tiny lamps in darkness
सुभाषित
कलहान्तानि हर्म्याणि कुवाक्यान्तं च सौहृदम्।
कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मान्तम् यशो नॄणाम्॥
(महासुभाषित संग्रह)
कलह से राजप्रासाद (अन्त:पुर) का नाश हो जाता है एवं दुर्वचन प्रयोग से सौहार्द्र का अन्त हो जाता है। कुराज राष्ट्र का अंत कर देता है एवं कुकर्म मनुष्य के यश का नाश कर देते हैं।
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छोटी गहरी बातें
गताङ्क में यह उल्लेख था कि कैसे ब्रिटेन में मासिक स्राव के दिनों में लड़कियाँ विद्यालय नहीं जातीं क्योंकि उन्हें स्वच्छता पट्टी (sanitary pad) की उपलब्धता नहीं है। वहाँ सरकार द्वारा सहायता प्रदान करने हेतु किये जा रहे आंदोलन का भी उल्लेख था, साथ ही पूछा गया था कि क्या भारत में भी ऐसा है?
उत्तर है हाँ, ऐसा भारत में भी है।
गुजरात के एक वनवासी ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी ही समस्यायें थीं। निर्धनता एवं लज्जा के कारण कपड़ों को फाड़ कर प्रयोग करना भी महिलाओं को स्वीकार नहीं था। वे भाँति भाँति के अस्वास्थ्यकर उपाय प्रयोग में लाती थीं। बड़ी समस्या यह भी थी कि इसके बारे में वे बात करना भी नहीं चाहती थीं। सरकारी सहायता हेतु आंदोलन छेड़ने के स्थान पर स्वाति बेडेकर ने ग्रामीण महिलाओं के साथ मिल कर बहुत कम बिजली की आवश्यकता एवं बस एक कक्ष में उत्पादन सक्षम यंत्र का विकास किया जो मात्र रु. 2.50 में एक की दर से मिलने वाला पैड ‘सखी’ बनाता है। उनके पति ने बिना बिजली के ही प्रयोग में लाई गई पट्टियों के दहन हेतु एक अन्य यंत्र बनाया।
गुजरात सरकार ने भी यंत्रों हेतु आंशिक धन सहयोग प्रदान करती है। ‘सखी’ में महँगे Super Absorbent Polymer (SAP) के स्थान पर सेलुलोज का प्रयोग होता है। आरम्भिक लागत रु. 1.5 लाख है तथा आय 14000 से 16000 रुपयों तक हो जाती है। [स्रोत : ‘द हिंदू’]~~~~~~~
कर के देख सकते हैं !
संसार में सब कुछ बुरा ही हो रहा हो, ऐसा भी नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में विविध प्रकार के लघु नवोन्मेष धरती को निरंतर अच्छा बनाने में लगे हुये हैं। कल्पना कीजिये कि प्रदूषित नदियों, नालों में अपने आप चलता हुआ कोई विशाल यंत्र हो जो तैरते हुये हर प्रकार के कचरे को छान कर उठा लेता हो! नदियाँ स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त होंगी या नहीं?
ऐसा ही एक संयंत्र बाल्टीमोर हार्बर फ्रण्ट, अमेरिका में कार्यरत है जो जलराशि में उठने वाली तरंगों से जनित ऊर्जा से चलता है। लहरें न्यून होने पर पूर्ति हेतु इस पर सौर पट्टियाँ भी लगी हुई हैं जो ऊर्जा की कमी को पूरी कर देती हैं। जलीय जीवों हेतु पूर्णत: सुरक्षित इस यंत्र के प्लव निर्वात के प्रयोग द्वारा तैरती वस्तुओं तथा अन्य प्रदूषक (यदि तैलीय कचरा है तो उसे भी!) पदार्थों को अपने भीतर बंदी बना लेते हैं। इस कचरे को नियंत्रित ढंग से जला कर अल्पतम प्रदूषण के साथ ताप ऊर्जा हेतु ऊष्मा प्राप्त की जाती है।
भारत में विभिन्न तीर्थ स्थलों एवं गंङ्गा, यमुना, नर्मदा इत्यादि अनेक नदियों में इस Trash Wheel का बहुत ही प्रभावी उपयोग हो सकता है। सहमत हैं तो बात आगे एवं ऊँचे बढ़ाइये न!