भारतीय नाम : सुरमई, सुरमल, कृष्ण महाबक, काळा करकोचा, কালো মানিকজোড়, കരിമ്പകം, கரும் நாரை, कुरण्टक (संस्कृत )
वैज्ञानिक नाम : Ciconia nigra
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Ciconiiformes
Family: Ciconiidae
Genus: Ciconia
Species: Nigra
वर्ग श्रेणी : बगुला जैसा पक्षी।
Category: Wader Birds
जनसङ्ख्या : अज्ञात
Population: Unknown
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status (IUCN): LC
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Shedule: IV
नीड़ काल : अप्रैल से मई तक यूरोप में
Nesting Period: April-May in Europe
आकार : लगभग ४०-४४ इंच, पंखों का प्रसार ६०-६१ इंच, भार लगभग ३ किलोग्राम
Size: 40-44in, Wingspan: 60-61in, Weight: 3kg
प्रव्रजन स्थिति : प्रवासी पक्षी
Migratory Status: Migratory bird
दृश्यता : अत्यल्प दृष्टिगोचर
Visibility: Very less
लैङ्गिक द्विरूपता : समरूप (नर का आकार मादा से किञ्चित बृहद)
Sexes: Alike (Male is slight liarger than Female)
भोजन : मछली, मेंढक, घोंघे, बड़े कीड़े-मकोड़े आदि।
Diet: Fish, Amphibians, Invertebrates, Insects etc.
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : कृष्ण महाबक लम्बी टांगों वाला बगुला परिवार का एक सुन्दर पक्षी है जो अपने कृष्ण वर्ण के कारण ही सुरमई नाम से भी जाना जाता है। अभिज्ञान में नर एवं मादा समरूप ही होते हैं परन्तु नर आकार में किञ्चित बड़ा होता है। उदर से लेकर वक्ष तक वर्ण श्वेत होता है। शेष शरीर कलछौंह होता है जिस पर हरित एवं नील वर्णीय आभा होती है। नेत्रों के समीप की त्वचा रोम रहित, अनावृत्त एवं चोंच से मिलते हुए रक्त वर्णी होती है। नेत्र, चोंच तथा टाँगे रक्त वर्णी ही होते हैं।
निवास : कृष्ण महाबक भारत का ऋतुकालिक पक्षी है जो शीत ऋतु में उत्तर-पश्चिम से आकर यहाँ निवास करता है तथा ग्रीष्म ऋतु में पूर्वी एशिया से यूरोप तक निवास करता है। कुछ पक्षी अफ्रीका में भी निवास करते हैं। इसे अकेले या छोटे-छोटे झुण्ड में खुले मैदानो के छिछले पानी के स्रोतों में दिन के समय भोजन की खोज करते और पेट भर जाने पर आराम करते देखा जा सकता है। रात्रिकालीन विश्राम हेतु यह किसी वृक्ष पर चले जाते हैं।
वितरण : कृष्ण महाबक भारत में उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं उसके आसपास के क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड में आते हैं। ग्रीष्म काल में ये यूरोप तथा एशिया में रहते हैं जबकि शीत काल में अफ्रीका तथा भारत में।
अवध में प्रवास: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद के सुहेलदेव वन्यजीव अभयारण्य में विगत अनेक वर्षों से ४०-५० की संख्या में इनका आगमन हो रहा है। इस दुर्लभ पक्षी के संरक्षण और संवर्धन के लिए अभ्यारण का प्रशासन प्रयासरत है। प्रतिदिन इन पर दृष्टि रख इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है जिससे इन अतिथियों का यहाँ का प्रवास सुखद हो और निकट भविष्य में इनकी संख्या में वृद्धि भी हो सके। इनका यहाँ आना अवध क्षेत्र लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। सुहेलवा जंगल के जलाशय और उनके आसपास के वृक्ष इसके शीतकालीन आवास के लिए उपयुक्त हैं।
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : कृष्ण महाबक भारत का प्रवासी पक्षी है, इस कारण प्रजनन के समय ये अपने मूल देश लौट जाते हैं। अप्रैल से मई के मध्य मानव बस्ती से दूर किसी ऊँचे वृक्ष पर शुष्क शाखाओं से अपना नीड़ निर्मित करते हैं। जिसमे समय आने पर मादा ३-५ अंडे देती है। अण्डों का आकार लगभग ३.२*१.५ इंच का होता है।
सम्पादकीय टिप्पणी :
प्राय: सभी भाषाओं में कृष्ण महाबक के नाम इसके कृष्ण वर्ण से गढ़े गए हैं। सुरमई, सुरमल या काळा आदि भारतीय नाम तो कृष्ण वर्ण से सम्बंधित हैं ही, अन्य स्थानों पर भी लोगों ने इसे कृष्ण वर्ण से ही जोड़ा है। वैज्ञानिक नाम में ‘nigra’ काली जाति से आया है। निम्नलिखित अन्य भाषाओं के नामों के जो भाग स्थूल किये गए हैं, वे सभी काले रंग अथवा उससे सम्बंधित अर्थ ही रखते हैं। जापानी नाम कड़ाही (जो चूल्हे पर काली हो जाती है) से लिया गया है। आइसलेंडीक का kol कोयला है।
English: Black Stork, Czech: čáp černý, German: Schwarzstorch, Danish: Sort Stork, Spanish: Cigüeña Negra, Finnish: mustahaikara, French: Cigogne noire, Icelandic: Kolstorkur, Italian: Cicogna nera, Japanese: nabekou, Japanese: ナベコウ, Dutch: Zwarte Ooievaar, Norwegian: Svartstork, Norwegian Nynorsk: Svartstork, Polish: bocian czarny, Portuguese: Cegonha-preta, Russian: Чёрный аист, Slovak: bocian čierny, Swedish: svart stork, Ukrainian: Лелека чорний, Chinese:黑鹳
बेहतरीन जानकारी