मानव के ज्ञान से पूर्व का काल प्रागैतिहासिक काल कहलाता है। कतिपय विद्वान प्रामाणिक लिखित इतिहास से पूर्व के काल को प्रागैतिहासिक काल मानते हैं। आप जिसे भी प्रागैतिहासिक काल मानें, हम तो आज की शब्द-यात्रा में इस शब्द के विषय में जानेंगे।
प्रागैतिहासिक शब्द के तीन अंग हैं- प्राक्+ इतिहास + ठक् (इक)।
- प्राक् –
- दिशाबोधक (पूर्व दिशा) जैसे – ग्रामात्प्राक् पर्वत:। ( गाँव से पूर्व दिशा में पर्वत है)
- समयबोधक = पहले। जैसे – प्राक् सृष्टे: केवलात्मने (कुमारसंभवम् २/४, रघुवंश-१४/७८, शाकुन्तल ५/२१)
- इतिहास –
यह शब्द भी तीन अंगों वाला है – इति + ह + आस = ऐसा ही हुआ। जो घटना हो चुकी, चाहे एक निमेष पूर्व ही हुई, इतिहास कहलाता है। परिप्रेक्ष्य के अनुसार निर्धारित होता है। (परिप्रेक्ष्य = चारों ओर देख कर)
- ठक् – प्रत्यय जो इक बनकर जुड़ता है।
ठक् अर्थात् इक प्रत्यय ‘सम्बन्धी’ अर्थ को प्रकट करता है। यथा, दैनिक = दिन सम्बन्धी।
इससे बने शब्द विशेषण की भाँति प्रयोग किए जाते हैं। ये शब्द सदा एकवचन में रहते हैं।
इस प्रत्यय को जोड़ने की विधि है कि यह जिस शब्द में जुड़ता है, उसके प्रथम स्वर की वृद्धि कर देता है, अर्थात् अ,आ हों तो आ। इ, ई, ए, ऐ होंं तो ऐ। उ, ऊ, ओ,औ हों तो औ बन जाता है।
जैसे : प्रदेश + इक = प्रादेशिक। (यहाँ प्र का अ स्वर आ में परिवर्तित हो गया।) इसी प्रकार प्रमाण से प्रामाणिक। कुछ अन्य उदाहरण निम्नवत हैं –
धर्म – धार्मिक
दर्शन – दार्शनिक
अध्यात्म – आध्यात्मिक
प्रकृति – प्राकृतिक
नीति – नैतिक
दिन – दैनिक
पशु – पाशविक
समुद्र – सामुद्रिक
उपनिवेश – औपनिवेशिक
पुराण – पौराणिक
वेद – वैदिक
आदि।
ध्यातव्य है कि यह परिवर्तन मूल शब्द में होगा, उपसर्ग अथवा पूर्व संयुक्त शब्द वा शब्दांश में परिवर्तन नहीं होगा। अतः इतिहास + ठक् (हिन्दी में इक) = ऐतिहासिक। ‘प्राक्’ मूलशब्द से पूर्व का शब्द है, अतः इस पर प्रत्यय का प्रभाव नहीं होगा।
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प्राक्+इतिहास से प्रागैतिहास कैसे बना?
(+) के पूर्व आने वाले पद में यदि वर्ग का प्रथम वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्,) हो तथा (+) के पश्चात किसी भी वर्ग का प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ वर्ण, श,ष,स,ह अथवा कोई स्वर हो तो, अष्टाध्यायी ८/२/३९ के सूत्र झलां जशोऽन्ते के अनुसार (+) के पहले आया प्रथम वर्ण स्वयं का तृतीय वर्ण अर्थात् ग्,ज्,ड्,द्,ब् हो जाता है।
जैसे –
सत् + आचार = सदाचार
दिक् + गज = दिग्गज
सत् + भाव = सद्भाव
षट् + आनन = षडानन
षट् + ग्रह = षड्ग्रह
आदि।
अतः प्राक्+ इतिहास में क् के पश्चात इ आने पर क् अपने तृतीय ग् में परिवर्तित हो गया। इस तरह यह प्राग् बना। इतिहास में ठक् प्रत्यय होने से इ ऐ में परिवर्तित हो गया और बना ऐतिहासिक। प्राग्+ ऐतिहासिक = प्रागैतिहासिक । इसका अर्थ हुआ इतिहास के पूर्व (काल) से सम्बन्धित ।
आदरणीय
जोशी जी अभिनन्दन
This word Pragetihasik was new for me. You have explained this very beautifully and with absolute clarity.
I really love this word journey. Keep enlightening.
Regards