जापानी उक्तियाँ
Tiny lamps लघु दीप , पिछली कड़ियाँ : 1 , 2 , 3 , 4, 5, 6 , 7, 8, 9, 10, 11 , 12, 13, 14, 15, 16, 17 से आगे …
1. 自業自得
‘जैसा काम, वैसा लाभ’
जो जस करहिं सो तस फल चाखा ।2. 十人十色
‘दस मनुष्य, दस रंग’
मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना ।3. 起死回生
‘मृत्यु से जागो एवं जीवन को लौटो’
क्षुद्रं हृदय दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप ।4. 我田引水
‘अपना धान खेत, अपना सींचना’
कर निज-हित अनुकूल ।5. 悪因悪果
‘पाप हेतु, पाप फल’
जैसी करनी, वैसी भरनी । (बोया पौध बबूल का आम कहाँ से खाय ?)6. 見ぬが花
‘न देखना फूल है’
कहाँ वास्तविकता, कहाँ आकाशकुसुम ?7. 弱肉強食
‘निर्बल मांस हैं, सबल भोक्ता’
वीरभोग्या वसुन्धरा ।8. 海千山千
‘सहस्र सागर सहस्र पर्वत’
खेला खाया (क्या न कर सके !) ।9. 酔生夢死
‘पियक्कड़ जीवन, स्वप्निल मृत्यु’
मदालस जीवन सपनों में बीते ।10. 一期一会
‘एक जीवन, एक समन’
मन पछितइहें अवसर बीते ।
यज़िदी नादिया मुराद को नोबेल पुरस्कार
यज़िदी महिला नादिया मुराद बासी ताहा (نادیە موراد باسی تەھا) को इस वर्ष संयुक्त रूप से नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया गया है । यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह इराक़ की पहली व्यक्ति हैं ।
Genocide नृजातिसंहार ।
इस शब्द को जानने से पहले, उनका समूल विनाश करने हेतु आक्रान्ताओं द्वारा किये जाने वाले वर्बर आक्रमणों को यज़िदी ‘फरमान’ कहते थे। यह शब्द ही इतिहास की एक बहुत ही करुण सचाई को दर्शाता है कि जो काफिर है, उसे या तो मुसलमान होना होगा या दारुल इस्लाम की धरती पर मरना होगा । 2014 प्र. स. के पूर्व समूल नाश हेतु यज़िदियों पर कुल 73 आक्रमण किये गये ।15 अगस्त 2014 । इस्लामिक राज्य के आक्रान्ताओं ने नादिया मुराद के गाँव कोचो पर आक्रमण किया । उस समय उसकी आयु 21 वर्ष की थी । जिन पुरुषों ने इस्लाम नहीं स्वीकार किया, उनकी बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी गई । उन बूढ़ी स्त्रियों को भी मार दिया गया जो किसी ‘काम’ की न थीं । नादिया के छ: भाइयों को भी मार कर उनकी माँ के साथ सामूहिक कब्रों में डाल दिया गया । अन्य सभी महिलाओं एवं स्त्रियों को मोसुल नगर ले जा कर उनकी बोली लगाई गई, वे अब महिलायें एवं लड़कियाँ नहीं, इस्लाम हेतु लड़ते मुसलमान जिहादियों की यौनदासियाँ थीं । तीन महीने तक नादिया के साथ अकल्पनीय बलात्कार किये गये, मारा पीटा गया एवं अन्य घृणित काम करवाये गये ।
किसी प्रकार से नादिया वहाँ से बच निकली एवं उस ने अपना समस्त शेष जीवन मानवाधिकार कार्यकर्त्ता के रूप में इस्लाम की बन्दिनी स्त्रियों एवं बालिकाओं की मुक्ति हेतु संघर्ष करने को समर्पित करने का निर्णय लिया । वर्तमान में नादिया जर्मनी में रहती हैं । इस्लामिक स्टेट (ISIS या IS) की बंदिनी रहते हुये उसने जो झेला, उसे एक पुस्तक रूप में प्रकाशित किया – The Last Girl – My Story of Captivity, And my fight against the Islamic State. शीर्षक का Last Girl – ‘अंतिम लड़की’ शब्दयुग्म ही मानों इस्लाम के बर्बर हाथों शताब्दियों से लुटती, पिटती एवं प्रताड़ित बालिकाओं के प्रति एक श्रद्धाञ्जलि है ।
5 अक्टूबर 2018 प्र. स. को नोबेल पुरस्कार समिति ने नादिया को काङ्गो के डेनिस मुक्वेगे के साथ संयुक्त रूप से शान्ति पुरस्कार देने की घोषणा की – Both laureates have made a crucial contribution to focusing attention on, and combating, such war crimes.
इसके ऐतिहासिक महत्त्व को रेखाङ्कित करते हुये समिति ने कहा :
‘This year marks a decade since the UN Security Council adopted Resolution 1820 (2008), which determined that the use of sexual violence as a weapon of war and armed conflict constitutes both a war crime and a threat to international peace and security. This is also set out in the Rome Statute of 1998, which governs the work of the International Criminal Court. The Statute establishes that sexual violence in war and armed conflict is a grave violation of international law. A more peaceful world can only be achieved if women and their fundamental rights and security are recognised and protected in war,’किसी ने कभी सोचा होगा कि अस्तित्त्व को जूझते एक अज्ञात गाँव की एक साधारण सी लड़की जिसका कि सपना कभी अध्यापिका या सौंदर्य विशेषज्ञा मात्र बनने का था, इस प्रकार एक नृजाति के अस्तित्त्व के सङ्कट को वैश्विक स्तर पर रेखाङ्कित कर देगी ! नादिया ऐसी सत्त्रहवीं महिला हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिला है ।
इस लघु दीप को नमन ।