गुरु पूर्णिमा विशेष - आमुख

तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा चरैवेति चरैवेति

तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा चरैवेति चरैवेति। अतीत की स्मृतियाँ किसे व्यथित नहीं करतीं? कौन है जो नेत्र मूँदे भावी से अनभिज्ञ निज दायित्वों से भागता फिरता है? वह कुछ भी हो, कालयात्री तो नहीं हो सकता। आदर्शों के इस विशाल मेरु ने आपको भी एक दायित्व सौंपा है। मेरी गति तो कहीं नहीं से उबरें! उन वाक्यों, कथनों का स्मरण करें जिससे कालयात्री ने क्षण-प्रतिक्षण आपको अभिसिंचित किया था। देवायतनों से उठते स्वर व बलाघात को गुनें। साथ ही उस अदम्य साहस को प्रणाम करें जिसने नितान्त अन्धकूप में भी ‘धूप’ का स्पर्श पाया।

सा प्रकाश्या सदा बुधैः। इन्द्रवज्रा। उपेन्द्रवज्रा।

सा प्रकाश्या सदा बुधैः

इन्द्र तथा उपेन्द्र ने परस्पर मिल कर जाने कितनी लीलायें रचीं हैं, न जाने कितने काण्ड लिखे हैं। न जाने कितने आख्यान हैं दोनों के, जिनमें इनके परस्पर सहयोग से देवजाति तथा सम्पूर्ण सृष्टि एवं मानवता का कल्याण हुआ। इतना अवश्य है, कि इन्द्र इन्द्र ही रहे, किन्तु उपेन्द्र ने अनगिन रूप धारे।

निजपक्ष पक्षपात Myside bias

निजपक्ष पक्षपात Myside bias

साधारण सा लगने वाला यह पक्षपात वास्तव में इतना प्रबल होता है कि टीका जैसी जीवनरक्षक वस्तु पर भी व्यक्ति मिथ्या सूचना प्रसारित कर देते हैं। वो भी प्रबल दृढ़ता से। ‘Denying to the Grave: Why We Ignore the Facts That Will Save Us’ में मनोवैज्ञानिक जैक गोर्मन इन बातों की विस्तृत चर्चा करते हैं। परन्तु पुस्तक के अंत में वह भी यहीं रुक जाते हैं कि इन सिद्धांतों के ज्ञात होते हुए भी इन समस्याओं का हल आज भी एक चुनौती ही है।

Grey francolin सफ़ेद तीतर

Grey francolin सफ़ेद तीतर

सफ़ेद तीतर भारत का बहुत ही प्रसिद्ध पक्षी है जो बहुधा दिखाई पड़ जाता है परन्तु चपलता पूर्वक झाड़ियों में छुप भी जाता है। क्योंकि बढ़ते विकास के साथ-साथ इस पर मानव अत्याचार/आखेट बढ़ा है। इस कारण यह मानव अदि की उपस्थिति के आभास मात्र से या दूर से देखकर ही छिपने के लिए भाग जाता है।

व्रत-पर्व निर्णयों में मतभिन्नता

व्रत-पर्व निर्णयों में मतभिन्नता

किसी भी व्रत-पर्व-त्यौहार इत्यादि के निर्णय के लिए २ बातों की जानकारी आवश्यक है — प्रथमतः उसके आधारभूत ज्योतिषीय घटना और द्वितीयतः उस व्रत-पर्व-त्यौहार के मनाने के लिए धर्मशास्त्र की सम्मति। गणित उसमें विस्तृत विवरण तो दे सकता है, परन्तु सम्मति नहीं अतः व्रत-पर्व-त्यौहार का मनाना-मानना विशुद्ध धर्मशास्त्र का निर्णय है। इसमें धार्मिक सम्मति सम्प्रदाय या परम्परागत भेद से विभिन्न हो सकती है, परन्तु गणित पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता।

Common Kingfisher मछरेंगा। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू, आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, July 30, 2019

Common Kingfisher मछरेंगा, छोटा-किलकिला

छोटा किलकिला का जो वर्ण नील-हरित सदृश दिखता है वह उसके पंखों में नहीं होता है अपितु प्रकाश के इन्द्रधनुष प्रभाव जैसे बनता है और इसीलिए प्रत्येक समय प्रत्येक कोंण से यह वर्ण सदैव भिन्न-भिन्न दिखाई देता है और वर्ण परिवर्तित होता सा लगता है। इसके नेत्र प्रकाश ध्रुवीकरण (light polarization) की क्षमता से युक्त होते हैं जिस कारण इसे जल सतह पर तीव्र सूर्य प्रकाश में भी सरलता से जलीय जन्तु दिखाई देते हैं एवं इसे मज्जन कर आखेट में समस्या नहीं आती।

Detachment अनासक्ति निर्णय कर्म

Detachment अनासक्ति निर्णय कर्म : सनातन बोध – ८७

Detachment अर्थात् अनासक्ति। इसका एक निष्कर्ष यह भी है कि आसक्ति में एवं भावना में बहकर कभी अर्थपूर्ण निर्णय और कार्य नहीं किए जा सकते। सहानुभूति के साथ-साथ अनासक्त अवलोकन की कहीं अधिक आवश्यकता है। तभी उसे करुणा तथा समुचित कर्म में परिवर्तित किया जा सकता है – स्वजनों के लिए भी एवं बृहत् स्तर पर मानवता के लिए भी, अन्यथा व्यक्ति सोचता ही रह जाएगा और चिंतित भी रहेगा।

सहज न समुझे कोय, तन्त्र के शिव-स्वरुप गुरु दत्तात्रेय आविर्भाव दिवस

सहज न समुझे कोय … क॒वयो॑ मनी॒षा

आज मार्गशीर्ष की पूर्णिमा है न? आज तन्त्र के शिव-स्वरुप गुरु दत्तात्रेय का आविर्भाव-दिवस है। और मेरा मन अखिल राष्ट्र को, तन्त्र की आदि-योनि स्वरूपा त्रिकोणाकृति इस भारत-भू की समस्त सनातन भारती-प्रजा को, भगवान् श्री दत्तात्रेय जयन्ती की अनन्त-अशेष हार्दिक शुभकामनायें देते हुए यह प्रार्थना कर रहा है –
ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः। भवे भवे नातिभवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
मैं सद्योजात की शरण हूँ, सद्योजात को नमस्कार है, जन्म-जन्मान्तरों के किसी भी जन्म में मेरा अतिभव – पराभव न हो! हे भवोद्भव! आपको मेरा नमस्कार है।

अमरकोश : कुछ प्रचलित शब्द : लघु दीप

Amarkosha अमरकोश, कुछ प्रचलित शब्द : लघु दीप – ३४

पहुना, पाहुन (भोजपुरी, मैथिली आदि), संस्कृत में प्राघुणक।
प्राघूर्णिक: प्राघुणकश्च। – अभ्यागत हेतु।
अमरकोश से निकलते, कुछ प्रचलित शब्द आज के लघु दीप में।

भारती संवत संवत्सर नाम

भारती संवत : संवत्सर नाम, मास एवं तिथियाँ (१, महाश्रावण, मास तप)

भारती संवत : संवत्सर नाम – इस वर्ष अस्त के पश्चात गुरु का उदय श्रावण नक्षत्र में होगा, अत: यह संवत्सर हुआ – महाश्रावण। मास : तप-मृगशिरा।
भारती संवत में महीना पूर्णिमा से आरम्भ हो कर शुक्ल चतुर्दशी को समाप्त होगा।
तिथि का गणित वही रहेगा जो है किन्तु यदि तिथि परिवर्तन सूर्योदय से सूर्यास्त के पूर्व कभी भी हो गया तो उस दिन वह तिथि मान ली जायेगी, भले उदया न हो। उदाहरण के लिये, कल पूर्णिमा सूर्य के रहते ही हो गई थी, अत: पूर्णिमा कल की मानी जायेगी।

quran

Love jihad नहीं, यौन जिहाद। न, न, अब्राहमी आक्रमणों का प्रतिकार ऐसे नहीं!

अल्पकालिक हो या दीर्घकालिक, जीर्ण हो या त्वरित; किसी भी समस्या से निपटने या उसके समाधान हेतु जो कुछ किया जाता है, वह व्यक्ति, समूह या तन्त्र में अन्तर्निहित उसकी सकल निर्मिति पर निर्भर होता है तथा परिणाम की गति व दिशा भी उसी पर निर्भर होते हैं। निर्मिति मूल मान्यताओं, मूल्यों, प्राथमिकताओं और प्रवृत्ति की देन होती है जो एक दिन में नहीं बन जाती, दीर्घकालिक सम्यक सतत कर्म की देन होती है। चरित्र महत्त्वपूर्ण होता है।

Corruption is Contagious

भ्रष्टाचार, कुसंग और दण्ड : सनातन बोध – ८६

शोध इस बात को इंगित करते हैं कि यदि हम अन्य लोगों को भ्रष्ट आचरण करते हुए देखते हैं तो हम भी उससे प्रभावित होते हैं। हमें यह एक सामान्य प्रक्रिया लगने लगती है। उत्कोच एक संक्रामक महामारी की तरह है।

पुरा नवं भवति

पुरा नवं भवति

भारत में इतिहास को काव्य के माध्यम से जीवित रखा गया। स्वाभाविक ही है कि ऐसे में कवि कल्पनायें नर्तन करेंगी ही। कल्पना जनित पूर्ति दो प्रकार की होती है, एक वह जो तथ्य को बिना छेड़े शृङ्गार करती है, दूसरी वह जो तथ्य को भी परिस्थिति की माँग के अनुसार परिवर्तित कर देती है। दूसरी प्रवृत्ति की उदाहरण रामायण एवं महाभारत, दो आख्यानक इतिहासों, पर आधारित शताधिक रचनायें हैं जिनमें पुराण भी हैं। आख्यान का अर्थ समझ लेंगे तो बात स्पष्ट होगी। आख्यान आँखों देखी रचना होते हैं।

मूल में भी क्षेपक जोड़े गये जिनका अभिज्ञान कठिन है किन्तु असम्भव नहीं।

गले कटवाते रहना घोर तामस है! जीवन्त जाति का लक्षण नहीं।

गले कटवाते रहना घोर तामस है! जीवन्त जाति का लक्षण नहीं।

गले कटवाते रहना घोर तामस है! जीवन्त जाति का लक्षण नहीं। हमें किसी का गला नहीं रेतना है किंतु कोई हमारा गला न रेत जाये, इसके लिये बली बनना है, शारीरिक रूप से भी, मानसिक रूप से भी।

Distance from self अनासक्ति व Solomon's Paradox

Distance from self अनासक्ति व Solomon’s Paradox : सनातन बोध – ८४

Distance from self अनासक्ति – Solomon’s Paradox अन्य को सुझाव देना हो तो हम भली-भाँति विचार कर देते हैं पर स्वयं के लिए वैसा नहीं कर पाते। Distance from self तो स्पष्टतः निष्काम कर्म का विशेष रूप ही है — कार्य-फल की आकांक्षा से रहित हो – सम्बंध, सामाजिक विरोध, रचनात्मकता ही क्यों, जीवन का प्रत्येक कार्य ही निष्काम हो।

Striated Babbler बड़ा चिलचिल। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या-224001, उत्तर प्रदेश, May 07, 2017

Striated Babbler बड़ा चिलचिल

बड़ा चिलचिल लगभग १० इंच का एक चञ्चल पक्षी है जो बड़ी-बड़ी घासों के बीच में ७ से १० के झुण्ड में दिखाई पड़ता है। इसके नर एवं मादा एक जैसे होते हैं। समभौमिक क्षेत्रों का पक्षी है जो पंजाब से लेकर गांगेय क्षेत्रों से होते हुए ब्रह्मपुत्र के क्षेत्र, नेपाल की आर्द्रभूमि, असम, बंगाल और ओडिशा के महानदी के नदीमुख क्षेत्र तक पाया जाता है।

Browser synchronization सूचना की तादात्म्यता

Browser synchronization सूचना की तादात्म्यता

ब्राउज़र सिंक्रोनाइजेशन। अर्थात भिन्न-भिन्न मशीनों, भिन्न-भिन्न स्थानों पर कार्य करते हुए भी अपने वेब ब्राउज़र की सूचनाएँ पहुँच में बनाये रखना या सूचना की अभिन्नता बनाये रखना।

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि या हल्‌ संंधि – १ : सरल संस्कृत – ९

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि – संस्कृत में प्रत्ययों के अतिरिक्त मूल भी होते हैं। किसी भी शब्द का विच्छेद करते हुये उसके मूल तक पहुँचा जा सकता है। मूल क्रिया आधारित हों अर्थात उनमें किसी कुछ करने का बोध हो तो वे धातु कहलाते हैं यथा युज्‌ जो जोड़ने के अर्थ में है जिससे योक्त, युक्त, योक्ता जैसे शब्द बने हैं।