हिन्दी नाम: खैरा बगुला, काबुड, सैन, अंजन बक
वैज्ञानिक नाम: Ardea Cinerea
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Pelecaniformes
Family: Ardeidae
Genus: Ardea
Species: Cinerea

Grey Heron, खैरा बगुला। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, समदा झील, सोहावल, फैजाबाद उत्तर प्रदेश, May 10, 2018
श्रेणी: बगुला
Category: Wader
जनसँख्या: ह्रासमान
Population: Decreasing
संरक्षण स्थिति: सङ्कटमुक्त
Conservation Status: LC (Least Concern)
प्रवासीय स्थिति: प्रवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता: सुलभ
Visibility: Common
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची: ४
Wildlife Schedule: IV
आकार: लगभग ४० इंच
Size: 40in (approx.)
लैङ्गिक द्विरूपता: लैङ्गिक एकरूपता
Sexes: Alike
भोजन: मछली, घोंघे, मेंढक, केंकड़ा, छिपकली और कीट पतंगे आदि।
पहचान एवं रंग-रूप: यह सिलेटी तथा सफ़ेद रंग का बगुला होता है। जो अन्य सभी बगुलों से बड़ा होता है। नर और मादा दिखने में एक जैसे होते हैं। इसका सिर सफ़ेद रंग का होता है। सिर के पीछे काले रंग की चोटी। आंख के पीछे की पट्टी गहरी बैगनी/काले रंग की, सिर का बाकी हिस्सा तथा गर्दन सफ़ेद। ऊपरी भाग राख जैसा भूरा तथा नीचे के भाग पर काली रेखाएं। ऊपरी हिस्सा, पूंछ और डैने सिलेटी, कंधे के परों के सिरे सफ़ेद और बड़े पंख निलछौह काले रंग के। सीने के पर मुलायम एवं सफ़ेद, जिसके बीच में एक काली पट्टी और नीचे का भाग सफ़ेद होता है। आंख की पुतली सुनहली पीली, चोंच धूमिल पीली तथा नुकीली और लम्बी होती है।
निवास: राखी बगुला हमारे देश का बारहमासी पक्षी है जो पूरे साल हर तरह के जलाशयों में देखा जा सकता है। यह जोड़ा बनाने के समय को छोड़कर ज्यादातर अकेले ही दिखाई पड़ता है। झीलों, नदियों तथा जलाशयों के निकट यह चुपचाप छिछले पानी में किनारे मछलियों के लिए घात लगाये चुपचाप खड़ा रहता है।
वितरण: पूरे भारतवर्ष में, १४०० मीटर की ऊँचाई तक कश्मीर में, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार तक।

Grey Heron, खैरा बगुला। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, समदा झील, सोहावल, फैजाबाद उत्तर प्रदेश, May 10, 2018
प्रजनन काल तथा घोंसला: इसके जोड़ा बनाने का समय जुलाई से सितम्बर तक उत्तर भारत तथा नवम्बर से मार्च तक दक्षिण भारत में रहता है। उस समय ये किसी जल स्रोत के पास पेड़ पर टहनियों का भद्दा सा घोंसला बनाते हैं। घोंसले के अन्दर के भाग को कोमल घास-फूस और पत्तियों से मुलायम बना दिया जाता है। घोंसले ऊंचे पेड़ों पर झुण्ड में या कभी-कभी एक ही पेड़ पर कई घोसले भी देखे गए हैं। समय आने पर मादा इसमें ३-६ तक अण्डे देती है। जो थोड़े चौड़े और अंडाकार तथा गहरे समुद्री हरे/नीले रंग के होते हैं। अण्डों का आकार लगभग २.२७*१.६६ इंच का होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी (खैरा बगुला: कुछ रोचक तथ्य)
सारस जैसा दिखाई देने वाला ये विशालकाय बगुला दिन और रात में समान रूप से देखने की क्षमता रखता है। प्रजनन के लिए नर की रूचि हर बार नयी मादा में ही होती है। पुराने समय में पश्चिमी जगत में ऐसी मान्यता भी थी कि यदि पूर्णिमा की रात्रि में इसका शिकार करके इसकी चर्बी प्रयोग में ली जाये तो संधिवात (गठिया) रोग को सही करता है। कभी-कभी यह अपने शिकार (मछली) आदि को एक बार में ही निगल जाता है जो इसके गले में फंस जाता है। इसके अच्छे शिकारी कौशल को देखते हुए मध्यकाल में इसका प्रयोग शिकारियों द्वारा प्रशिक्षण देकर किया जाता था।