Minority अल्पसंख्यक कौन हैं? भारतीय विधि विधान का सच
Minority अल्पसंख्यक , भारतीय संविधान में न कोई मानदण्ड हैं, न ही जनसंख्या प्रतिशत सीमायें ही निर्धारित हैं, केन्द्रीय अधिसूचनाओं द्वारा निर्धारित।
Minority अल्पसंख्यक , भारतीय संविधान में न कोई मानदण्ड हैं, न ही जनसंख्या प्रतिशत सीमायें ही निर्धारित हैं, केन्द्रीय अधिसूचनाओं द्वारा निर्धारित।
Matsya Puran मत्स्य पुराण में परशुराम संज्ञा नहीं है, न उनके अवतरण की कोई कथा एवं न ही किसी प्रतिशोध की। भार्गव राम या राम जामदग्न्य उल्लिखित हैं।
वर्णित सिद्धान्तों के आधार पर वे प्रेम संबंधों को दो रूपों में विभाजित करते हैं – आवेशी (Passionate) और साहचर्य (companionate)। इन दोनों का वर्णन जान लेने पर यह स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है कि आवेशी वह है जिसे ग्रंथो में कामुक या तामसी कहा गया है एवं साहचर्य अर्थात गृहस्थ और दाम्पत्य।
न चास्य माता न पिता च नान्यः स्नेहाद्विशिष्टोऽस्ति मया समो वा ।
तावत्त्वहं दूत जिजीविषेयं यावत्प्रवृत्तिं शृणुयां प्रियस्य ॥
न माता से, न पिता से एवं न किसी अन्य से उनका प्रेम, मेरे प्रति प्रेम से विशिष्ट है (अर्थात मेरे प्रति उनका प्रेम समस्त सम्बन्धों के प्रेम से विशिष्ट है)।
अत:, हे दूत ! मेरी जीने की इच्छा तब तक ही बनी रहनी है, जब तक मैं अपने प्रिय का वृतान्त सुनती रहूँ।
दुग्धराज या दूधराज मध्य प्रदेश का राजकीय पक्षी है। वैदिक वाङ्मय एवं संंस्कृत साहित्य में यह सुंदर पक्षी बहुवर्णित है।
Valmiki Ramayan Sundarkand वाल्मीकीय रामायण सुन्दरकाण्ड : तुम विक्रान्त हो, समर्थ हो, प्राज्ञ हो, तुमने अकेले ही राक्षस राजधानी को प्रधर्षित कर दिया है।
मन्द गति से चलती हुई चींटी भी हजार योजन (की दूरी) चल लेती है, परन्तु बिना चले तो वैनतेय गरुड़ (जिनकी गति जग प्रसिद्ध है) भी एक पग आगे नहीं बढ़ सकते।
आप अपने नियोक्ता से प्राप्त फॉर्म 16A को ही नहीं देखें, भले ही केवल आपको वेतन मिलता हो, आपके द्वारा खरीदे-बेचे गये शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी या गहनों को बेचकर जो लाभ हुआ हो, वह भी दिखाना है। भले लाभ हुआ हो या हानि, उससे कोई अंतर नहीं पड़ता है। सभी को आयकर में अपने पूँजीगत लाभ या हानि दिखाना ही चाहिये। यहाँ हम बता रहे हैं कि कैसे विभिन्न प्रकार के एसेट पर पूँजीगत लाभ या हानि (capital gains or loss) की गणना करनी चाहिये।
Illusion of objectivity वस्तुनिष्ठता की भ्रान्ति : वैरी संचार माध्यम प्रभाव (Hostile media effect) -संचार माध्यमों पर अपर विचारधारा के समर्थन का दोष।
काल राजा का कारण है अथवा राजा काल का? ऐसा संशय तुम्हें नहीं होना चाहिये। यह निश्चित है कि राजा ही काल का कारण होता है। जिस समय राजा दण्डनीति का सम्यक एवं पूर्ण प्रयोग करता है, उस समय (राजा से प्रभावित) काल कृतयुग की सृष्टि करता है।
मारुति का श्रीराम के गुह्य अङ्गों का अभिजान देवी सीता के मन में विश्वास दृढ़ करने में सहायक हुआ कि यह अवश्य ही उन्हीं का दूत है, कोई मायावी बहुरूपिया राक्षस नहीं। आगे हनुमान स्वयं कहते भी हैं – विश्वासार्थं तु वैदेहि भर्तुरुक्ता मया गुणा:। आदि कवि भी पुष्टि करते हैं – एवं विश्वासिता सीता हेतुभि: शोककर्शिता, उपपन्नैरभिज्ञानैर्दूतं तमवगच्छति।
संस्कृत सरल – 1 : प्रश्नवाचक वाक्य। भवान् कथं अस्ति ? – आप कैसे हैं ?
देववाणी अभ्यास माला। बोलत बोलत अभ्यास ते आ संस्कृत बोल सुजान।
नैतिक निर्णय, मतान्तरण : उनके तर्क तो उनकी सोच के बनने के पश्चात उस सोच के निरूपण एवं उसका औचित्य सिद्ध करने के लिए बने होते हैं!
आदिकाव्य रामायण : उपस्थिति सुहावन थी किन्तु जनस्थान की स्मृति भी थी। वानर सौम्य है, मन विश्वास करने को कहता था। अविश्वास भी, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही?
हिन्दी पानी नीली धरती – चाहे जो नदी नारे नगर ले लें, प्रदूषण की स्थिति भयानक एवं शिक्षित समाज ‘हम तो ऐसे ही हैं’ के जप में लीन। पुरखे मूर्ख थे बेचारे!
Procrastination टालमटोल – विद्यार्थीं कुतो सुखः? – विद्यार्थियों का सन्दर्भ है तो इस शोधपत्र को विश्वविद्यालय में न्यूनतम उपस्थिति की अनिवार्यता के विरोध में प्रदर्शन एवं दीर्घ काल तक विश्वद्यालय में ही पड़े रहने के समाचारों से जोड़कर देखें तो?
आदिकाव्य रामायण , सुन्दरकाण्ड से : जाने कितने ताप भरे दिन बीते थे, शोक एवं प्रताड़ना के जाने कितने कर्कश शब्द सुनने के पश्चात कोई प्रियवादी कुशल क्षेम पूछने वाला मिला था, हर्षित सीता अपनी रामकहानी कहती चली गयीं … श्रीराम के बिना मुझे स्वर्ग में भी निवास भी नहीं रुचता – न हि मे तेन हीनाया वासः स्वर्गेऽपि रोचते।
हिंदी – संवैधानिक पृष्ठभूमि व स्थिति : यहाँ तक कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के प्राधिकृत अनुवाद भी नहीं छपते। क्या हमारी राजभाषा की यह अपमानजनक संवैधानिक स्थिति स्वयं संविधान का ही घोर उल्लंघन नहीं?