‘फ्रण्टियर वेंचर्स’ इसाइयत के प्रसार का लक्ष्य ले कर चलने वाला एक अमेरिकी संगठन है। इसकी अनेक आनुषंगिक इकाइयाँ भी हैं। कार्यसिद्धि के लिये बनाये गये इसके विभिन्न विभाग ministry कहलाते हैं जिनकी कुल संख्या 12 है। इस संगठन की योजनायें बहुत ही महत्त्वाकांक्षी और बृहद हैं। यह संस्था पहले U.S. Center for World Mission के नाम से जानी जाती थी। इसके संस्थापक राल्फ और रॉबर्टा विण्टर दम्पति थे। मृत्यु से पहले डॉ. राल्फ डी. विण्टर को ‘टाइम’ पत्रिका ने ‘America’s 25 most influential evangelicals’ की सूची में स्थान दिया था। वर्तमान में इसके अनेक पदाधिकारियों की सूची में जिन तीन महानिदेशकों के नाम सबसे ऊपर हैं वे ये हैं – ब्रूस ग्राहम, डेव डटेमा और चाङ्ग किम।
‘जोशुआ प्रोजेक्ट’ इसकी एक मिनिस्ट्री है जिसने ईसाइयत के प्रसार के लिये कथित ‘10/40 खिड़की’ पर स्वयं को केन्द्रित रखा है। भौगोलिक अक्षांश 10° से ले कर 40° तक (और उनसे लगे हुये) विराट भू भाग को यह नाम दिया गया है, जिसमें विश्व की हिन्दू, बौद्ध और मुसलिम जनसंख्या का बहुसंख्य निवास करता है। इस क्षेत्र को यह संगठन ‘प्रतिरोध पट्टी Resistance Belt’ कहता है। इस पट्टी में रहने वाले जन को 8178 विशिष्ट समूहों में बाँट कर उनमें से 5579 को असाधित (unreached) श्रेणी में रखा गया है अर्थात लगभग 3 अरब जनसंख्या को इसाई बनाने के लक्ष्य के साथ यह संगठन कार्यरत है। इसाइयों के भी दो वर्ग ‘सामान्य इसाई’ और ‘पंथपरिवर्तक इसाई’ सृजित करने पर बल दिखता है।
भारत के परिप्रेक्ष्य में यह संगठन 2245 जनसमूहों की पहचान करता है जो कि पूरे का लगभग 28% है। इनमें से 2026 को यह असाधित श्रेणी में रखता है जो कि कुल असाधित का लगभग 36% है और उसके भीतर भारत की 95% जनसंख्या निहित है।
चित्र, वर्ग, देशीय संख्या, वैश्विक संख्या, मूल, प्राथमिक भाषा और प्राथमिक पंथ के आधार पर वर्गीकृत जनसमूहों के भीतर ईसाइयत के प्रसार को पाँच रंंगों के प्रगति स्केल पर परखा जाता है और तदनुसार समीक्षा और आगे की योजना पर कार्य किया जाता है। जातियों के भीतर भी उपजातियों के अनुसार वर्गीकरण किये गये हैं। उदाहरण के लिये ब्राह्मणों के 84, बनियों के 47 और राजपूतों के 106 आदि।
पूर्वी पञ्जाब का ‘क्रिश्चियन ब्राह्मण’ समूह उल्लेखनीय है, जिनके 1400 जन को जाति वही रखते हुये ईसाई मत का अनुयायी बताया गया है। कुछ प्रश्न उठते हैं। पंथपरिवर्तन निरोधक विधिक प्रावधानों के रहते हुये भी ये ऐसा कैसे कर पा रहे हैं और क्यों न तो पकड़ में आ रहे हैं और न ही कहीं से परिवाद के स्वर उठ रहे हैं? इनकी योजना दूरगामी है और लक्ष्य के प्रति समर्पण पूर्ण। धन की कोई समस्या तो है ही नहीं। धीरे धीरे दीमकों की भाँति कार्य करने में इनका विश्वास है। पहले जाति अभिमान बनाये रखते हुये ‘व्यक्तिगत रूप’ से ईसाई बनाना है। शनै: शनै: ऐसे जन के समूह बनाने हैं। प्रभावी संख्या हो जाने पर उन समूहों के बीच से ही धर्मप्रचारक इवेंजलिस्ट निकल कर आयेंगे जो साधक, उत्प्रेरक और नियामक सभी कार्य करेंगे। ऐसी स्थिति में प्राइवेट रूप से गुपचुप ईसाई बन चुका व्यक्ति न तो अपनी पहचान बताता है और न ही उसके सुहृद परिवारियों को इसकी भनक ही लगती है। पकड़ में आने और परिवादों की स्थिति पहुँचने तक ‘पंथनिरपेक्ष’ देश में इनकी स्थिति सुदृढ़ हो चुकी होती है। ऐसा ये भारत के अन्य भागों में कर चुके हैं।
सामाजिक उन्नति की ओर अग्रसर, राजनैतिक रूप से संगठित, प्रभावी एवं दबंग जातियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पाकिस्तान के जाट मुस्लिम और भारत के यादवों पर विशेष ध्यान है। संगठन की रणनीति स्पष्ट है – उत्थान यात्रा करते जन के जातीय गौरव को यथावत रखते हुये उनकी मान्यताओं और रीतियों में पैठ बना कर उनका पंथपरिवर्तन सरल होगा। ठीक यही कार्य ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ आये मिशनरियों ने किया। अब बहुत ही वैज्ञानिक विधि से संसाधनों और सूचना क्रांति का उपयोग करते हुये नये प्रचारक ऐसे काम कर रहे हैं।
‘परमेश्वर यादवों से प्रेम करता है’ का आमुख कथन लिये छ: करोड़ यादवों को टार्गेट करती आनुषंगिक वेब साइट ‘गॉड लव्स यादव डॉट ऑर्ग’ पर उपलब्ध सामग्री जोशुआ प्रोजेक्ट के उद्देश्य, कार्य के ढंग और लक्ष्य के प्रति सामरिक समर्पण को रेखांकित करती है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो जाता है कि मिशनरियों के समाजोन्नति, शिक्षा और कल्याणकारी कार्यों के पीछे छिपा उद्देश्य पंथपरिवर्तन है।
धर्म संस्कृति की उदार रज्जु से जुड़े सनातनियों को खण्ड खण्ड बाँट कर इवेंजलिस्ट बनाने का काम ऐसे सम्पन्न किया जाता है।
गिरोह का इलाज गिरोह ही करेगा।
आश्चर्य है की non of central government has tried to understand the hidden agendas of these missionaries. The way our enemies is targetting our sanatan dharma is in danger jone. Even mughals and britishers were not able to convert the hindus , the way today is being done conversion. The attact of real sanatan and harm did cannt be calculated. … Most probably real hindus will be limited in a small area. Sorry hindi font isnt working..
दिचूम इन्हीं का प्रोडक्ट लगता है।
अकेला दिचूम?
पूरा गिरोह है, सुसंगठित गिरोह।
लक्ष्य निश्चित किए जाते हैं।
काम सौंप कर प्रगति की रिपोर्ट ली जाती है।