का अनुक्रम देखें तो हमें भारत में गाय की पवित्रता से सम्बंधित प्रश्न का उत्तर मिल जाता है। गाय पृथ्वी की पवित्रता का प्रतीक है। यवनों ने भी पृथ्वी को गाय के प्रतीक में ही देखा, गाइया।