Pied bushchat काला पिद्दा
भारतीय तथा अन्य नाम
सामान्य हिन्दी/भोजपुरी : काला पिद्दा,अश्म, अश्वक
संस्कृत : कृष्णपीत स्थूलचञ्चु
बांग्ला : পাকড়া ঝাড়ফিদ্দা
नेपाली : काले झ्याप्सी
तमिळ : புதர்ச்சிட்டு
मराठी : कवडा गप्पीदास, कवड्या वटवट्या
गुजराती : કાબરો પીદ્દો, શામો પીદ્દો, સ્ટ્રીકલેન્ડનો પીદ્દો
मलयालम : ചുറ്റീന്തൽക്കിളി
अंग्रेजी नाम : Pied bushchat, Pied bush chat, Saxicola caprata
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Saxicola caprata
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Muscicapidae
Genus: Saxicola
Species: S. caprata
गण-जाति : यष्टिवासी
Clade: Perching Bird
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status (IUCN): LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़-काल : फरवरी से जून तक।
Nesting Period: February to June
आकार : लगभग ५ इंच
Size: 5 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : सामान्य (प्राय: दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Common
लैङ्गिक द्विरूपता : उपस्थित (नर और मादा भिन्न)
Sexual Dimorphism: Present (Unlike)
भोजन : कीड़े-मकोड़े, शलभ आदि।
Diet: Insects, moth etc.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : काला पिद्दा लगभग ५ इंच लम्बा पक्षी है जो भारत के समस्थली भागों में प्राय: किसी ऊँचे स्थान, घास या किसी सस्य की चोटी पर बैठा देखा जा सकता है। इसके नर और मादा के वर्ण में भिन्नता होती है। नर गहन कृष्णवर्णी होता है। अधोभाग में कुछ स्थानों, यथा उदर, पुच्छिका मूल, डैने आदि पर पर श्वेत या मलिन वर्ण की पट्टिकाएँ हो सकती हैं जबकि मादा का वर्ण पूर्णत: भूरा होता है। मादा के ऊर्ध्वभाग पर गहन भूरी पट्टिकाएँ होती हैं।
निवास : काला पिद्दा पूरे भारत के समस्थली भागों में पाया जाता है, २५०० मीटर की ऊँचाई तक हिमालयी क्षेत्रों में भी। इन्हें घने वनक्षेत्र रुचिकर नहीं हैं एवं ये खेतों, घास के सरेह, झाड़ियों आदि में ही पाए जाते हैं। ये अपने बैठने के स्थान से उड़कर भूमि पर जाकर कीड़े पकड़ कर पुनः अपने स्थान पर आ जाते हैं। कभी-कभी उड़ते हुए भी शलभ आदि कीटों को पकड़ लेते हैं।
वितरण : काला पिद्दा भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार में भी पाया जाता है। कभी-कभी स्थानीय प्रवास भी करता पाया गया है।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : काला पिद्दा के नीड़ निर्माण का समय सामान्यतया फरवरी से जून तक होता है तथापि अगस्त तक भी इनके नीड़ देखे गए हैं। इनके नीड़ मुख्यत: धरा के गड्ढों, विवर आदि में होते हैं जिन्हें कोमल तृण-पत्रादि, केश, तंतु आदि से बनाया जाता है और उसे घास से ढक दिया जाता है। मादा एक बार में ३-५ अण्डे देती है। अण्डे श्वेत कान्तिमान, नीलाभ या तनु पाटल वर्ण लिए हो सकते हैं जिन पर चित्तियाँ हो सकती हैं। अण्डों का आकार लगभग ०.६७ * ०.५५ इंच तक होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी
इन पक्षियों का समूह बड़ा समूह है एवं समानता के कारण इनके अभिज्ञान एवं नामकरण में भी किञ्चित अतिव्याप्ति रही है। अश्म शब्द का अर्थ पत्थर या चट्टान है जिसकी सङ्गति Rock Thrus एवं Stone Chat (Saxicola torquatus) से बैठती है।
इस पक्षी का अश्वक नाम अश्व अर्थात घोड़े के शिशु की चञ्चल चपल प्रकृति से साम्यता के कारण पड़ा। आशु शब्द का अर्थ त्वरा से जुड़ता है और यह पक्षी उसी प्रकार फुदकता पाया जाता है। प्राकृत में इस परिवार के पक्षियों हेतु आसक्ख व आसक्खओ (संस्कृत – अश्वाख्य एवं अश्वाख्यक) जैसे नाम मिलते हैं। वसंतराज अनुसार –
वध्वागमाभीप्सितकार्यसिद्धिं करोति पुच्छं पुनरुत्क्षिपन्ती।
नृत्यन्त्यभीक्ष्णं परमप्रमोदान्महोत्सवं मङ्गलमादिशन्ती ॥
…
लुण्ठत्यवन्यां गुलिकेव तारा या याति पद्भ्यां गुलिकिर्मता सा।
इस प्रकार के पक्षियों की भूमि पर लुढ़कती हुई गोली के समान गति के कारण ‘लुण्ठति’ शब्द का प्रयोग हुआ है। पिद्दी, पिद्दा जैसे नाम संस्कृत के पैद्व या पिद्व जैसे शब्दों से आ रहे हैं जिनके अर्थ उछल कूद करते घोड़े व एक प्रकार के अज से जुड़ते हैं।
स्थूलचंचू या स्थूलचञ्चु एक प्रकार की वनस्पति है जिस पर इसके बहुधा पाये जाने के कारण इसका नाम पड़ा हो सकता है।
A lot of info for me ,a student of Ornithology!!!