भारतीय नाम : गिर्री, गिरिया, गुरगुर्श, काणक हंस, बाबा तरवा, गिरजा, गनगनी, डनडोना, কিকি হাঁহ (आसामी), ধলা বালিহাঁস (बांग्ला), ગીજા (गुजराती), ಬಿಳಿಬಾತು (कन्नड़), പച്ച എരണ്ട (मलयाळम), काणूक, कादंब, गुरगुरणारा तृणहंस (मराठी), हरिहाँस (नेपाली), குள்ளத்தாரா (तमिळ)

Cotton Teal गिर्री (नर), चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का कछार,माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, August 01, 2019
वैज्ञानिक नाम: Nettapus coromandelianus
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Anseriformes
Family: Anatidae
Genus: Nettapus
Species: Coromandelianus
Category: Duck like birds
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status: LC (Least Concerned)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़ काल : जुलाई से सितम्बर
Nesting Period: July-September
आकार : लगभग १२ इंच
Size: 12 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : द्विरूप
Sexes: Unalike
भोजन : मुख्य भोजन धान, बीज, घासों के बीज और कीड़े मकोड़े आदि।
Diet: Seeds, Pond Vegetation, Crustaceans, Insects etc.

Cotton Teal गिर्री (मादा), चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का कछार,माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, August 01, 2019
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : गिर्री भारत की वृक्ष पर रहने वाली बतखों में सबसे छोटी बतख है। इसके नर पक्षी का आकार लगभग १२ इंच और मादा इससे किञ्चित छोटी होती है। नर के शीर्ष का ऊपरी भाग कृष्ण वर्णीय होता है। पीठ, डैने और पंख हरिताभ एवं कान्तियुक्त बैगनी, पूंछ के किनारे श्वेत, ऊपरी भाग चित्तीयुक्त श्याव, मुख और ग्रीवा श्वेत, गले पर एक चौड़ी कृष्ण पट्टिका, चोंच कृष्णवर्णीय होती है। मादा चित्तीयुक्त भूरी, उड़ने के पंख किनारे तनु श्वेत, चोंच किञ्चित पीतवर्णीय भूरी। टाँगे हरित और नेत्र गहन रक्ताभ होते हैं। नर की बोली बहुत तीखी होती है और बहुत कुछ बाबा तरवा से मिलती है। इसीलिए इसे ग्राम-देहात में बाबा तरवा भी कहा जाता है। यह उड़ने के साथ-साथ डुबकी लगाने में भी निपुण होती है। यह दिन भर भोजन करने के पश्चात रात्रि में पास के किसी वृक्ष पर आश्रय लेती है।
निवास : गिर्री यहाँ की बारहमासी बत्तख है जो अपने भोजन और आवास की उपलब्धता के अनुसार न्यूनाधिक संख्या में पाई जाती हैं। यह अत्यंत ही निडर होती हैं। गाँव के पास के स्थित मीठे पानी के छोटे-छोटे सरोवर, झीलें जिनके निकट बबूल आदि के वृक्ष हों, इनके लिए उपयुक्त ठाँव होती हैं।
वितरण : गिर्री कश्मीर, राजस्थान, पञ्जाब और हिमालय के अतिरिक्त सम्पूर्ण भारत में पाई जाती है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : गिर्री नवम्बर से जून तक झुंडों में रहते हैं किन्तु जुलाई में युगल हो नीड़ बनाते हैं। नीड़ मादा ही बनाती है, नर साथ रहते हुए भी कोई सहयोग नहीं करता। वह अपना नीड़ सरोवर के निकट के किसी घने वृक्ष पर या किसी पुराने वृक्ष के कोटर में बनाती है। नीड़ बन जाने पर मादा एक बार में ८-१० अण्डे देती है जिनका वर्ण गजदन्त समान श्वेत होता है। अण्डों का आकार लगभग ०१.७०*१.२९ इंच होता है।
धन्यवाद
बहुत ही सारगर्भित जानकारी