
Red Avadavat(Male) लाल मुनिया(नर)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का किनारा, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, January 15, 2019
भारतीय तथा अन्य नाम : लाल, लाल मुनिया, ललमुनियाँ, लालमुनी चिरई, रक्तपुत्री, लट्वाका, कलविङ्क, ਲਾਲ ਮੁਨੀਆ, સુરખ, લાલ મુનિયા , લાલ તપશિયુ, ৰঙা টুনি, लाल मुनिया, लाल मनोली, ಕೆಂಪು ರಾಟವಾಳ, சிவப்புச் சில்லை, കുങ്കുമക്കുരുവി, Red Munia, Strawberry Finch, Amandava amandava
वैज्ञानिक नाम (Zoological Name) : Amandava amandava
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Estrildidae
Genus: Amandava
Species: A. amandava
वर्ग श्रेणी : यष्टिवासी
Category: Perching Bird
जनसङ्ख्या : स्थिर
Population: Stable
संरक्षण स्थिति (IUCN) : सङ्कट-मुक्त
Conservation Status (IUCN): LC (Least Concern)
वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४
Wildlife Schedule: IV
नीड़-काल : जून से अक्टूबर तक
Nesting Period: June to October
आकार : लगभग ४ इंच
Size: 4 in
प्रव्रजन स्थिति : अनुवासी
Migratory Status: Resident
दृश्यता : असामान्य (अत्यल्प दृष्टिगोचर होने वाला)
Visibility: Uncommon
लैङ्गिक द्विरूपता : उपस्थित (नर और मादा भिन्न)
Sexual Dimorphism: Present
भोजन : अन्न के दाने एवं घास के बीज।
Diet: Grain seeds, Grass seeds etc.

Red Avadavat(Male) लाल मुनिया(नर)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का किनारा, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, January 15, 2019
अभिज्ञान एवं रङ्ग-रूप : लाल मुनिया, अपने नाम के अनुरूप सान्द्र लाल वर्ण का सुन्दर पक्षी है जो लगभग ४ इंच का होता है। यह छोटे-छोटे झुण्ड में तथा यदा-कदा तेलिया मुनिया के साथ भी दिखाई पड़ सकता है। इसका नर गहन लाल वर्ण का और मादा भूरे वर्ण की होती है। इसके गले के पास, डैनों पर छोटी-छोटी श्वेत बिंदुवत छींटें होती हैं। मादा में छीटें अल्प और तनुवर्णी होती हैं। मादा के ऊपरी पंख भूरे, गला तनु श्वेत और उदर भाग तनु नारंगी होता है। नर व मादा, दोनों की चोंच छोटी और लाल होती है। अवयस्क का वर्ण धूसर कृष्ण-भूरा, अधोभाग तनु भूरा नारंगी तथा चोंच कृष्णवर्णी होती है। इनके चोंच का वर्ण ऋतु के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। अप्रैल में इनका वर्ण सहसा ही कृष्ण हो जाता है, पुन: मई से तनु लाल होते हुए नवम्बर-दिसम्बर तक गहन लाल हो जाता है।

Red Avadavat (Female) लाल मुनिया(मादा)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का किनारा, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, January 10, 2019
निवास : लाल मुनिया को जलाशय आदि के आर्द्र स्थान अधिक रुचिकर हैं जहाँ लम्बी घास, नरकुल, सरपत आदि की बहुतायत हो। वहाँ पर ये छोटे-छोटे झुण्ड में दिखाई पड़ सकती हैं, पर किञ्चित भी हलचल सुनाई देने पर स्वर के साथ उड़ जाती हैं।
वितरण : लाल मुनिया भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान में पाई जाती हैं । इनकी कुछ उपजातियाँ चीन, म्यांमार, कम्बोडिया और वियतनाम में भी पाई जाती हैं। भारत में ये हिमालय पर २००० फीट की ऊँचाई तक से लेकर कन्याकुमारी तक पाई जाती हैं।

Red Avadavat (Female) लाल मुनिया(मादा)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का किनारा, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, January 10, 2019
प्रजनन काल तथा नीड़ निर्माण : लाल मुनिया के प्रजनन का समय कोई निश्चित नहीं होता है पर जून से अक्टूबर तक इनके नीड़ मिलते हैं। ये अपना नीड़ नरकुल, सरपत या अन्य ऐसी लम्बी झाड़ियों के बीच में धरती से ३-४ फीट की ऊँचाई पर बनाते हैं। नीड़ बड़ा और गोलाकार होता है। नीड़ को मृदु घास आदि से बनाया जाता है और मादा एक बार में सामान्यत: ५-६ अण्डे देती है जिनका वर्ण श्वेत होता है। अण्डों का आकार लगभग ०.५५ * ०.४३ इंच होता है।

Red Avadavat (Juvenile) लाल मुनिया(अवयस्क)। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का किनारा, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, January 15, 2019
सम्पादकीय टिप्पणी
संस्कृत साहित्य में लाल मुनिया के ‘सुनार(ल) कलविङ्क‘ होने की सम्भावना है – सुनार: कलविङ्के। इसे सेव्य भी कहा गया है जोकि चटक समान पक्षियों का समूह है – चटको वर आटक: बलिभुक् कलविङ्कश्च सेवयस्तिलककण्टक: ।
सुनाल एवं सेव्य जलराशि के किनारे उगने वाली लम्बी घास हैं जिनमें लाल मुनिया नीड़ बनाती है। सुनाल रक्तकमलिनी को भी कहते हैं जिसके रंग की साम्यता नर लाल मुनिया के सिर से होती है। सेव्य नाम से उन समस्त पाल्य लघु पाल्य पक्षियों का अर्थ लिया जाता है जिन्हें पिंजरे में रखा जाता है।
लघु आकार के इन पक्षियों के नर को लाल कहे जाने के पीछे हिंदी क्षेत्र का वह भाव भी है जिसमें बालक को ‘लाल (लालक, ललन)’ कहा जाता है। बालिकाओं को मुन्नी एवं मुनिया भी कहा जाता है जो इस पक्षी की मादा हेतु भी प्रयुक्त होते हैं। श्री दवे के अनुसार लाल मुनिया नाम की सार्थकता इस प्रकार से जानी जा सकती है। एक प्राकृत नाम पुत्तिका से रक्तपुत्रिका नाम की संगति बैठती है जिसमें भी मुनिया का भाव है।
कुलिङ्गक व कुलिङ्कक नाम भी प्रचलित हैं। प्राकृत में लिंक शब्द का प्रयोग बच्चे हेतु होता है। दवे के अनुसार पिंजरे में इधर उधर नृत्य करते रहने के कारण इसे लट्वाका भी कहा गया जो कि लट्वा शब्द से है जिसका अर्थ नाचने वाली लड़की होता है।
लट्वा बच्चों की छोटी सीटी भी होती है। ध्वनि साम्य के कारण भी इन्हें लट्वाका, लट्वा क्षुद्र चटका कहा गया। लटुकिका जातक में हाथियों के आते हुये झुण्ड से अपने नीड़ व बच्चों की रक्षा हेतु विकल पक्षी लटुकिका लट्वाका ही है। दीघनिकाय में पिंजरे में गाती हुई मुनिया लटुकिका का उल्लेख है – लटुकिकापि खो अंबट्ठ सके कुलावके कामलायिनी होति।
सेव्य अर्थात लालन योग्य नाम की संगति भी लट्व या लट् धातु से बैठती है – लट् वाल्ये, लड्-लल-लालन।
(स्रोत : Birds in Sanskrit Literature)