Cotton Teal गिर्री (जोड़ा), चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का कछार,माझा, अयोध्या, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश, August 01, 2019

Cotton Teal गिर्री

गिर्री भारत की वृक्ष पर रहने वाली बतखों में सबसे छोटी बतख है। इसे ग्राम-देहात में बाबा तरवा भी कहा जाता है। यह उड़ने के साथ-साथ डुबकी लगाने में भी निपुण होती है।

पढ़ें

Muri muri hui hui मौन से भी मृदु

माओरी गीतों में युद्ध, प्रतिद्वंद्विता एवं उदात्त मानवीयता के आदिम भाव मिलते हैं। भावना एवं अभिव्यक्ति में उनकी साम्यता कुछ वैदिक स्वस्तियों से भी है। सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया, जीवन शरद शत जैसे काव्य भाव उनके यहाँ भी हैं यद्यपि आधुनिक काल की रचनाओं में मिलते हैं। उन्हें रचने वालों ने वेद पढ़े या नहीं, इस पर कोई सामग्री नहीं मिली।

पढ़ें

दिन सदैव सूरज का

अरुणोदय हो रहा था। क्षितिज कांतिमान एवं पाटल हो चला था, मानो एक बहुत ही उज्ज्वल भविष्य का आगम बाँच रहा हो। मौसी मुझे अलिंद की ओर ले चलीं एवं शनै: शनै: उदित होते सूर्य की ओर इङ्गित कीं,“जानती हो? दिन सदैव सूरज का होता है।“

पढ़ें

Wake उत्सवी अवसर

प्रेमी वही जो बहने दे जैसे जल जाने देता। प्रस्तुत कविता सम्भोग समय स्त्री मन की अपेक्षाओं को उपमाओं एवं अन्योक्ति शैली में अभिव्यक्ति देती है।

पढ़ें

Ego Trap Narcissism आत्मप्रशंसा शत्रु : सनातन बोध – 59

सनातन दर्शन में आत्मश्लाघा, आत्मप्रेम, आत्मप्रवञ्‍चना इत्यादि को स्पष्ट रूप से मिथ्याभिमान तथा अविद्या कहा गया है। वहीं स्वाभिमान की भूरि भूरि प्रशंसा भी की गयी है तथा उसे सद्गुण कहा गया है। अर्थात दोनों का विभाजन स्पष्ट है।

पढ़ें

सारी धरती से

इस बार के विशेषाङ्क में हमने वैश्विक साहित्य से उन सम्वेदनाओं को अनुवादों के माध्यम से सँजोया है जो देश काल से परे सबको झङ्कृत करती हैं। एशिया, यूरोप, दोनों अमेरिका, अफ्रीका एवं ऑस्ट्रेलिया महाद्वीपों से विविध कालखण्डों की ऐसी रचनायें प्रस्तुत हैं जिनमें मानवीय प्रेम, उत्साह, विलास एवं हताशा से उठती आशायें दिखती हैं।

पढ़ें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Post comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.