नव संवत्सर लग रहा है, चुनाव भी हैं। इस प्रकार से मतदान करें कि देश को सशक्त सरकार मिले। ऐसी सरकार चुनने हेतु मतदान करें जिस पर आगे के सुधारों हेतु आप दबाव बना सकें — श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण हेतु, भीषण गति से बढ़ती अनुत्पादक जनसंख्या पर अंकुश हेतु, कैंसर बन चुके कश्मीर को सामान्य राज्य बनाने हेतु, शैक्षिक तंत्र में आमूल चूल परिवर्तन हेतु … समस्यायें अनेक हैं, सुलझी सरकार से ही सुलझनी हैं, लॉलीपॉप दे लुभाने वाली अकर्मण्य भ्रष्ट सरकार से नहीं। सरकार अर्थात सर्वकार, मतदान सोच समझ कर करें, अवश्य करें।
आज संवत २०७५ वि. का अंतिम दिन है, कल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर २०७६ विक्रमी का आरम्भ है, वासन्तिक नवरात्र/त्रि आयोजन का भी। नवें दिन मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्मदिवस होगा। नवरात्र का नवाँ दिन देवी सिद्धिदात्री का है। सिद्धिदात्री का रूप पद्मासना है, शङ्ख, चक्र, गदा एवं पद्मपुष्प धारिणी, विष्णु के समान ही।
लगता है कि महानिशा के पश्चात दिन में जब सूर्य अपने उच्चतम पर रहते हैं, उस मध्याह्न में जन्म लिये विष्णु अवतारी श्रीराम को गोद देने हेतु माता ने यह रूप धारण किया! प्रतीकात्मकता मन में क्रीड़ा करने लगती है। स्त्री पुरुष रूपों का सह-अस्तित्त्व जिसमें पहले माता हो, पुरुषोत्तम आगमन मध्याह्न की भूमिका रचती महानिशा एवं शुक्ल पक्ष की मध्य अष्टमी के पश्चात जब कि वेदपाठ को विराम देने की परम्परा रही है, नवमी के दिन पुनरारम्भ का अवतारी हर्ष — ऐसे आयोजन अद्भुत सृजन की क्षमता वाली अद्भुत मनीषा ही कर सकती है।
वार्षिक ऋतुचक्र के चार महत्त्वपूर्ण बिंदु हैं — दो विषुव जब कि दिन एवं रात सम पर रहते हैं तथा दो अयनांत जब कि सूर्य का क्रमश: उत्तरी एवं दक्षिणी झुकाव अधिकतम होता है। इन चारो के निकटवर्ती ही चार नवरात्र पर्व आयोजन होते हैं, दो प्रसिद्ध हैं — वासंतिक एवं शारदीय तथा दो गुप्त हैं। यहाँ भी संतुलन है कि प्रकट एवं गोपन को समान महत्त्व दिया गया है।
सैद्धान्तिक रूप से ये चारो बिंदु नववर्ष आरम्भ हेतु उपयुक्त माने जा सकते हैं। दक्षिणी झुकाव के अधिकतम होने के साथ उत्तरायण होते, चढ़ते सूर्य के कारण शीत से त्राण एवं दिन के घण्टे बढ़ने के आरम्भ के साथ कभी नववर्ष होता था।
वसंत में जब कि सर्वत्र नवरस, नवलय, नवपुष्प हों, विषुव सम पर नववर्ष कल का होगा। कभी वर्षा ऋतु का सम्बंध नववर्ष से था, वर्ष नाम से समझें। वर्षा ऋतु के प्रस्तावक आषाढ़ मास में एक गुप्तनवरात्रि होती है। विश्वामित्र द्वारा श्रावण नक्षत्र से नववर्ष आरम्भ, नये सप्तर्षि की रचना आदि कथाओं में वैकल्पिक मान्यताओं के संकेत मिलते हैं। इस कारण ही सहस्राब्दियों की परास वाले वैविध्य भरे भारत में दिक्काल भेद से विविध नवसम्वत्सर आयोजन मिलते हैं।
ऋतु परिवर्तन के संधि काल कृषि उपज के घर में आने के हर्ष काल हैं जब धर्म एवं काम की पूर्ति हेतु नयी उपज के रूप में नया अर्थ उपलब्ध हो जाता है। आगामी नवमी का पर्व श्रीराम के अतिरिक्त बहुत ही महत्त्वपूर्ण घरनी-आयोजन भी है। रसवती बनी वह नये गेहूँ के आटे से पूड़ियाँ बना कर समस्त देवकुल स्थानों पर अर्पित करती है कि वर्ष भर वह पूर्णा बनी रहे, उसके द्वार से न कोई भूखा जाय, न घर में कभी ऐसा समय आये कि भूखे रहना पड़े।
यह नववर्ष स्थूल स्तर पर भी संक्रमण काल है। नवरस आह्लाद पुलवामा में हुये जिहादी आक्रमण एवं उसके अनन्तर घटित से कहीं न कहीं प्रभावित है। नयी लोकसभा के चयन हेतु चुनावों की भेरी बज चुकी है। नवरात्र आयोजन के समय ही चुनाव आरम्भ हो जायेंगे। बीते दिनों में भारत ने अपनी छवि में महत्त्वपूर्ण सुधार यह किया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट संदेश गया है — जिहादी या अन्य आक्रमणों की स्थिति में हम सीमा लाँघ कर शत्रु पर आघात करने में न समय लगायेंगे, न ही वायवीय नैतिकता के चक्कर में पड़ेंगे। येन केन प्रकारेण लक्ष्यसिद्धि को तत्पर यह कूटनीतिक एवं सामरिक भारत है। समृद्धि उठान पर है, आर्थिक मानक उत्साहवर्द्धक हैं, शेयर मार्केट उछाल पर है, नवनिर्माण को बहुत ही कुशलता एवं तीव्रता के साथ प्राप्त किया जा रहा है, जनता में सुरक्षा को ले कर आत्मविश्वास बढ़ा है। यह सकारात्मक परिवर्तनों को दक्षता के साथ प्राप्त करता उठता भारत है।
ऐसे में जनता से अपेक्षायें बढ़ जाती हैं। इस नववर्ष संकल्प लें, नवरात्र के व्रत के साथ जोड़ लें कि मतदान अवश्य करना है, कुटुम्बियों, सुहृदों, मित्रों एवं सम्बंधियों से भी अवश्य करवाना है, उस दिन न छुट्टी मनाना है, न पिकनिक पर जाना है। आप के अपने हित इससे जुड़े हैं — दीर्घकालिक भी, लघुकालिक भी। आप को अपने हित मतदान करना है।
मतदान यह सोच कर करें कि देश भीतर से एवं बाहर से भी आसन्न जिहादी संकट में है। ऐसी सरकार चुनने हेतु मतदान करें जो सुरक्षा सुनिश्चित करे, जो बढ़ती समृद्धि के संवेग को बढ़ाये रखे, जनता में आत्मविश्वास बनाये रखे तथा लोककल्याण की दिशा में नवोन्मेषी हो काम करे। ऐसी सरकार चुनने हेतु मतदान करें जिस पर आगे के सुधारों हेतु आप दबाव बना सकें — श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण हेतु, भीषण गति से बढ़ती अनुत्पादक जनसंख्या पर अंकुश हेतु, कैंसर बन चुके कश्मीर को सामान्य राज्य बनाने हेतु, शैक्षिक तंत्र में आमूल चूल परिवर्तन हेतु … समस्यायें अनेक हैं, सुलझी सरकार से ही सुलझनी हैं, लॉलीपॉप दे लुभाने वाली अकर्मण्य भ्रष्ट सरकार से नहीं। सरकार अर्थात सर्वकार, मतदान सोच समझ कर करें, अवश्य करें।
नववर्ष में सिद्धिदात्री, देश हेतु, जनता हेतु सिद्धिदायी हों, हम पुरुषोत्तम श्रीराम के रामराज्य की दिशा में बढ़ें, इस मंगल कामना के साथ आगामी नववर्ष का अभिनन्दन।