Common Woodshrike खरकटा लहटोरा। इसका अधिकांश समय वृक्षों पर ही व्यतीत होता है। घास-फूस के झुरमुटों में रहने के कारण इसे खरकटा लहटोरा कहा जाता है।
भारतीय नाम : तरती तुँइया, सामान्य वन लटोरा, खरकटा लहटोरा, वन लटूषक, अरण्य लटूषक, કાંટનો લટોરો, रानखाटीक, जंगली खाटीक, ਜੰਗਲੀ ਲਾਤੁਰਾ, চুদুক্কা, ಅಡವಿಕೀಚುಗ, ఆలపిట్ట, അസുരത്താൻ
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Tephrodornis pondicerianus
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Vangidae
Genus: Tephrodornis
Species: T. pondicerianus
वर्ग श्रेणी : यष्टिवासी
Category: Perching Bird
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status (IUCN): LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Shedule: IV
नीड़-काल : फरवरी से सितम्बर तक, परन्तु मार्च से अप्रैल तक की अवधि अधिक अनुकूल।
Nesting Period: February to September, March to April more prolific.
आकार : लगभग ६.५ इंच
Size: 6.5in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : असामान्य (अत्यल्प दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Very less
लैङ्गिक द्विरूपता : अनुपस्थित (नर एवं मादा अभिज्ञान में समान)
Sexes: Alike
भोजन : कीड़े-मकोड़े और उनके लार्वे आदि।
Diet: Insect, Invertebrates, larvae etc.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : खरकटा लहटोरा लगभग ६.५ इंच का छोटा सा पक्षी है जिसके नर एवं मादा दिखने में समान होते हैं। देह का ऊपरी भाग धूसर भूरा एवं डैने के किनारे के पंख तनु वर्ण के होते हैं। पूँछ का वर्ण गहन भूरा, पूँछ के बीच के पंख धूसर और किनारे वाले श्वेतवर्णी होते हैं। नेत्रों के ऊपर चोंच के मूल से ग्रीवा तक एक श्वेत पट्टिका होती है। उदर भाग धूसर होता है जो नीचे की ओर तनु होता जाता है। नेत्र गोलक गहन वर्ण के होते हैं। चोंच नुकीली बलिश(hook) जैसी नीचे को मुड़ी हुई और टाँगें गहन धूसर होती हैं।
निवास : खरकटा लहटोरा हमारे देश का निवासी पक्षी है। जो हिमालय की तराई से लेकर पूरे दक्षिण भारत तक पाया जाता है। इसे सघन वन क्षेत्र रुचिकर नहीं होते हैं। इसको खुले मैदान, खेत के पेड़ों, उपवन-वाटिकाओं में निवास करना अधिक रुचिकर है। जहाँ ये एक शाखा से दूसरी पर प्लवन करती और कीड़े-मकोड़ों को उदरस्थ करती दिखाई पड़ सकती है। इसका अधिकांश समय वृक्षों पर ही व्यतीत होता है परन्तु यदा-कदा धरती पर भी उतरती है। घास-फूस के झुरमुटों में अधिक रहने के कारण इसे खरकटा लहटोरा भी कहा जाता है।
वितरण : खरकटा लहटोरा भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार तथा श्रीलंका में पाया जाता है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : खरकटा लहटोरा के प्रजनन का समय फ़रवरी से सितम्बर तक रहता है परन्तु वर्षा पूर्व का समय मार्च और अप्रैल इसके प्रजनन के लिए अधिक अनुकूल होता है। इस समय ये ५- २५ फीट की ऊँचाई तक के घने वृक्षों पर अपना नीड़ ऐसे स्थान पर बनाते हैं जो सरलता से दिखाई न पड़े। नीड़ प्याली सदृश (cup-like) अतीव सुन्दर होता है जिसे कोमल घास, तृण-पत्रादि, पौधे की कोंपल और रेशों, मकड़ी के जाले के तन्तुओं से निर्मित किया जाता है। मादा एक बार में २-३ अण्डे ही देती है। अण्डे आभायुक्त, चौड़े और अण्डाकार होते हैं। अण्डे बादामी या कत्थई चित्तियुक्त तथा श्वेत-हरिताभ रंंग के होते हैं। अण्डों का आकार लगभग ०.७५ * ०.६१ इंच का होता है।
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